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शिअद को बड़ा झटका, दूसरे सबसे वरिष्ठ नेता ढींडसा ने दिया सभी पदों से इस्तीफा

शिरोमणि अकाली दल के दूसरे सबसे वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने पार्टी के सभी पदोंं से इस्तीफा दे दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 30 Sep 2018 09:46 AM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 05:10 PM (IST)
शिअद को बड़ा झटका, दूसरे सबसे वरिष्ठ नेता ढींडसा ने दिया सभी पदों से इस्तीफा
शिअद को बड़ा झटका, दूसरे सबसे वरिष्ठ नेता ढींडसा ने दिया सभी पदों से इस्तीफा

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। शिरोमणि अकाली दल के दूसरे सबसे वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने पार्टी के सभी पदोंं से इस्तीफा दे दिया है। वह पार्टी के सेक्रेटरी जनरल थे। उन्होंने पार्टी की कोर कमेटी, सेक्रेटरी जनरल आदि पदों से इस्तीफा दिया है। हालांकि वह राज्यसभा के मेंबर बने रहेंगे। पार्टी प्रधान सुखबीर बादल को भेजे गए इस्तीफे में ढींडसा ने इस्तीफा देने का कारण स्वास्थ्य ठीक न होना बताया है।

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सुखबीर बादल को भेजे पत्र में ढींडसा ने लिखा है कि उम्र के ऐसे मुकाम पर आकर कभी कभी शरीर और मन साथ नहीं देता। पिछले काफी समय से मुझे मानसिक और शारीरिक तौर पर ऐसा लग रहा था कि मैंंने पार्टी में अपनी पारी खत्म कर ली है। अब इस क्षेत्र में सरगर्म रहने के लिए मेरी सेहत मुझे इजाजत नहीं देती।

दूसरी तरफ पर्दे के पीछे माना जा रहा है कि सुखदेव सिंह ढींडसा पिछले कई महीनों से पार्टी प्रधान सुखबीर बादल से नाराजगी चल रही थी। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं को लेकर वह काफी आहत थे। यह ठीक है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लेकिन उनका इस्तीफा जिस मौके पर आया है, उससे उनके इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य को बिल्कुल नहीं कहा जा सकता।

कई अन्य सीनियर नेता भी हैं नाराज

पता चला है कि सुखदेव सिंह ढींडसा के अलावा रंजीत सिंह बह्मपुरा, रतन सिंह अजनाला और सेवा सिंह सेखवां जैसे वरिष्ठ नेता भी नाराज हैं। अगर सुखबीर बादल या प्रकाश सिंह बादल ढींडसा को मनाने में कामयाब न हुए तो अकाली दल में और भी कई बड़े इस्तीफे हो सकते हैं।

पटियाला रैली से पहले इस्तीफा देना पार्टी के लिए खतरे की घंटी

शिरोमणि अकाली दल इस समय बहुत बड़े संकट से गुजर रहा है। इस संकट से निजात पाने के लिए पार्टी नेता जहां जगह जगह कांग्रेस को रैलियां करके चुनौती दे रहे हैं वहीं, पटियाला में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के शहर में ही अकाली दल ने सात अक्टूबर को रैली रख दी है। सात को होने वाली इस रैली से पहले पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता का इस्तीफा देना पार्टी के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।

जत्थेदार को हटाने को लेकर सुखबीर के साथ हुई थी तू-तू मैं-मैं?

जानकार सूत्रों का कहना है कि सुखदेव सिंह ढींडसा ने अपना इस्तीफा राजनीतिक कारणों के चलते नहीं बल्कि सुखबीर से नाराजगी के चलते दिया है। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों हुई कोर कमेटी की मीटिंग में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को हटाने को लेकर सुखबीर बादल और ढींडसा में तू-तू मैं-मैं भी हुई।

ढींडसा चाहते थे कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी देने के मामले में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से इस्तीफा लिया जाए, जबकि सुखबीर इस पर राजी नहीं थे। ढींडसा खुद भी सार्वजनिक बयान में यह कह चुके हैं कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को इस्तीफा दे देना चाहिए।

बेटे परमिंदर ढींडसा ने दी इस्तीफे पर सफाई

उधर, पूर्व वित्तमंत्री और सुखदेव सिंह ढींडसा के बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा ने अपने पिता के इस्तीफे पर सफाई देते हुए कहा है कि उनका परिवार शिरोमणि अकाली दल के प्रति प्रतिबद्ध है। उनके पिता ने रिटायरमेंट केवल सरगर्म राजनीति से ली है। उन्होंने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। हाल ही में उनकी बाईपास सर्जरी हुई है और उनके कंधे में भी दर्द है। मीटिंग में शामिल होने के लिए अक्सर उन्हें दर्द निवारक दवाओं का सहारा लेना पड़ता है।

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