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पंजाब विधानसभा में फिर गूंजा दैनिक जागरण, एकजुट विपक्ष ने मांगा मंत्री आशु का इस्तीफा

पंजाब विधानसभा में एक बार फिर दैनिक जागरण की खबर गूंजी। इस बार लुधियाना ग्रैंड मैनर होम्स के निर्माण सियासी संरक्षण मामले में घिरे मंत्री भारत भूषण आशु ने खुद यह मामला खुद उठाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 10:02 AM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 08:56 AM (IST)
पंजाब विधानसभा में फिर गूंजा दैनिक जागरण, एकजुट विपक्ष ने मांगा मंत्री आशु का इस्तीफा
पंजाब विधानसभा में फिर गूंजा दैनिक जागरण, एकजुट विपक्ष ने मांगा मंत्री आशु का इस्तीफा

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा में एक बार फिर दैनिक जागरण की खबर गूंजी। इस बार लुधियाना ग्रैंड मैनर होम्स के निर्माण में सियासी संरक्षण के मामले में घिरे कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु ने यह मामला खुद उठाया, लेकिन स्पीकर ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। बाद में शून्यकाल में मुद्दा उठा। मुद्दे पर विपक्षी आम आदमी पार्टी व अकाली दल एकजुट दिखा। नेता प्रतिपक्ष हरपाल चीमा ने आशु व नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे की मांग की। आप व अकाली दल के विधायक वेल तक पहुंच गए।

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इस दौरान अकाली दल व कांग्रेस विधायकों में जमकर तू-तू, मैं-मैं भी हुई। सिद्धू मामले पर कुछ बोलने लगे तो विपक्षी विधायकों ने जमकर हंगामा किया। सदन में पहली बार विपक्ष एकजुट दिखा। आप विधायकों ने वेल में जाकर नारेबाजी की। इसके बाद आशु सदन से बाहर चले गए। बाद में, आप विधायकों ने भी सदन से वाकआउट कर दिया। इसके बाद आशु सदन के अंदर वापस आए।

इससे पूर्व, आशु ने कहा कि सरकार मामले की जांच किसी से भी करवाए या हाउस कमेटी बनाए। इस पर आम आदमी पार्टी के विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। सदन में नेता प्रतिपक्ष हरपाल चीमा ने ऑडियो सुनाने की बात कही, लेकिन स्पीकर ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। इस दौरान आप विधायक कंवर संधू ने कहा कि उन्हें कमेटी मंज़ूर है, पर मंत्री को इस्तीफ़ा देना होगा।

बता दें, लुधियाना ग्रैंड मैनर होम्स मामले को दैनिक जागरण ने उजागर किया था। इसके बाद सदन में आम आदमी पार्टी की नेत्री सरबजीत कौर माणूके ने उठाया था। इस पर कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि मंत्री हो या संतरी वह मामले में किसी को नहीं छोड़ेंगे। ग्रैंड मैनर होम्स प्रोजेक्ट की जांच के बाद सामने आई गड़बड़ियों को लेकर विपक्ष ने कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। आप का कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री द्वारा भारत भूषण आशु से इस्तीफा नहीं लिया जाता और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर।

1.58 लाख करोड़ के बजट पर विधानसभा ने लगाई मुहर

आरोप-प्रत्यारोप और लंबी बहस के बाद पंजाब विधान सभा में 1.58 लाख करोड़ रुपये का बजट पास हो गया। 18 फरवरी को पेश हुए बजट में संशोधन करते हुए वित्तमंत्री ने राजपुरा, गिद्दड़बाहा और शाहकोट में एक-एक ट्रोमा सेंटर देने की घोषणा की। वहीं, राणा गुरजीत सिंह की मांग पर वित्तमंत्री ने 30-40 गांवों के छप्पर की सफाई और उसके पानी को पुन: उपयोग में लाने के लिए 3 करोड़ रुपये से पाइलट प्रोजेक्ट शुरू करने की भी घोषणा की।

इससे पहले बजट पर हुई बहस का जवाब देते हुए मनप्रीत बादल ने अकाली दल के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2016-17 में पंजाब का ग्र्रोथ दर 7.16 थी। ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मनप्रीत ने कहा कि अकाली दल के पांच सालों के बीच ग्र्रोथ दर 5.82 फीसदी थी, जोकि चालू वर्ष में 5.93 फीसदी आने की उम्मीद है। सुखबीर बादल की तरफ से उठाए गए सवाल कि उनकी सरकार में माइनिंग से 102 करोड़ से अधिक का राजस्व आया, जबकि कांग्र्रेस सरकार में यह 32 करोड़ तक सिमट गया है, के जवाब में मनप्रीत ने कहा कि चूंकि पंजाब सरकार की माइनिंग पॉलिसी पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दी थी। इस वजह से रेवेन्यू कम हुआ है।

अकाली दल की तरफ से पे कमीशन और डीए को लेकर उठाए गए सवालों का हालांकि वित्तमंत्री ने जवाब नहीं दिया। अलबत्ता राजपुरा थर्मल प्लांट को जाती नहर के सरप्लस पानी को अप लिफ्ट करने के लिए 8.50 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान किया। इसी प्रकार से महाराजा रणजीत सिंह के पैतृक गांव संगरूर के बडरुखा में यादगारी बनाने के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया। जबकि इससे पहले सुखबीर बादल ने मनप्रीत बादल पर बजट के आंकड़ों को बनावटी बताया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार की आय कम हो रही है और खर्चे बढ़ रहे है। दस वर्षो में अकाली दल ने 89000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। जबकि कांग्र्रेस ने दो साल में 30,000 करोड़ से ज्याद का कर्ज ले लिया है और अगले वर्ष यह 45,000 करोड़ तक पहुंच जाएगा।

संगत दर्शन में बांटी जाने वाली राशि भी शामिल करने ज्यादा लग रहा बजट : मनप्रीत

सुखबीर बादल की तरफ से बजट में खर्च बढ़ाने के संबंध में उठाए गए सवाल के जवाब में मनप्रीत बादल ने कहा कि पूर्व में आरडीएफ व मंडी बोर्ड के फंडों को संगत दर्शन में बांटा जाता था। इसे बजट में शामिल नहीं किया जाता था, लेकिन कांग्र्रेस सरकार  इसे बजट में लेकर आई है। इसीलिए देखने में यह ज्यादा लग रहा है। मनप्रीत ने कहा कि पिछले वर्ष नोटबंदी और जीएसटी का भी असर रहा।

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