Chandigarh Politics: शहर को 17 को मिलेगा नया BJP अध्यक्ष, गुटबाजी खत्म करना होगा चुनौती
नया भाजपा अध्यक्ष ही अगले होने वाले निगम चुनाव के लिए टिकटों का बंटवारा करेगा। पार्टी को दोबारा जीत दिलाने के उन्हें गुटबाजी पर लगाम लगानी ही होगी।
चंडीगढ़ [राजेश ढल्ल]। चंडीगढ़ भाजपा को 17 जनवरी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। पार्टी हाईकमान की ओर से नए अध्यक्ष का नाम तय कर लिया गया है। सिर्फ नाम की घोषणा शेष है। हालांकि नए प्रदेश अध्यक्ष की राह आसान नहीं होगी। सबसे बड़ी चुनौती स्थानीय नेताओं और पार्षदों की गुटबाजी खत्म करना होगी। निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन अपने कार्यकाल में कई चुनाव जीतने के बावजूद गुटबाजी समाप्त नहीं कर पाए। उन्होंने नए कार्यकर्ताओं और घर बैठ चुके पुराने नेताओं को जोड़कर सगठन जरूर किया। इस स्थिति को बनाए रखना भी नए अध्यक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी।
इस माह की शुरुआत में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान शहर में नए अध्यक्ष पर नेताओं और पार्षदों की राय लेने के लिए आए थे। तब पूर्व मेयर अरुण सूद को कोर ग्रुप के अधिकतर नेताओं और पार्षदों ने पहली पंसद बताया था। सांसद किरण खेर भी अरुण सूद के पक्ष में आ गई हैं जबकि अध्यक्ष संजय टंडन पहले से ही सूद के नाम पर अपनी सहमति दे चुके हैं। अरुण सूद के खिलाफ है जैन गुट है।
चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष बनने की दौड़ में अरुण सूद, देवेश मोदगिल और रामवीर भट्टी के नाम आगे चल रहे हैं।
जैन गुट की ओर से पूर्व मेयर देवेश मोदगिल का नाम अध्यक्ष पद के लिए बढ़ाया गया है। जैन गुट हाईकमान पर यह दबाव बना रहा है कि अगर मोदगिल को नया अध्यक्ष नहीं बनाया जा रहा था तो अरुण सूद को भी अध्यक्ष न बनाया जाए। किसी तीसरे को अध्यक्ष बना दिया जाए। अध्यक्ष पद की दौड़ में रामवीर भट्टी भी शामिल हैं लेकिन उनके नाम पर सांसद किरण खेर तैयार नहीं है। वहीं, टंडन गुट की ओर से सूद को पहली और भट्टी को दूसरी पंसद बताया गया है। वैसे रामवीर भट्टी के साथ किसी नेता का कोई विवाद नहीं है। भट्टी संगठन के साथ जुड़े पुराने नेता हैं।
अगले साल निगम चुनाव में दोबारा जीतना चुनौती
अगले साल दिसंबर में नगर निगम चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा को फिर से जीत दिलवाना नए अध्यक्ष के लिए चुनौती होगा। पिछले चुनाव में 26 में से 20 सीटाें पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। अगले साल होने वाले एमसी चुनाव के लिए भाजपा के नए अध्यक्ष ही उम्मीदवारों को टिकट बांटेगे।
17 जनवरी को टंडन को हो जाएंगे दस साल
17 जनवरी को भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष संजय टंडन को पद पर बने हुए पूरे दस साल हो जाएंगे। अभी तक देश भर में कोई भी प्रदेश अध्यक्ष ऐसा नहीं रहा है जो कि दस साल तक पद पर बना रहा हो। पार्टी संविधान के अनुसार कोई भी दो कार्यकाल से ज्यादा बार अध्यक्ष नहीं रह सकता है। एक कार्यकाल तीन साल का होता है।
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