2022 में कैप्टन ही होंगे पंजाब में कांग्रेस के ‘कप्तान’, आक्रामक फैसलों से विरोधी खेमे में मची खलबली
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैबिनेट में जिस हिसाब से लोकलुभावन फैसले लिए हैं उससे स्पष्ट है कि उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव के लिए नींव रख दी है। अपने फैसलों से उन्होंने फिर से चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए हैं।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक ही दिन में पंजाब के लगभग सभी वर्गों को खुश करने के फैसले लेकर स्पष्ट रूप से यह संकेत दे दिए हैंं कि 2022 में वह पंजाब में कांग्रेस की कप्तानी करेंगे। बुधवार को कैबिनेट बैठक में जिस प्रकार से दलित विद्यार्थियों, सिविल सर्विसेज में महिलाओं को आरक्षण, झुग्गी-झोपड़ी वालों को जमीन का मालिकाना हक, किसानों आदि को लेकर जो फैसले लिए उससे कैप्टन के विरोधी खेमे में खलबली पैदा हो गई है। दरअसल, अभी तक मुख्यमंत्री 2022 में फिर चुनाव लड़ने की बात कहते थे, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कैप्टन ने पहली बार स्पष्ट संकेत दिए हैंं।
अहम बात यह है कि अक्टूबर माह की शुरूआती तस्वीर कुछ और कह रही थी। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत जहां नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस का भविष्य बता रहे थे, वहीं उनका कहना था कि मुख्यमंत्री को अपना फैसला खुद लेना है। हरीश रावत जिस प्रकार से सिद्धू की हिमायत कर रहे थे उससे इस बात के संकेत मिल रहे थे कि आने वाले समय में पंजाब में नए राजनीतिक समीकरण देखने को मिल सकते हैंं।
अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में एक ही झटके में हरेक वर्ग से जुड़े मुद्दे पर फैसला लेकर स्पष्ट संकेत दे दिए कि कांग्रेस अपने स्ट्रेंथ पर 2022 के चुनाव को लड़ने की तैयारी कर रही है। क्योंकि प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में यह मुद्दा भी उठाया था कि पंजाब सरकार अपनी स्ट्रेंथ के बजाय दूसरी राजनीतिक पार्टियों की कमजोरियों पर ज्यादा भरोसा कर रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए फैसले और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैंं।
वहीं, कैप्टन ने अपने फैसलों से अपने विरोधी खेमे में ही खलबली पैदा कर दी है। मुख्यमंत्री 2022 के चुनाव लड़ने को लेकर कई बार कह चुके थे लेकिन प्रशासनिक स्तर पर वह एेसे संकेत नहीं दे रहे थे। जबकि बुधवार को उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर भी यह संकेत दे दिए कि 2017 में जो उन्होंने जो अंतिम चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, उसे उन्होंने रिव्यू कर लिया है। क्योंकि अभी तक मुख्यमंत्री के विरोधी यह ही मान रहे थे कि संभव हो कि अगला चुनाव कैप्टन न लड़े।
पंजाब में कैप्टन के सामने चुनौती राज्यसभा सदस्य व पूर्व प्रधान प्रताप सिंह बाजवा ही पेश करते रहे हैंं। बाजवा अक्सर ही मुख्यमंत्री के फैसलों का विरोध करते है। वहीं, कांग्रेस हाईकमान पिछले लंबे समय से शिथिल पड़े नवजोत सिंह सिद्धू में भी भविष्य तलाश रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अभी एक और पारी खेलने के लिए तैयार हैं।