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केंद्र ने 31 हजार करोड़ का झटका दिया तो कैप्‍टन सरकार एफसीआइ से वसूलेगी 600 करोड़

फूड ग्रेन कर्ज मामले में केंद्र सरकार से 31000 करोड़ रुपये का झटका लगने के बाद पंजाब सरकार ने अब एफसीआइ पर 600 करोड़ का क्‍लेम किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 12:43 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 09:03 PM (IST)
केंद्र ने 31 हजार करोड़ का झटका दिया तो कैप्‍टन सरकार एफसीआइ से वसूलेगी 600 करोड़
केंद्र ने 31 हजार करोड़ का झटका दिया तो कैप्‍टन सरकार एफसीआइ से वसूलेगी 600 करोड़

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। फूडग्रेन लाेन के मामले में 31,000 करोड़ रुपये का झटका खा चुकी पंजाब सरकार ने अब अनाज खरीद के उन सभी नियमों को खंगाल रही है, जिससे वह केंद्र सरकार से फंड प्राप्त कर सके। इसी के तहत सरकार को बड़ी सफलता हाथ लगी है। डेढ़ दशक से सरकार ने गोदामों में त्रिपालों और क्रेटों के रखरखाव का बिल क्लेम कियाहै। 600 करोड़ रुपये के इस क्लेम को फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) ने स्वीकार कर लिया है।

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एफसीआइ 600 करोड़ रुपये का करेगी कस्टडी एंड मेंटीनेंस का भुगतान

जानकारी के अनुसार अनाज गोदामों में त्रिपालों व लकड़ी के क्रेट के रखरखाव का बिल एफसीआइ को देना होता है। लेकिन, पंजाब सरकार ने पिछले करीब डेढ़ दशक से इसे क्लेम ही नहीं किया था। धान खरीद में हरेक वर्ष तकरीबन 1500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाने वाली पंजाब सरकार ने जब उन सभी नियमों को खंगालना शुरू किया, जिससे वह केंद्र सरकार से फंड ले सके। इसमें यह बात भी निकल कर आई कि डेढ़ दशक से कस्टडी एंड मेंटीनेंस का बिल ही क्लेम नहीं किया गया है। यह राशि 600 करोड़ रुपये बनती है।

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पंजाब सरकार ने कस्टडी एंड मेंटीनेंस का बिल एफसीआइ से क्लेम किया। एफसीआइ ने इस क्लेम को सही मानते हुए दो किश्तों में सरकार को पैसे देना भी स्वीकार कर लिया है। एफसीआइ ने 300 करोड़ रुपये की पहली किश्त रिलीज भी कर दी है। दूसरी किश्त भी जल्द ही रिलीज हो जाएगी। 600 करोड़ रुपये का फंड जनरेट होने से पंजाब के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को खासी राहत मिली है।

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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की निेदेशक अनंदिता मित्रा का कहना है विभाग अब उन सभी नियमों को खंगाल रहा है, जिसके तहत सरकार के लिए धन की व्‍यवस्‍था हो। इसी क्रम में कस्टडी एंड मेंटीनेंस का बिल भी एफसीआइ को भेजा गया था। इसी प्रकार अन्य मामलों में भी काम चल रहा है। ऐसे ही कई मामलों में आॅडिटर जनरल की आपत्तियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि कुछेक आपत्तियों के कारण काफी फंड केंद्र सरकार के पास अटका हुआ है।'

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