मंत्री का दर्जा दे छह MLA को सलाहकार बनाने का मामला पहुंचा हाई कोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से मुख्य संसदीय सचिव को लेकर लगी फटकार के बावजूद पंजाब सरकार ने विधायकों को एडजस्ट करने का नया रास्ता निकाल ही लिया।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से मुख्य संसदीय सचिव को लेकर लगी फटकार के बावजूद पंजाब सरकार ने विधायकों को एडजस्ट करने का नया रास्ता निकाल ही लिया। सरकार ने छह विधायकों को मुख्यमंत्री के सियासी सलाहकार के रूप में लगाए जाने की इजाजत दे दी है। इनमें पांच को कैबिनेट, जबकि एक को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। मुख्य सचिव करन अवतार सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं, इन नियुक्तियों को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में चैलेंज कर दिया गया है। एडवोकेट जगमोहन भटठी ने याचिका दायर कर कहा है कि राज्य में मंत्रियों की गिनती अब बढ़कर 23 से ज्यादा हो गई है, जबकि कानून के मुताबिक 17 होनी चाहिए।
इन विधायकों को लगाया गया है सलाहकार
जिन विधायकों को सलाहकार लगाया गया है उनमें फरीदकोट के कुशलदीप सिंह ढिल्लों, गिद्दड़बाहा से अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, अमृतसर से इंद्रबीर सिंह बुलारिया और तरसेम डीसी, फतेहगढ़ साहिब से कुलजीत नागरा और टांडा उड़मुड़ से संगत सिंह गिलजियां शामिल हैं। ढिल्लो, वडिंग़, बुलारिया, नागरा व गिलजियां को कैबिनेट रैंक दिया गया है, जबकि तरसेम डीसी को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। नागरा व डीसी को छोड़कर सभी मुख्यमंत्री के सियासी सलाहकार होंगे, जबकि ये दोनों प्लानिंग वन और प्लानिंग टू के काम देखेंगे। दोनों विधायकोंं को सरकार के फ्लैगशिप प्रोग्राम का निरीक्षण करनेे के लिए लगाया जाएगा।
कैप्टन ने नाराज विधायकों के ग्रुप में लगाई सेंध
छह विधायकों को सियासी सलाहकार के रूप में लगा करके मुख्यमंत्री ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। दरअसल, पिछले कई दिनों से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की जांच मामले मेें सरकार की किरकिरी हो रही है। सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट पर एसआइटी के प्रमुख प्रबोध कुमार ने सीधे ही सीबीआइ को जांच जारी रखने का जो पत्र लिखा था उसको लेकर विधायकों का एक बड़ा ग्रुप नाराज हो गया था। इनमें से कुछ विधायकों को मुख्यमंत्री ने अपना सलाहकार लगाकर उस ग्रुप को तोड़ दिया है। इसके अलावा कुछ विधायकों को मंत्री न बनाए जाने से उनमें फैली निराशा को भी काफी हद तक दूर कर दिया है।
पूर्व सरकार में 22 विधायक बने थे सीपीएस
पूर्व सरकार में लगभग 22 विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) लगाकर एडजस्ट किया गया था, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर फैसला देते हुए सभी को हटा दिया था। मौजूदा समय में विधायकों में इस बात को लेकर नाराजगी थी कि उन्हें किसी भी तरह से एडजस्ट नहीं किया जा रहा। कैप्टन सरकार ने बोर्ड और कॉरपोरेशन में विधायकों को चेयरमैन लगाने के तौर पर एक्ट में संशोधन भी कर लिया था, लेकिन कांग्रेस हाईकमान द्वारा किसी भी विधायक को बोर्ड कॉरपोरेशन का चेयरमैन न लगाने के आदेशों के बाद अब यह नया तरीका निकाला गया है।
नया एक्ट लाना पड़ सकता है
जानकारों का कहना है कि सरकार को विधायकों को सियासी सलाहकार लगाने के मामले में भी नया एक्ट लाना पड़ सकता है या ऑफिस ऑफ प्रॉफिट वाले एक्ट में संशोधन करना पड़ सकता है।
यह कहा था हाईकमान ने
कांग्रेस हाईकमान का कहना था कि जिन नेताओं को टिकट मिल गई और वे विधायक बन गए, उनकी बजाय बोर्ड और कॉरपोरेशन में उन नेताओं को एडजस्ट किया जाए जो टिकट पाने से वंचित रह गए थे। खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी चुनाव से पहले यह वादा किया था कि जिन लोगों को टिकट नहीं मिली है उन्हें बोर्ड और कॉरपोरेशन के चेयरमैन लगाकर एडजस्ट किया जाएगा।
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