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पार्लियामेंट्री स्टेडिंग कमेटी से किरण ने चंडीगढ़ के लिए मांगा 5658 करोड़ का बजट Chandigarh news

खेर ने कहा कि जो बजट दिया है उससे विकास कार्य प्रभावित होंगे। चंडीगढ़ प्रशासन ने जो डिमांड आम बजट के लिए भेजी थी वह एकदम सही थी। इसमें 500 करोड़ का कट सही नहीं है।

By Edited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 08:49 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 08:42 AM (IST)
पार्लियामेंट्री स्टेडिंग कमेटी से किरण ने चंडीगढ़ के लिए मांगा 5658 करोड़ का बजट Chandigarh news
पार्लियामेंट्री स्टेडिंग कमेटी से किरण ने चंडीगढ़ के लिए मांगा 5658 करोड़ का बजट Chandigarh news

चंडीगढ़, जेएनएन। पार्लियामेंट्री स्टेडिंग कमेटी ऑन होम अफेयर्स के सामने बुधवार को दिल्ली में चंडीगढ़ के मुद्दे उठाए गए। सांसद किरण खेर ने कमेटी के सामने चंडीगढ़ को मांग के अनुसार ही 5658 करोड़ रुपये का बजट दिए जाने की मांग रखी। बताया जा रहा है कि खेर ने कमेटी के सामने शहर की सड़कों, डेवलपमेंट वर्क के मुद्दे उठाए। खेर ने कहा कि जो बजट दिया है उससे विकास कार्य प्रभावित होंगे। चंडीगढ़ प्रशासन ने जो डिमांड आम बजट के लिए भेजी थी वह एकदम सही थी। इसमें 500 करोड़ का कट सही नहीं है। बजट में चंडीगढ़ को 5138 करोड़ रुपये मिले हैं। इस कमेटी के चेयरमैन कांग्रेस राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा हैं।

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मीटिंग में चंडीगढ़ का पक्ष रखने के लिए सांसद किरण खेर के साथ प्रशासन के अधिकारी एडवाइजर मनोज कुमार परिदा और फाइनेंस सेक्रेटरी एके सिन्हा भी गए थे। खेर ने कमेटी को बताया कि चंडीगढ़ की अधिकतर सड़कें टूट चुकी हैं। इन्हें बनाने की जरूरत है। इसके लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत है। यह कमेटी अपनी सिफारिशें मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को सौंपेगी। हालांकि अब अतिरिक्त बजट मिलने की संभावना न के बराबर है।

नगर निगम का नहीं चलेगा 425 करोड़ से काम

पार्लियामेंट्री स्टेडिंग कमेटी के सामने नगर निगम को आवंटित बजट का मामला भी उठा। बताया जा रहा है कि किरण खेर ने कमेटी को स्पष्ट कहा कि एमसी का काम 425 करोड़ से नहीं चलेगा। उसके लिए 700 करोड़ मांगे गए थे इसलिए मांग के अनुसार ही पैसा मिलना चाहिए। एमसी में 13 गांवों को शामिल किया गया है। इन गांवों की डेवलपमेंट के लिए भी अतिरिक्त फंड चाहिए। उन्होंने कई सालों से एमसी की तंगहाली का जिक्र भी किया।

इस मीटिंग में तर्क दिया गया कि चंडीगढ़ का दायरा काफी छोटा है। यहां इतनी इंडस्ट्री नहीं है और न ही कोई नया टैक्स लगाया जा सकता है। इसलिए बजट मांग के अनुसार ही मिलना चाहिए। कुल बजट का 50 प्रतिशत तो इंप्लाइज की सैलरी में खर्च हो जाता है। बिजली, ट्रांसपोर्ट पर भी बजट का बड़ा हिस्सा खर्च होता है। जिसके बाद डेवलपमेंट के लिए फंड बेहद कम बचता है।

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