Move to Jagran APP

अफसरशाही रही हावी, ट्रांसफर और नई ज्वाइनिंग के बीच रुके रहे शहर के बड़े प्रोजेक्ट

साल 2018 चंडीगढ़ के लिए बेहद अहम रहा। शुरुआती माह में ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पीजीआइ में बनी 300 बेड की सराय का उद्घाटन कर मरीजों और उनके तीमारदारों को एक बड़ी राहत दी।

By Edited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 06:16 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 10:43 AM (IST)
अफसरशाही रही हावी, ट्रांसफर और नई ज्वाइनिंग के बीच रुके रहे शहर के बड़े प्रोजेक्ट
अफसरशाही रही हावी, ट्रांसफर और नई ज्वाइनिंग के बीच रुके रहे शहर के बड़े प्रोजेक्ट

विशाल पाठक, चंडीगढ़ : साल 2018 चंडीगढ़ प्रशासन के लिए बेहद अहम रहा। साल के शुरुआती माह में ही केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पीजीआइ में बनी 300 बेड की सराय का उद्घाटन कर मरीजों और उनके तीमारदारों को एक बड़ी राहत दी। पीजीआइ की इस सराय को इन्फोसिस और रेडक्रॉस सोसायटी के साथ सीएसआर फंड के तहत चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा बनाया गया था। पूर्व डीसी अजीत बालाजी जोशी को इस प्रोजेक्ट के लिए श्रेय दिया गया था। पूरे साल हावी रही अफसरशाही प्रशासनिक गलियारों की अगर बात करें तो अफसरशाही पूरी तरह हावी रही। जिसका असर शहर के बड़े प्रोजेक्टों पर देखने को मिला। चाहे फिर मेट्रो की बात करें या फिर सिटीजन पार्किंग पॉलिसी की। अफसरों की आपसी खींचतान का असर इन प्रोजेक्टों पर पड़ा। दूसरी तरफ आइएएस, पीसीएस और एचसीएस के ट्रांसफर और न्यू ज्वाइनिंग की चर्चा साल भर बनी रहीं।

loksabha election banner

प्रोजेक्टों पर दिखा अफसरों के आने-जाने का असर टेन्योर पूरा होते ही अफसरों की रिली¨वग और नए अफसरों की ज्वाइ¨नग का असर भी शहर के अहम प्रोजेक्टों पर देखने को मिला। जहां इस साल पूर्व होम सेक्रेटरी अनुराग अग्रवाल, पूर्व डीसी अजीत बालाजी जोशी, पूर्व सेक्रेटरी विजिलेंस केके ¨जदल, पूर्व एडवाइजर परिमल राय, आइएफएस संतोष कुमार जैसे कई सीनियर अफसरों के ट्रांसफर हो गए। इन अफसरों की जगह नए एडवाइजर मनोज कुमार परीदा, नए होम सेक्रेटरी अरुण कुमार गुप्ता, नए डीसी मनदीप ¨सह बराड़ जैसे कई सीनियर आइएएस, एचसीएस और पीसीएस अफसरों की ज्वाइ¨नग हुई। प्रशासन ने वर्ष 2018 में लिए यह अहम फैसले -साल के शुरुआत में ही जनरल पावर ऑफ अटार्नी (जीपीए) और स्पेशल पावर ऑफ अटार्नी (एसपीए) पर प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने को लेकर अहम फैसला हुआ। 11 अक्तूबर 2011 के बाद हुई सभी जीपीए और एसपीए के जरिये प्रॉपर्टी ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई। यूटी प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को ध्यान में रखते यह फैसला लिया। शहर में हजारों प्रॉपर्टी इसी आधार पर ट्रांसफर हुई हैं। -60 हजार परिवारों को नीड बेस्ड चेंज का तोहफा मिला। चंडीगढ़ हाउ¨सग बोर्ड के मकानों में रह रहे हजारों अलॉटियों को घरों में किए गए जरूरत अनुसार बदलावों को नीड बेस्ड चेंज पॉलिसी के साथ मंजूरी दी गई। वन टाइम सेटलमेंट से लोगों को नोटिस से छुटकारा मिला। इस पर प्रशासन ने साल के आखिरी में फाइनल नोटिफिकेशन भी जारी कर दी। -ग्रुप हाउ¨सग सोसायटीज के लिए प्रशासन ने फ्लैट ट्रांसफर का रास्ता खोला।  सांसद किरण खेर ने प्रशासक वीपी ¨सह बदनौर से मिलकर इस मुद्दे को जल्द हल कराने की मांग रखी थी। प्रशासन ने सोसायटी में फ्लैट ट्रांसफर और कन्वेंस डीड के लिए 30 जून 2019 तक मौका दिया है।   पूर्व प्रशासक शिवराज पाटिल के समय से लीज होल्ड टू फ्री होल्ड का मुद्दा नहीं सुलझ सका। इसके अलावा प्रशासन ने पहली इंडस्ट्रियल पॉलिसी में औद्योगिक क्षेत्र में वेयर हाउस, वर्कशॉप, प्रॉपर्टी में अंदरूनी बदलाव की अनुमति, खाली प्लॉटों का आवंटन आदि मुद्दों पर प्रशासन ने उद्योगपतियों को राहत देने की सहमति जताई थी। लेकिन उद्योगपतियों की मांगें आज भी फाइलों में धूल फांक रही हैं। 297 बस क्यू शेल्टर का निर्माण कार्य पिछले तीन साल से पें¨डग स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में करीब 297 बस क्यू शेल्टर बनाए जाने हैं। बस क्यू शेल्टर के प्रपोजल को अप्रूवल मिले तीन साल हो चुके हैं। लेकिन पिछले दो साल से 297 बस क्यू शेल्टर फाइलों में धूल फांक रहे हैं। अब तक इन बस क्यू शेल्टर का निर्माण नहीं शुरू हुआ है। सेक्टर-17 बस स्टैंड के पास ट्रायल बेस पर एक बस क्यू शेल्टर का निर्माण किया जा रहा है। इसके डिजाइन और क्वालिटी अप्रवूल के बाद ही बाकी के बस शेल्टरों का निर्माण शुरू होगा। आर्किटेक्ट डिपार्टमेंट की ओर से कंक्रीट बस क्यू शेल्टर को लेकर सुझाव दिया गया है।

बजट के अभाव के चलते यह कार्य टाइम पर पूरा नहीं हो सका है। वर्ष 2016 में यूटी प्रशासन ने नई मंडी बनाने के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। दो साल गुजर जाने के बावजूद अब तक मंडी का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। बता दें कि सेक्टर-26 ग्रेन मार्केट में आढ़तियों, फल व सब्जी विक्रेताओं के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली से आढ़तियों के पास जो सामान आता है, उसे रखने के लिए यहां पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है। सेक्टर-39 में नई मंडी बनने से आढ़तियों, फल व सब्जी विक्रेताओं को काफी राहत मिलेगी। साथ ही पंजाब, हरियाणा और हिमाचल से माल लेकर आने वाले किसानों को अपना सामान बेचने में भी आसानी होगी। 50 एकड़ एरिया को नाबार्ड की नेबकॉन्स एजेंसी डेवलप करेगी बता दें कि अब सेक्टर-39 में नई मंडी के 50 एकड़ एरिया को नाबार्ड की नेबकॉन्स एजेंसी डेवलप करेगी। नाबार्ड की ओर नई मंडी के लिए मंडी बोर्ड को 100 करोड़ रुपये दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है। नई मंडी के इस 50 एकड़ एरिया में गारबेज प्लांट, स्ट्रीट लाइट, ऑफिस बिल्डिंग, सड़कों का निर्माण आदि किया जाएगा। 50 एकड़ एरिया में नाबार्ड की डेवल¨पग एजेंसी नेबकॉन्स किन प्रोजेक्टों को पूरा करेगी, इसके लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए कहा गया है। ताकि प्रोजेक्ट की डिटेल रिपोर्ट नाबार्ड को मंजूरी के लिए भेजी जा सके। यूटी प्रशासन सेक्टर-39 में 75 एकड़ में ग्रेन मार्केट और सब्जी मंडी तैयार कर रहा है। इस मंडी के बनने से शहर के लोगों को एक नई ग्रेन मार्केट और सब्जी मंडी मिल जाएगी। नई मंडी के बनने से व्यापारियों, सब्जी व फल विक्रेताओं और किसान मंडी को राहत मिलेगी। वहीं, सेक्टर-26 की ग्रेन मार्केट से होने वाली ट्रैफिक की दिक्कत भी काफी हद तक कम होगी। पीजीआइ का एक्सपेंशन प्लान हुआ पास, अभी करना होगा लंबा इंतजार पीजीआइ का एक्सपेंशन प्लान बनकर तैयार है, जिसे मंजूरी भी मिल चुकी है। लेकिन सारंगपुर में होने वाली पीजीआइ के एक्सपेंशन प्लान को अभी समय लगेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत में सबसे पहले ओपीडी बनेगी। पीजीआइ प्रशासन सारंगपुर में होने वाली एक्सपेंशन में ओपीडी, इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर को शिफ्ट किया जाने का प्लान है। लेकिन अब पीजीआइ ने सारंगपुर में सबसे पहले ओपीडी को शिफ्ट करने का प्लान बनाया है। पीजीआइ सारंगपुर में बनने वाली नई ओपीडी का आर्किटेक्चरल डिजाइन और बजट एस्टीमेट तैयार करके हेल्थ मिनिस्ट्री को भेजेगा। ताकि हेल्थ मिनिस्ट्री सारंगपुर में बनने वाली नई ओपीडी के लिए बजट को मंजूरी दे सके। हेल्थ मिनिस्ट्री सैद्धांतिक तौर पर सारंगपुर में ओपीडी, इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर शिफ्ट किए जाने के पीजीआइ के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है। बता दें कि पीजीआइ में इस समय जो ओपीडी चल रही है, वह पीजीआइ के पूर्व डायरेक्टर प्रो. बीके शर्मा के टेन्योर में हुआ था। उस समय पीजीआइ ओपीडी का खाका तब की जरूरतों के मुताबिक किया गया था। लेकिन 2001 में पीजीआइ में आने वाले मरीजों की संख्या रोजाना औसतन अढ़ाई हजार के आसपास थी। लेकिन अब रोजाना 9400 पेशेंट्स पीजीआइ ओपीडी में आ रहे हैं। इन मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों का भी प्रेशर इस बिल्डिंग में लगातार बढ़ता जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.