बेअदबी मामलों में रुकावट डाल रहे एसजीपीसी प्रधान बडूंगर : कैप्टन
कैप्टन ने बेअदबी मामलों को लेकर एसजीपीसी प्रधान बडूंगर की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि बडूंगर जांच में सहयोग देने से मना कर रहे हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान किरपाल सिंह बडूंगर ने राज्य में धार्मिक बेअदबी के मामलों की जांच कर रहे जस्टिस रणजीत सिंह कमिशन के आगे पेश होने से इन्कार कर न्याय प्रक्रिया में रुकावट डालने का काम किया है। कैप्टन ने कहा कि राज्य में शांति और सांप्रदायिक सदभावना के हित में बनाए कमिशन के आगे पेश होने की जगह बडूंगर जांच में सहयोग देने से मना कर रहे हैं। इससे उनके बेअदबी के संबंध में पर्दा डालने के घृणित और अनैतिक इरादे उजागर हो गए हैं।
एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि फरीदकोट जिले में हुए बरगाड़ी कांड सहित बेअदबी की विभिन्न घटनाओं की जांच करने के लिए निष्पक्ष कमिशन बनाने का फैसला किया था। इसका उद्देश्य सूबे के सांप्रदायिक सद्भाव को क्षति पहुंचाने के जिम्मेवार लोगों को कानून के कठघरे में खड़ा करना है। उन्होंने कहा एसजीपीसी को इसका स्वागत करना चाहिए।
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कैप्टन ने कहा कि अकाली दल शायद पर्दाफाश होने के डर से जांच को भटकाने का प्रयास कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कमिशन की कार्यवाही में सरकार की दखलंदाजी के हक में नहीं हैं, लेकिन वह हर कीमत पर सूबे में शांति बनाए रखने के लिए वचनबद्ध हैं। सिख अधिकारों व कल्याण की सुरक्षा के लिए यह धार्मिक संस्था जिम्मेदार है, लिहाजा एसजीपीसी को बेअदबी की विभिन्न घटनाओं के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। वास्तव में बहुत सी घटनाएं गुरुद्वारों में घटीं हैं, जिनका प्रबंध और कंट्रोल इसके अधीन है। इसलिए एसजीपीसी को इसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए थी।
बेअदबी की 121 घटनाएं
कमिशन बहिबल कलां समेत कई घटनाओं की जांच कर रहा है। बेअदबी की ये घटनाएं जून 2015 से मार्च 2017 के बीच हुई थीं। बेअदबी की कुल 121 घटनाएं घटी थी, जिनमें से 30 श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अंग फाड़ने, 56 गुटका साहिब फाड़ने, 8 गुरुद्वारों की पवित्रता को क्षति पहुंचाने, 22 भागवत गीता की बेअदबी करने और 5 कुरान शरीफ की बेअदबी करने की घटनाएं थीं।
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