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शराब कारोबारियों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार का बडा़ कदम, कोटे में दी राहत

पंजाब सरकार ने शराब कारोबारियों को नुकसान से बचाने के लिए अहम कदम उठाया है। सरकार शराब कारो‍बारियों को कोटे से राहत देगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 12:35 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 12:35 PM (IST)
शराब कारोबारियों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार का बडा़ कदम, कोटे में दी राहत
शराब कारोबारियों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार का बडा़ कदम, कोटे में दी राहत

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। नई आबकारी नीति में शराब कारोबारियों को दी जाने वाली रियायतों को लेकर मंत्रियों और चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह में हुए विवाद के कारण खजाने को होने वाले 350 करोड़ रुपये के नुकसान को काफी गंभीरता से लिया गया है। शराब कारोबारियों को नुकसान से बचाने के लिए कोटे में राहत दी गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा इस विवाद से शराब कारोबारियों, खजाने को होने वाले नुकसान से बचने के लिए जो बीच का रास्ता निकाला गया है उससे अब खजाने में 73 करोड़ रुपये अतिरिक्त आएंगे।

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शराब कोटे में 30 जून तक बीस फीसद की कमी की गई

ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफारिश के बाद कर एवं आबकारी विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश में शराब कारोबारियों को दिए गए मिनिमम गारंटी कोटा में 7 मई से 30 जून तक बीस फीसद की कमी कर दी गई है। इससे खजाने को 72 करोड़ का नुकसान होना तय है, लेकिन राज्य सरकार ने दो दिन पहले ही ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफारिश पर कोविड सेस लगाने का जो फैसला लिया है उससे खजाने में 145 करोड़ रुपये आएंगे। साफ है कि 73 करोड़ का सरकार को फिर भी लाभ होगा।

सरकार ने निकाला बीच का रास्ता, खजाने में 73 करोड़ अतिरिक्त आएंगे

1 अप्रैल से लेकर 6 मई तक पंजाब में लॉकडाउन के कारण ठेके बंद थे जिस कारण शराब कारोबारियों को नुकसान हो रहा था। उनको राहत प्रदान करने के लिए मुख्य सचिव करण अवतार सिंह जिनके पास तब कर एवं आबकारी विभाग का चार्ज भी था, ने तीन विकल्प मंत्री समूह के सामने रखे थे।

ऐसा करने से खजाने को 350 करोड़ का नुकसान होना था। उनका सुझाव था कि या तो शराब कारोबारियों का वित्तीय वर्ष उतने समय के लिए बढ़ा दिया जाए जितने समय के लिए लॉकडाउन के कारण ठेके बंद थे। या फिर उनका मिनिमम गारंटी कोटा पूरे वर्ष के लिए कम कर दिया जाए।

तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत चन्नी ने चीफ सेक्रेटरी के सुझाव पर ऐतराज जताया जिसको लेकर चीफ सेक्रेटरी गुस्से में आ गए। चीफ सेक्रेटरी के व्यवहार पर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने भी ऐतराज किया और वह मीटिंग से उठकर बाहर चले गए। मंत्रियों और चीफ सेक्रेटरी के बीच हुए इस विवाद ने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा थमा दिया। विपक्ष का आरोप है कि यह 5600 करोड़ रुपये का घोटाला है जिसकी सीबीआइ से जांच होनी चाहिए।

इस विवाद को निपटाने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया जिसमें सुखबिंदर सिंह सरकारिया, विजय इंद्र सिंगला, वित्तमंत्री मनप्रीत बादल और वन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत शामिल थे। इन्होंने कोविड सेस लगाने और तीन बड़े महानगरों अमृतसर, जालंधर और लुधियाना के अधीन आने वाली नगर काउंसिलों में बीस फीसद कोटा घटाने की सिफारिश की है, जबकि शेष पंजाब में दस फीसद।

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