कैप्टन व कनाडा के विपक्ष के नेता एंड्रयू के डिनर से छिड़ी नई राजनीतिक चर्चा
कनाडा के विपक्ष के नेता एंड्रयू शियर के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा किए गए डिनर ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। कनाडा के विपक्ष के नेता एंड्रयू शियर के साथ पूर्व विधायक केवल सिंह ढिल्लों के चंडीगढ़ आवास पर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा किए गए डिनर ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है। इससे पहले जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के दौरे पर आए थे तो उन्हें प्रदेश की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने काफी ठंडा रिस्पांस दिया था। हालांकि कैप्टन ने उनसे अमृतसर में मिले थे, लेकिन जिस तरह से एंड्रयू शियर और उनकी पत्नी जिल शियर का स्वागत किया गया उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
आखिर क्यों कैप्टन ने कनाडा के विपक्ष के नेता के प्रति इतने उत्साहित हैं, जबकि कनाडा सरकार में उनके रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन यहां आए थे तो उन्होंने उनसे मिलने से भी इन्कार कर दिया था। यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी वह रिस्पांस नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। एंड्रयू शियर और उनकी पत्नी के लिए पंजाब सरकार का विशेष चॉपर उन्हें अमृतसर से चंडीगढ़ लाने के लिए भेजा गया।
दरअसल, कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार में कुछ गरम ख्याली सिख नेता हैं जिनको लेकर अमरिंदर नाराज हैं, इसलिए उन्होंने रक्षा मंत्री सज्जन से मिलने से इन्कार कर दिया। उनके विपरीत एंड्रयू शियर जो इस समय विपक्ष के नेता हैं का कहना है कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है और वह किसी भी ऐसे ग्रुप या व्यक्ति का समर्थन नहीं करते जिसने पॉलिटिकल एजेंडा को हासिल करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाया हो। कंजरवेटिव पार्टी के नेता शियर का मानना है कि हमारा फोकस केवल आर्थिक विकास की ओर है। हम किसी भी ऐसी पार्टी ,ग्रुप या व्यक्ति का समर्थन नहीं करते जो कनाडा की धरती पर हिंसा को बढ़ावा देता हो।
कैप्टन को इस बात की भी उम्मीद है कि अगर अगले साल कनाडा में होने वाले चुनाव में एंड्रयू शियर जीतकर प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो यह पंजाब के लिए भी अच्छा होगा। शियर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले थे। शियर ने मोदी को उन्हें आश्वासन दिया कि वे कनाडा के वेस्टर्न कोस्ट से भारत के लिए गैस पाइपलाइन बिछाएंगे। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है।
दिलचस्प बात यह है कि चुनाव से पहले जब कैप्टन अमेरिका और कनाडा के दौरे पर गए थे तो उन्हें गरम ख्याली नेताओं के विरोध के कारण कई रैलियां रद करनी पड़ी थीं। चूंकि उस समय भी हरजीत सिंह सज्जन समेत कई सिख नेता ट्रूडो की की कैबिनेट में थे। उन्होंने कैप्टन का साथ नहीं दिया, इसलिए भी कैप्टन नाराज हैं।