कैलिफोर्निया के फ्रूट की हो रही है डेराबस्सी में फार्मिग
बीएसएफ से डिप्टी कमांडेंट के पद से रिटायर पंचकूला में रह रहे विकास सूरी कर रहे स्ट्रॉबेरी की फार्मिग।
दिनेश मित्तल, डेराबस्सी : बीएसएफ से डिप्टी कमांडेंट के पद से रिटायर पंचकूला में रह रहे विकास सूरी और उनकी पत्नी ने 2013 में डेराबस्सी के गांव डेरा जगाधरी में चार एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी फार्मिग शुरू की। विकास ने जानकारी दी की नौकरी के दौरान ही उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती होते हुए देखी तो वहीं से उनको शौक हो गया और मन बना लिया कि स्ट्रॉबेरी की खेती करनी है। पिछले सात साल से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। विकास ने डेराबस्सी से पहले पंचकूला जिले के रायपुररानी में फार्मिंग की है। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने बताया कि एक एकड़ में 23 हजार के करीब पौधे लग जाते हैं, करीब तीन से चार महीने में फल तैयार हो जाते हैं और सीजन में इसमें एक एकड़ में ढाई लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है। सूरी ने जानकारी देते हुए बताया कि वह स्ट्रॉबेरी के लिए मदर प्लांट कैलिफोर्निया से इंपोर्ट किया हुआ लेते हैं। इस मदर प्लांट का आयात कुछ लोग ही करते हैं, परंतु बेहतर क्वालिटी के लिए यह लेना जरूरी है। इसको स्ट्रॉबेरी की मां कह सकते हैं, जोकि जड़ की तरह होता है। उसी से पौधे तैयार होते हैं। पिछले वर्ष साढ़े सात हजार के करीब मदर प्लांट मंगाए गए थे। उसको इक विशेष तरह से लगाया जाता है। देख भाल बहुत करनी पड़ती है। अगर मौसम गरम हो तो काफी मुश्किल होती है। पॉली हाउस सबसे बेहतर विकल्प
विकास सूरी का कहना है कि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए पॉली हाउस सबसे बेहतर विकल्प होता है। लेकिन वे पोधों को पॉलीथिन की शीट से ढककर पोधों को कोहरे से बचाते हैं। जिससे स्ट्रॉबरी सुरक्षित रहे। इसके साथ ही उन्होंने पौधों को बूंद-बूंद पानी पहुंचाने के लिए ड्रिप सिचाई का इंतजाम किया हुआ है। खेती को धूप और पाले से बचाना भी जरूरी है। अतिरिक्त सिचाई जरूरत के हिसाब से ही होनी चाहिए। स्ट्रॉबेरी की खेती अगर सितंबर में लग जाए तो बहुत ही अच्छा है। छह महीने इसकी उपज का सीजन होता है। अगर इस की मार्केटिग की बात की जाए तो नवंबर में इसके बहुत ही अच्छे भाव मिल जाते हैं, दिसंबर में भी इसी तरह रहता है। जनवरी में मार्केट में फसल ज्यादा आ जाने से इसके भाव थोड़े गिर जाते हैं। अभी चंडीगढ़, लुधियाना और दिल्ली मंडी में फल भेजा जा रहा है, जहां उन्हें 400 रुपये से लेकर 700 रुपये प्रति ट्रे के हिसाब से भाव मिल जाता है। दूर-दूर से लोग पहुंच रहे खेती देखने
कृषि विभाग पंजाब से अब कई अधिकारी स्ट्रॉबेरी की फार्मिग देखने उनके फार्म पर खुद पहुचे और साथ ही आस पास के किसानों को इस की खेती करने के लिए जागरूक भी किया जाता है। आस पास के कई गांव के किसानों ने इसमें रूचि भी दिखाई है। कृषि विभाग की और से डिप्टी प्रोजेक्ट अफसर शिखा सिगला, कृषि विकास अफसर अजय पाल सिंह बराड़, मंजीत सिंह और किसानों ने इस स्ट्रॉबेरी फार्म का दौरा किया और अपनी इस फार्मिग को करने में रूचि दिखाई। विकास सूरी का कहना है की अगर सरकार सहयोग के रूप में सब्सिडी दे तो काम करना बहुत ही आसान हो जाएगा।