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Punjab Bye election : थमा चुनावी शोर, अब Door to door, बाहरी नेताओं को चुनाव क्षेत्र छोड़ने के निर्देश

पंजाब की चार विधानसभा सीटों दाखा फगवाड़ा मुकेरियां और जलालाबाद में हो रहे उपचुनाव को लेकर चल रहा चुनाव प्रचार शनिवार सायंं पांच बजे बंद हो गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 07:10 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 08:33 AM (IST)
Punjab Bye election : थमा चुनावी शोर, अब Door to door, बाहरी नेताओं को चुनाव क्षेत्र छोड़ने के निर्देश
Punjab Bye election : थमा चुनावी शोर, अब Door to door, बाहरी नेताओं को चुनाव क्षेत्र छोड़ने के निर्देश

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब की चार विधानसभा सीटों दाखा, फगवाड़ा, मुकेरियां और जलालाबाद में हो रहे उपचुनाव को लेकर चल रहा चुनाव प्रचार शनिवार सायंं पांच बजे बंद हो गया है। चुनाव आयोग ने सभी हलके से बाहरी नेताओं को बाहर जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नर और जिला पुलिस प्रमुखों से इसे सुनिश्चित करने को भी कहा है।

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उधर, आज शिरोमणि अकाली दल ने भी इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी कि दाखा हलके में सत्तारूढ़ दल पुलिस बल का प्रयोग कर रहा है। इसे देखते हुए सभी हलकों से बाहरी नेताओं को बाहर जाने का आदेश दिया गया है।

बता दें, राज्य की चारों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस, शिअद, भाजपा और आम आदमी पार्टी के एक-एक विधायक के इस्तीफे या फिर निधन के कारण चार सीटें खाली घोषित की गई थीं। पिछले पंद्रह दिनों से इन चारों सीटों पर हुए प्रचार को देखते हुए साफ तौर पर कहा जा सकता है कि दाखा और जलालाबाद सीटों पर ही सबकी निगाहें हैं। ये दोनों ही सीटें इन चुनाव में हॉट रही हैं और सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत इन्हीं चारों सीटों पर झोंकी है।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो दाखा में न केवल दो रोड शो किए हैं, बल्कि वह कांग्रेस के उम्मीदवार कैप्टन संदीप संधू को यहां से नामांकन भी दाखिल करवाने गए थे। दरअसल, कैप्टन संदीप संधू उनके पॉलिटिकल सेक्रेटरी रहे हैं, इसलिए विरोधियों ने उनकी मुखालफत ही सबसे ज्यादा की है। यहां तक कि सरकार से नाराज कर्मचारी भी वहां धरना देने पहुंचे। सरकार के खिलाफ नाराजगी की यह झलक किसी भी अन्य सीट पर नहीं आई, चाहे जलालाबाद सीट हो या फगवाड़ा या फिर मुकेरियां।

दाखा के बाद अगर किसी सीट पर नजर रही तो वह थी जलालाबाद। यह सीट सुखबीर बादल के सांसद बनने के कारण सुर्खियों में थी, दूसरा इस सीट पर कांग्रेस के पार्टी प्रधान सुनील जाखड़ की पसंद का उम्मीदवार रविंदर आंवला चुनाव लड़ रहा था। अकाली दल के लिए यह सीट इसलिए महत्वपूर्ण रही क्योंकि इस सीट की नुमाइंदगी सुखबीर बादल तीन बार कर चुके हैं। पहले वह 2009 में हुए उपचुनाव में जीते तो 2012 और 2017 में यहां से उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव लड़ने के चलते उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया। अब उनकी भी साख का सवाल है कि क्या वह इस सीट पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार को जितवाकर क्या फिर से विधायक बनवा पाते हैं।

फगवाड़ा और मुकेरियां सीटें अकाली दल की गठजोड़ पार्टी भाजपा लड़ रही है। मात्र एक दिन पार्टी सांसद सन्नी देओल को छोड़कर किसी भी बड़े नेता ने यहां आकर पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया। आम आदमी पार्टी ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े जरूर किए हैं, लेकिन उनकी बात कहीं भी बनती दिख नहीं रही है। पार्टी नेताओं के पास हालांकि सरकार और अकाली दल के खिलाफ कई मुद्दे थे, लेकिन उन्होंने न तो चुनाव से पहले इस तरह का कोई माहौल बनाया और न ही चुनाव के दौरान पार्टी कोई असर दिखा पाई।

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