कैप्टन ने सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले पत्नी को दिया मान
नवजोत सिंह सिद्धू पर रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को पंजाब वेयरहाउस का चेयरमैन बना दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रोड रेज मामले में नवजाेत सिंह सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अाने से पहले उनकी पत्नी का मान बढ़ाया है। कैप्टन ने स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को पंजाब वेयरहाउस का चेयरपर्सन बनाया है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को डॉ. नवजोत कौर को उनका नियुक्ति पत्र सौंपा। नवजोत कौर पूर्व अकाली-भाजपा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रह चुकी हैं।
डॉ. नवजोत कौर सिद्धू बनीं कांग्रेस सरकार में पहली चेयरपर्सन
कैप्टन ने सबसे पहले कैबिनेट विस्तार में खाली पड़े सभी नौ पदों को भर कर शाहकोट उपचुनाव को लेकर हो रहे द्वंद्व को खत्म किया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ठीक पहले सिद्धू की पत्नी को चेयरपर्सन बना कर भविष्य में होने वाली राजनीतिक लड़ाई को रोकने का प्रयास किया है।
गौरतलब है कि पूर्व मंत्री अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के बाद शाहकोट में उपचुनाव होना है। इस सीट को लेकर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता टिकट के चाहवान थे। इसका मुख्य कारण वरिष्ठ नेताओं में मंत्री बनने की चाह थी। इस दौड़ में मंडी बोर्ड के चेयरमैन लाल सिंह, वरिष्ठ नेता राजिंदर कौर भट्ठल व पूर्व मंत्री अवतार हैनरी भी शामिल थे। तस्वीर स्पष्ट थी कि पूरी लड़ाई मंत्री पद को लेकर थी। मुख्यमंत्री ने कैबिनेट के सभी नौ पद भर कर इस लड़ाई को शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया।
सिद्धू के मामले को लेकर भी सरकार बेहद गंभीर है। पंजाब सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू की सजा पर सहमति जता चुकी है। वहीं, सरकार दोनों ही स्थितियों का आकलन कर रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट सिद्धू की सजा को बरकरार रखता है, तो सिद्धू को विधायक पद से इस्तीफा देना होगा। ऐसे में मंत्रिमंडल में एक पद खाली हो जाएगा, जिसमें सरकार ओबीसी या वाल्मीकि समुदाय के किसी प्रतिनिधि को एडजस्ट कर सकती है। वहीं, अगर सुप्रीम कोर्ट से सिद्धू की सजा माफ होती है, तो फिर कोई समस्या ही नहीं रहेगी।
संभावित खींचतान रोकने का प्रयास
कैप्टन सरकार ने डॉ. नवजोत कौर को वेयर हाउस का चेयरपर्सन बना कर भविष्य में मंत्री पद को लेकर होने वाली खींचतान को भी रोकने की कोशिश की है। सिद्धू की सदस्यता जाने पर पुन: उपचुनाव होंगे। ऐसे में सिद्धू अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग सकते हैं और जीतने की स्थिति में मंत्री पद भी। चूंकि डॉ. सिद्धू वेयरहाउस की चेयरपर्सन बना दी गई हैं, तो टिकट को लेकर कांग्रेस को परेशानी नहीं होगी, लेकिन मंत्री पद की मांग नहीं उठेगी।
सिद्धू को यदि सुप्रीम कोर्ट से बरी कर दिया जाता है, तो कांग्रेस के सामने परेशानी भी खड़ी हो सकती है। क्योंकि एक ही घर में दो पद देने से विधायक आपत्ति जता सकते हैं। कई विधायकों को बोर्ड का चेयरमैन व डायरेक्टर लगाकर सरकार को अभी एडजस्ट करना है।