विरोध से बढ़ी चिंता, महंगी बिजली पर श्वेत पत्र लाने की तैयारी में कैप्टन सरकार
कैप्टन सरकार 16 जनवरी को शुरू होने वाले सत्र में बढ़े बिजली के दामों पर श्वेत पत्र ला सकती है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि महंगी बिजली के पीछे कारण क्या है।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। महंगी बिजली की आग अब तेजी से राज्य में फैलने लगी है। विपक्षी दल लोगों के बढ़ते गुस्से को भुनाने के लिए जहां मैदान में उतर आए हैं, वहीं कांग्रेस सरकार ने खुद ही इस मुद्दे को विधानसभा में ले जाने की तैयारी कर ली है। माना जा रहा है कि 16 जनवरी को शुरू होने वाले सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान यह मुद्दा उठ सकता है। सरकार सदन में श्वेत पत्र ला सकती है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि महंगी बिजली के पीछे कारण क्या है।
अकाली दल द्वारा महंगी बिजली के मुद्दे पर मोर्चा खोलने से कांग्रेस सरकार घिर गई है। तीन साल तक शांत रहने वाली सरकार अब विधानसभा में इसका जवाब देने की रणनीति अपना रही है। शिअद-भाजपा सरकार के दौरान भले ही निजी थर्मल प्लांटों की वजह से लोगों पर महंगी बिजली का बोझ पड़ा हो, लेकिन कांग्रेस सरकार ने भी बिजली दरें कम करने के लिए करीब तीन वर्षों में कोई भी प्रयास नहीं किए। इसके विपरीत कोयले की धुलाई का केस सुप्रीम कोर्ट में हारने का ठीकरा भी कांग्र्रेस सरकार पर ही फोड़ा गया है। कांग्रेस नेताओं में भी महंगी बिजली को लेकर गुस्सा बढ़ रहा है और पार्टी को डर है कि कहीं बाजी फिसल न जाए।
आम आदमी पार्टी द्वारा इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री आवास पर धरना देने के बाद सरकार की चिंता और बढ़ गई है। उसे पता है कि बिजली एकमात्र ऐसा मुद्दा है जो राज्य के 96 लाख घरों से सीधे जुड़ा है। अगर जल्द ही इस पर सरकार आक्रामक न हुई तो यह मुद्दा बड़े आंदोलन में बदल सकता है जिसका सीधा असर 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्र्रेस पर पड़ सकता है।
शिअद 15 को मिलेगा राज्यपाल से
दूसरी तरफ अकाली दल ने सरकार को घेरते हुए 15 जनवरी को इस संबंध में राज्यपाल को मांग पत्र सौंपने का फैसला लिया है। उसकी मांग है कि इस बात की जांच हो कि कोयले की धुलाई के मामले में रेगुलेटरी अथारिटी में दो बार केस जीतने के बाद आखिर सुप्रीम कोर्ट में सरकार कैसे हार गई?
जाखड़ तैयार कर रहे हैैं रूपरेखा
कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ विपक्ष में रहते हुए एक मात्र ऐसे नेता थे जो सरकार को इस मुद्दे पर सदन के अंदर और बाहर घेरते रहते थे, लेकिन इस समय वह खुद को अलग रखे हुए हैैं। माना जा रहा है कि महंगी बिजली के मुद्दे पर वह कोई बड़ी लड़ाई लडऩे की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। राज्य में अपनी सरकार होने के कारण वह यह लड़ाई इस तरह से लड़ना चाहते हैं कि सरकार को नुकसान भी न हो और पूर्व की बादल सरकार को घेरा भी जा सके।
कैबिनेट बैठक में उठा था मुद्दा
दरअसल पार्टी के अंदर से भी सरकार पर बिजली दरें कम करने का खासा दबाव बन रहा है। नौ जनवरी को हुई कैबिनेट बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। मंत्रियों का कहना था कि जनता पर बढ़ते महंगी बिजली के बोझ से चुनाव में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। मंत्रियों ने सुझाव दिया था कि प्राइवेट बिजली कंपनियां अदालती लड़ाई लड़कर करोड़ों रुपये ले रही हैं तो क्या सरकार अदालती में नहीं लड़ सकती? कैबिनेट ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से एडवोकेट जनरल पंजाब और अन्य सीनियर अधिकारियों की कमेटी बनाकर इस पर कोई कदम उठाने की बात की। मुख्यमंत्री जल्द ही इसके लिए कमेटी का गठन करेंगे।
2017 में सरकार लाई थी श्वेत पत्र
अगर कांग्रेस सरकार श्वेत पत्र लाती है तो तीन साल में यह दूसरा मौका होगा। इससे पहले 2017 में कांग्रेस सरकार वित्तीय स्थिति को लेकर श्वेत पत्र लाई थी।
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