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'बॉर्डर' सिर्फ एक फिल्म, टैंकों के आगे लड़ने वाले चांदपुरी कहीं ज्यादा बहादुर थे

90 सैनिकों ने टैंकों के साथ आए 2000 सैनिकों को खदेड़ दिया था। यह सब चांदपुरी के हौसले और जज्बे की बदौलत संभव हो सका था।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 07:30 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 08:48 PM (IST)
'बॉर्डर' सिर्फ एक फिल्म, टैंकों के आगे लड़ने वाले चांदपुरी कहीं ज्यादा बहादुर थे
'बॉर्डर' सिर्फ एक फिल्म, टैंकों के आगे लड़ने वाले चांदपुरी कहीं ज्यादा बहादुर थे

डीगढ़ [विकास शर्मा]। 'बॉर्डर' सिर्फ तीन घंटे की फिल्म है, रातभर दर्जनों टैंकों के गोलों के सामने शेरों की तरह लड़ने वाले ब्रिगेडियर केएस चांदपुरी और उनके बहादुर सैनिक इससे कहीं ज्यादा दिलेर थे। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में ब्रिगेडियर केएस चांदपुरी के साथ बॉर्डर पर लड़ने वाले वीर चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित रिटायर्ड कर्नल गुरजीत सिंह बाजवा ने बताया कि यह इतिहास में पहली बार हुआ होगा जब 90 सैनिकों ने टैंकों के साथ आए 2000 सैनिकों को खदेड़ दिया। यह सब चांदपुरी के हौसले और जज्बे की बदौलत संभव हो सका।

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बीपी -638 एरिया को भी बचाने में भी अहम भूमिका

रिटायर्ड कर्नल गुरजीत सिंह बाजवा ने बताया कि वह पंजाब रेजिमेंट में थे और जेसलमेर में ही तैनात थे। ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी और उनके सैनिकों ने रातभर पाक सेना को रोके रखा। सुबह जब हमारी टुकड़ी उनके पास पहुंची तो चांदपुरी ने हमें दुश्मन की पूरी स्थिति बताई।

लोंगेवाला चेकपोस्ट से भागे पाक सैनिकों ने बार्डर पिलर-638 एरिया पर कब्जा कर लिया था। यह क्षेत्र भी भारतीय सीमा में था। लोंगेवाला चेकपोस्ट पर भारतीय सेना का पराक्रम देखकर सेना का उत्साह 7वें आसमान पर था। इसके बाद हमने उस एरिया को भी पाक सेना से मुक्त करवाया। ऐसे में बीपी -638 एरिया पर भी कब्जा दिलाने में चांदपुरी की अहम भूमिका थी।

लोंगेवाला कन्टोनमेंट एरिया में है चांदपुरी के नाम की सड़क

रिटायर्ड कर्नल गुरजीत सिंह ने बताया कि पिछले साल दिसंबर 2017 में वह और केएस चांदपुरी लोंगेवाला चेकपोस्ट पर गए थे। इसी दौरान 1971 के युद्ध का डेमो दिखायी गया, जिसमें बीएसएफ और आर्मी के जवानों ने हिस्सा लिया। लोंगेवाला चेकपोस्ट अब स्मारक के रूप में देखी जाती है, जहां हर साल हजारों लोग आते हैं। इसके अलावा लोंगेवाला कन्टोनमेंट एरिया में एक सड़क भी ब्रिगेडियर चांदपुरी के नाम पर बनी हुई है।

बेमिसाल थे वो

रिटायर्ड कर्नल गुरजीत सिंह ने बताया कि लोंगेवाला चेकपोस्ट पर 4 दिसंबर को भारतीय सेना ने जो इतिहास बनाया उसकी मिसाल दुनियाभर की फौजें अपने सैनिकों को देती हैं। यह सब आम नहीं था, लेकिन ब्रिगेडियर चांदपुरी ने यह करके दिखाया था। उनके बारे में यही कहा जा सकता है यही मिसाल थी उनकी, बेमिसाल थे वो।

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