पंजाब में कृषि विधेयक निरस्त करने के लिए मंडी यार्ड बनाने पर फैसला नहीं ले पाई कैप्टन सरकार
पंजाब में कृषि विधेयकों का किसान से लेकर राजनीतिक दल तक सभी विरोध कर रहे हैं। ऐसे में मंडी यार्ड बनाने का सुझाव आया है लेकिन अभी तक इस पर सहमति नहीं बन पाई। सरकार इस पर फैसला नहीं ले पाई है।
चंडीगढ़ [इंद्रप्रीत सिंह]। कृषि विधेयकों (farm Bill's, Agricultural bill's) को निरस्त करने के लिए पूरे राज्य को प्रमुख मंडी यार्ड बनाने को लेकर कैप्टन सरकार कोई फैसला नहीं ले पाई है। दरअसल, सरकार इस मामले में हर कानूनी पहलू पर विचार करना चाहती है। माना जा रहा था कि वीरवार शाम तक सरकार कोई फैसला लेगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
कृषि विधेयकों को पंजाब में लागू न किए जाने को लेकर अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल व राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने पूरे राज्य को प्रमुख मंडी यार्ड घोषित करने को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सुझाव दिया था। सुखबीर ने तो यह भी कहा था कि अगर कैप्टन ने ऐसा न किया तो सरकार आते ही अकाली दल यह कदम उठाएगा।
कृषि विभाग के पूर्व सचिव काहन सिंह पन्नू ने कहा कि राज्य सरकार के पास पावर है कि वह पूरे राज्य को प्रमुख मंडी यार्ड के रूप में बदल सकती है। मंडियों को बाजार के लिए ऐसे समय में खुला छोड़ना सही नहीं होगा जब चीजों को रेगुलेट करने के लिए रेगुलेटर लगा रहे हैं।
वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने भी कहा कि राज्य सरकार इस विषय पर विचार कर रही है, परंतु हमें संदेह है कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को रद कर सकती है, इसलिए हम नए विधेयकों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने पर विचार कर रहे हैं।
मंडी यार्ड की घोषणा को ऐसेे समझें
पंजाब मंडी बोर्ड एक्ट 1961 (Punjab Mandi Board Act 1961) के तहत सरकार मंडियों का क्षेत्र निश्चित करती है। इस चारदीवारी में फसलों की बिक्री ही मान्य होती है और इससे बाहर बिक्री को गैर कानूनी माना जाता है। ऐसा टैक्स सिस्टम को बनाए रखने व किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price, MSP) मिले, इसकी निगरानी के लिए किया जाता है। राज्य में 1830 मंडी यार्ड व सब यार्ड हैैं। कोरोना के कारण सरकार अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए शैलरों को भी मंडी सब यार्ड घोषित किया था।