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बजट में चंडीगढ़ की अनदेखी, बड़े प्रोजेक्ट्स पर पड़ेगा बुरा असर

बजट में चंडीगढ़ की अनदेखी किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 10:49 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 10:49 PM (IST)
बजट में चंडीगढ़ की अनदेखी, बड़े प्रोजेक्ट्स पर पड़ेगा बुरा असर
बजट में चंडीगढ़ की अनदेखी, बड़े प्रोजेक्ट्स पर पड़ेगा बुरा असर

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में चंडीगढ़ की अनदेखी किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस बार भी मोदी सरकार ने चंडीगढ़ की उपेक्षा की। बजट ने चंडीगढ़ की जनता को एक बार फिर निराश किया है और हर क्षेत्र के बजट में कटौती की है। बंसल ने कहा कि पिछले साल चंडीगढ़ प्रशासन ने 5900 करोड़ रुपये केंद्र से मांगे थे। जबकि 4500 करोड़ रुपये मिले थे। नए प्रोजेक्ट्स के लिए महज 505 करोड़ रुपये थे। 2019-2020 के लिए प्रशासन ने चंडीगढ़ के लिए पिछले साल के मुकाबले 700 करोड़ रुपये कम मांगे। यूपीए ने बढ़ाया था दस फीसद तक बजट

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बंसल ने कहा कि इस बार बजट में 5200 करोड़ रुपये मांगे गए और सिर्फ 4753 करोड़ रुपये दिए गए। यह बढ़ोतरी सिर्फ 5.5 फीसद है। अतीत में चंडीगढ़ का ख्याल रखते हुए कांग्रेस की यूपीए सरकार ने अपने समय में चंडीगढ़ का बजट 10 फीसद तक बढ़ाया था। नए प्रोजेक्ट कैसे शुरू हो पाएंगे

बंसल ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में कैपिटल बजट को 505 करोड़ से कम कर 401 करोड़ ही रख दिया है और इसके कारण किसी भी नए प्रोजेक्ट्स पर रोक लग जाएगी। सरकार चंडीगढ़ में स्वास्थय सेवाओं पर बजट को 80 करोड़ रुपये से कम कर 75 करोड़ कर चुकी है। सड़कों और यातायात के लिए पिछले वर्ष के 30 करोड़ के मुकाबले 23 दिए गए हैं। सवाल यह उठता है कि ऐसे में शहर में परिचालन के लिए नई बसें कहां से आएंगी। बजट में चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारियों को भी निराश किया गया है। उनके आवास के लिए पिछले साल जो बजट 30 करोड़ था। उसे 23 करोड़ कर दिया गया है। इस बजट में मात्र 117 करोड़ रुपये दिए हैं। पिछली बार यह बजट 207 करोड़ रुपये था। भाजपा सरकार ने शहर में न बुजुर्गो, न ही दिव्यांगों का ख्याल रखा। इससे पहले उनके लिए 9 करोड़ का बजट था। जिसे इस बार बेहद कम कर सिर्फ 69 लाख कर दिया है। कैपिटल एक्सपेंडेचर किया गया 20 फीसद कम

कुल मिलाकर कैपिटल एक्सपेंडेचर 505 करोड़ से कम करके 401 करोड़ रुपये कर दिया गया। जोकि 20 फीसद से भी कम हो गया है। गावों की भी अनदेखी इस बजट में की गई है। क्योंकि गांवों के विकास के लिए जो 6 करोड़ का प्रावधान राजस्व व्यय ही होगा। इससे गांवों में कोई नया काम नहीं होगा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि चंडीगढ़ के बजट के लिए जो टिप्पणी की गई हैं। वह पिछले साल की ही है। पिछले साल 50 बिस्तर वाले हेल्थ सेंटर को 250 बिस्तर का नया अस्पताल बनाना, 50 बिस्तर वाले पॉलीक्लीनिक को अपग्रेड करना टिप्पणी थी।


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