कैग ने शिअद-भाजपा सरकार की खोली पोल, धांधली रोकने में बताया नाकाम
कैग की रिपोर्ट पंजाब विधानसभा में पेश कर दी गई है। इसमें पूर्ववर्ती शिअद भाजपा सरकार पर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में पूर्ववतीं सरकार पर काफी सवाल खड़े किए गए हैं।
चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। नियंत्रक व मुख्य लेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश की पिछली शिअद-भाजपा सरकार की पोल खोल दी है। विधानसभा में वीरवार को 2016-17 की पेश की गई रिपोर्ट में पिछली सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए गए हैं। कमाई कम और खर्च ज्यादा से लेकर शराब व ट्रांसपोर्ट कारोबारियों सहित केबल कारोबारियों को मोटा लाभ पहुंचाने का खुलासा रिपोर्ट में किया गया है।
विधानसभा में पेश 2016-17 की रिपोर्ट में लगाया गया पिछली सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान
सामाजिक सुरक्षा फंड व गो-कर तथा स्टांप ड्यूटी वसूलने में मोटी धांधली भी रिपोर्ट में उजागर हुई है। साथ ही कहा गया है कि जून 2016 से अक्टूबर 2016 के बीच सरकार ने 1425 करोड़ को निर्धारित मदों से अलग अपनी मर्जी से खर्च किया। कैग ने 2013 से 2017 के बीच सरकार की देनदारी 92282 करोड़ से बढ़कर 182526 करोड़ होने को लेकर सरकार को जिम्मेवार ठहराया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्साइज विभाग ने शराब कारोबारियों व उत्पादकों को करोड़ों रुपये का लाभ राजस्व वसूली में लापरवाही बरत कर दिया है। खासतौर पर मोहाली, कपूरथला व होशियारपुर डिस्टलरी में सरकार ने शराब के उत्पादों की मानीटरिंग ही नहीं करवाई। सरकार ने अपने स्तर पर शराब की गुणवत्ता की भी जांच नहीं करवाई। नियमानुसार शराब उत्पादन को लेकर तय नियमों का पालन भी सरकार ने सुनिश्चित नहीं किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब कारोबारियों से संबंधित फीस वसूली में भी 46.12 करोड़ की ढील दी गई। इसी प्रकार कुछ ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए परिवहन विभाग ने नियमों का पालन नहीं की। डीटीओ लुधियाना, जालंधर, मानसा, संगरूर, फिरोजपुर दफ्तरों ने परमिट फीस वसूली में भी धांधली की। एईटीसी होशियारपुर, जालंधर व मोहाली ने गो-कर के रूप में कारोबारियों से 9.72 करोड़ रुपये की वसूली ही नहीं की।
सामाजिक सुरक्षा फंड में करोड़ों का घालमेल
रिपोर्ट में सरकार द्वारा वसूले जाने वाले सामाजिक सुरक्षा फंड के नाम पर हुई धांधली का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमृतसर, बरनाला, बठिंडा, फिरोजपुर, लुधियाना, जालंधर में इस मद में संबंधित विभागों ने वसूली में लाखों का गोलमाल किया है। बठिंडा में 2015-16 में हुई एक प्रापर्टी की 3.52 करोड़ की सेल डीड में घालमेल का खुलासा किया है। इसी प्रकार बाकी के उक्त जिलों में 114.27 करोड़ के सामाजिक सुरक्षा फंड की जगह 27.83 करोड़ ही वसूले गए। बाकी का हिसाब विभाग अभी तक नहीं दे सके हैं।
कल्चरल सेस के 263 करोड़ बैठकों में उड़ गए
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा 2013 से वसूले जाने वाले कल्चरल सेस के रूप में 2017 तक 269.11 करोड़ रुपये वसूले गए। डायरेक्टर (कल्चरल) इसे सांस्कृतिक मामलों में खर्च करने को लेकर बनी कमेटी का सदस्य होता है, लेकिन विभाग ने 263.40 करोड़ रुपये बैठकों में ही खर्च कर दिए।
आंतरिक परीक्षण न होने से सैकड़ों करोड़ का चूना लगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैग ने रिपोर्ट में कहा है कि स्टांप ड्यूटी, एक्साइज, वैट व सेल्स टैक्स, मोटर व्हीकल टैक्स न मनोरंजन कर विभागों के आंतरिक परीक्षण न होने के चलते सूबे को सैकड़ों करोड़ का चूना लगा है। 1852 यूनिटों का गंभीरता से आडिट होना चाहिए था, लेकिन 185 यूनिट का ही आडिट किया गया। सूबे की आडिट कमेटी की लापरवाही को भी रिपोर्ट में उजागर किया गया है। कहा गया है कि कमेटी की 18 बैठकों में 14502 करोड़ के विवादों को निपटाने की बजाय केवल 20.66 करोड़ के विवादों का ही निपटारा किया जा सका।
-----
कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के नाम पर धांधली
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम नेशनल प्रोग्राम फार प्रिवेंशन एंड कंट्रोल आफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवासकुलर डिसीज एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) और मुख्यमंत्री पंजाब कैंसर राहत कोष स्कीम (एसएसपीसीआरकेएस) के रूप में चलाया जा रहा है। ऑडिट के दौरान दोनों ही स्कीमों में कमियां पाई गई हैं। बिना एक्शन प्लान के ही 2.79 करोड़ रुपये का फंड गलत तरीके से नान-कम्युनिकेबल बीमारियों पर खर्च कर दिए। 14 कार्डिक एंड कैंसर केयर यूनिट में से केवल बठिंडा के एक सीसीयू में ही कैंसर केयर की सुविधाएं मौजूद पाई गईं, यहां भी स्टाफ की नियुक्ति न होने के कारण सेंटर बंद है।
------
दिशाहीन हुआ गमाडा
ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथारिटी (गमाडा) को लेकर कैग ने कहा है कि ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए मकान निर्माण में असफल रहा है। साथ ही 263.29 एकड़ भूमि का निर्धारण करने के बावजूद ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए 201 फ्लैट बनाने के प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर सका। गमाडा ने 289.88 करोड़ दूसरे कामों में खर्च कर दिए।
--------
पोस्ट मैट्रिक घोटाला
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि एससी-बीसी कल्याण विभाग ने 2013-16 के दौरान एससी विद्यार्थियों के स्टडी टूर को लेकर 769 संस्थानों को 49422 विद्यार्थियों के लिए 7.91 करोड़ की बजाय 33 करोड़ रुपये जारी कर दिए। इसी प्रकार 115 विद्यार्थियों ने मेंटिनेंस एलाउंस एंड फीस के रूप में एक ही सत्र के दौरान दो बार 59.12 लाख रुपये की रकम विभाग से हासिल कर ली। 41 शिक्षण संस्थानों ने ऐसे 2441 पोस्ट मैट्रिक विद्यार्थियों के लिए 9.64 करोड़ रुपये हासिल कर लिए, जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी थी।
---------
ड्रग्स को लेकर कैग ने भी जताई चिंता
रिपोर्ट में कैग ने पंजाब में ड्रग्स को लेकर चिंचा जताई है। एनडीपीएस एक्ट को लागू करने के लिए पंजाब सरकार व पुलिस ने कोई ठोस नीति नहीं बनाई और 532 दोषी बरी कर दिए गए।
-------
बादल व सुखबीर का कद बढ़ाने को एलईडी वैन पर 13 करोड़ खर्च
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल के सियासी कद को बड़ा करने के लिए 50 एलईडी वैन पर करीब 13 करोड़ पर खर्च किए गए। अप्रैल 2016 से लेकर जनवरी 2017 तक सामाजिक भलाई स्कीमों के लिए खास करके आटा दाल स्कीम कैंसर ट्रीटमेंट स्किन और भगत पूर्ण सिंह बीमा योजना को लेकर वीडियो क्लिप तैयार करने पर 2.25 करोड़ व उसे प्रसारित करने पर 10 करोड़ पर खर्चे गए।
------
रिपोर्ट की खास बातें
-2012-13 के दौरान सूबे की जीएसडीपी 7407 करोड़ से घटकर वर्ष 2016-17 के दौरान 7311 करोड़ पर आ गई।
-2008-09 और 2016-17 के बीच पूरी होने वाली 12 परियोजनाएं अधूरी रहीं। इन परियोजनाओं पर खर्च 435.35 करोड़ रुपये का अब तक हिसाब नहीं लगा है।
-सिंचाई परियोजनाओं से 2016-17 के दौरान राज्य सरकार को 328.40 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- राजस्व खर्च में 5223 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ।
-पूंजीगत खर्च में 1287 करोड़ का इजाफा हुआ, लेकिन 2016-17 के दौरान राज्य के बजट (4804 करोड़) में पूंजीगत खर्च 10 फीसद तक घट गया।
-गैर-सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की आडिट में 2012-13 में राज्य सरकार का खर्च (राजस्व खर्च, पूंजीगत खर्च और कर्ज व एडवांस) 41571 करोड़ रुपये था, जो 2016-17 में बढ़कर 1,01,006 करोड़ पर पहुंच गया।
-सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश को किनारे करके लोक संपर्क विभाग ने पिछली सरकार के नेताओं को जनता के सामने बड़़े स्तरपर पेश करने के लिए 26 करोड़ खर्च किए।
-अकाली दल व भाजपाको सरकार के रूप में पेश करने के लिए सितंबर 2016 से लेकर जनवरी 2017 के बीच करीब 2100000 रुपए बैनर और होर्डिंग पर खर्च किए गए ।
-गमाडा मोहाली की तरफ से अगस्त 2017 में कॉलोनियों के 18 डेवलपर की तरफ से ईडीसी और लाइसेंस फीस के 174. 57 करोड़ और मेगा प्रोजेक्टों के 13 डेवलपरों से 230, 46 को रोड पर वसूल नहीं किए गए।