Move to Jagran APP

यौन उत्पीड़न मामले में BSF के डीआइजी केसी पाधी को हाई कोर्ट ने किया बरी

पाधी के कार्यकाल के दौरान 40 आतंकी मारे गए थे। यौन उत्पीड़न मामले में सीबीआइ उन्हें दोषी साबित करने में नाकाम रही है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 12:55 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 12:55 PM (IST)
यौन उत्पीड़न मामले में BSF के डीआइजी केसी पाधी को हाई कोर्ट ने किया बरी
यौन उत्पीड़न मामले में BSF के डीआइजी केसी पाधी को हाई कोर्ट ने किया बरी

चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में 2006 के चर्चित जम्मू-कश्मीर यौन उत्पीड़न केस में दोषी करार दिए गए बीएसएफ के तत्कालीन डीआइजी केसी पाधी को बरी करते हुए चंडीगढ़ जिला अदालत के मई 2018 के फैसले को रद कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि पूरे मामले में सीबीआइ उन्हें दोषी साबित करने में नाकाम रही है। सिर्फ केसी पाधी और अर्धसैनिक बलों के खिलाफ चलाए गए एजेंडे के तहत ही उन्हें इस मामले में फंसाया गया था। जस्टिस अरविंद सांगवान ने वीरवार को इस मामले में पाधी सहित अन्य चार द्वारा सजा के खिलाफ दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया।

loksabha election banner

वहीं, अन्य चार दोषी जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डीएसपी मोहम्मद अशरफ मीर सहित शब्बीर अहमद लवाय उर्फ शब्बीर काला, शब्बीर अहमद लोन और मसूद अहमद की सजा बरकरार रखते हुए अपीलें खारिज कर दी हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि जो तथ्य पेश किए गए हैं, उनसे साफ है कि पाधी को फंसाया गया। उन पर यह आरोप लगाया गया था कि श्रीनगर के कैंप में उनके घर पहले पीसीओ से फोन कर बाद में घर लड़कियां पहुंचाई गई, साबित नहीं हुआ है। क्योंकि यहां हाई सिक्योरिटी कैंप है। ऐसे में बिना पहचान बताए कैसे कैंप के अंदर उन्हें घर पर यह लड़कियां पहुंचा दी गई। पाधी के कार्यकाल के दौरान 40 आतंकी मारे गए थे। अकसर होने वाली मीडिया ब्रीफिंग वही किया करते थे, ऐसे में उन्हें इस मामले में आरोपित बनाना किसी संगठन का अर्धसैनिक बलों के खिलाफ एजेंडा नजर आता है।

क्या था मामला

जम्मू एंड कश्मीर पुलिस को एक नाबालिग लड़की का एमएमएस मिला था। इसके बाद की गई जांच में पता चला कि शबीना अपने घर में देह व्यापार करती है। पुलिस ने उसके घर पर छापा मारकर 12 लड़कियां बरामद की थी। इनमें से एक नाबालिग ने खुलासा किया कि शबीना युवतियों को मंत्रियों और पुलिस अफसरों के पास भेजती थी। सीबीआइ ने चार सितंबर 2006 को 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। नौ चार्जशीट दायर की गई थीं। सितंबर 2006 में मामले को चंडीगढ़ जिला अदालत में ट्रांसफर दिया गया था।

शालीनता से पूछे जाएं पीड़िता से सवाल

हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की सभी अदालतों को आदेश दिए हैं कि दुष्कर्म के केस में पीड़िता से बचाव पक्ष द्वारा की जाने वाले क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान शालीनता बरती जाए और ज्यादा जानकारी न मांगी जाए और पीड़िता से अत्याधिक सवाल न पूछे जाएं। अगर बचाव पक्ष का वकील ऐसा कुछ करे तो अदालत को मूक-दर्शक न बन उसे ऐसा किए जाने से रोकना चाहिए। जस्टिस अरविंद सांगवान ने यह निर्देश जम्मू-कश्मीर सेक्स स्केंडल के दोषियों की सजा के खिलाफ दायर अपील कर सुनवाई करते हुए दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस केस में पीड़िता से बचाव पक्ष ने कई ऐसे सवाल पूछे, जो सही नहीं थे, जिनका केस से लेना-देना नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के पंजाब सरकार बनाम गुरमीत सिंह के केस में यह निर्देश दिए थे और कहा था कि दुष्कर्म पीड़िता से अत्याधिक सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए। सांगवान ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को इन आदेशों की कॉपी पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की सभी अदालतों के जजों तक पहुंचाने के आदेश दे दिए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.