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कैप्टन का हरसिमत कौर बादल पर तंज, कहा- पेट्रोल-डीजल की चिंता है तो कुर्सी क्यों नहीं छोड़ देतीं

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि अगर हरसिमरत कौर बादल को पेट्रोल डीजल मूल्य वृद्धि की इतनी ही चिंता है तो वह एनडीए गठजोड़ क्यों नहीं छोड़ देतीं?

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 10:38 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 10:38 AM (IST)
कैप्टन का हरसिमत कौर बादल पर तंज, कहा- पेट्रोल-डीजल की चिंता है तो कुर्सी क्यों नहीं छोड़ देतीं
कैप्टन का हरसिमत कौर बादल पर तंज, कहा- पेट्रोल-डीजल की चिंता है तो कुर्सी क्यों नहीं छोड़ देतीं

जेएनएन, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल पर संकुचित राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल को अगर पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमत की इतनी ही चिंता है तो वह केंद्र सरकार में कुर्सी क्यों नहीं छोड़ देतीं। केंद्र सरकार तेल की कीमत में वृद्धि करके दो लाख करोड़ रुपये हासिल करे तो हरसिमरत कौर को समस्या नहीं नजर आती, लेकिन पंजाब के वित्तीय संकट पर लिए फैसले उन्हें जन विरोधी लगते हैं। वे एनडीए गठजोड़ क्यों नहीं छोड़ देतीं?

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बता दें, गत दिवस हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में पेट्रोल डीजल पर वैट कम करें। अगर कैप्टन ऐसा करते हैं तो वह केंद्र सरकार से भी पेट्रोल डीजल के दाम कम करवा देंगी। हरसिमरत के इस बयान के बाद पेट्रोल डीजल मूल्य वृद्धि पर राजनीति गरमा गई थी। 

वहीं, सुखबीर की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए अनाज के वितरण में घोटाले के आरोप लगाने व जांच की मांग पर कैप्टन ने कहा कि सुखबीर को पहले तथ्यों की जांच कर लेनी चाहिए। तथ्य यह हैं कि पंजाब सरकार की तरफ से जून तक प्राप्त किए गए अनाज का 90 फीसद से ज्यादा हिस्सा बांटा जा चुका है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत राज्य को 212164 मीट्रिक टन गेहूं अलॉट किया गया। इसमें से 199091 मीट्रिक टन गेहूं बांटा जा चुका है, जबकि 10800 मीट्रिक टन अलॉट दाल में से 10305 मीट्रिक टन की बांटी जा चुकी है। आत्म निर्भर भारत स्कीम के अंतर्गत गेहूं (प्रति व्यक्ति) और दाल (प्रति परिवार) 14.14 लाख लोगों को मुहैया करवाया गया।

राज्य की तरफ से गेहूं का आटा तैयार करके, इसके साथ दाल शामिल करके इसको प्रति व्यक्ति एक किलो बनाया गया। अपने स्तर पर एक किलो चीनी इसमें डाली गई। राज्य सरकार ने अपने फंड से प्रवासी कामगारों को 17 लाख खाने के पैकेट बांटने के लिए 69 करोड़ रुपये खर्च किए।

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