पंजाब में मेडिकल कॉलेजों की राह में बड़े रोड़े, सरकार का यह कदम बन गई है बाधा
पंजाब में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी बाधा आ गई। फीस निर्धारण में सरकारी नियंत्रण के कारण निजी मेडिकल कॉलेज नहीं खुल रहे हैं।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। मेडिकल कॉलेजों व यूनिवर्सिटियों में फीस निर्धारण का मुद्दा राज्य में इन दिनों काफी गर्माया हुआ है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस कंट्रोल करने के कारण राज्य के तीन नए मेडिकल कॉलेजों को कोई प्राइवेट कंपनी नहीं मिल रही है। लिहाजा, पठानकोट, संगरूर और गुरदासपुर में बनने वाले मेडिकल कॉलेज अधर में लटक गए हैं। इन तीनों जिलों के सरकारी अस्पतालों को अपग्रेड करके सरकार 100 से 150 सीटों वाले मेडिकल कॉलेज बनाना चाहती है, जो पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप में बनने हैं। कांग्रेस ने पंजाब में पांच मेडिकल कालेज खोलने का अपने चुनाव घोषणा पत्र में वादा किया था, लेकिन उसके लिए इसे पूरा करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
संगरूर, गुरदासपुर और पठानकोट के लिए कोई कंपनी नहीं आई आगे
प्राइवेट प्लेयर्स को ढूंढने का काम मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च विभाग ने पंजाब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड को सौंपा है, जिन्होंने इसके लिए टेंडर भी निकाला। पता चला है कि किसी भी मेडिकल कॉलेज के लिए किसी ने रुचि नहीं दिखाई। विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी सतीश चंद्रा ने इसकी पुष्टि की है। कैप्टन सरकार ने पंजाब में पांच नए मेडिकल कॉलेज खोलने का एलान किया था। ढाई साल बीतने को आए हैं, लेकिन अभी तक केवल मोहाली कॉलेज को ही हरी झंडी मिली है, लेकिन उसमें भी अभी तक दाखिला नहीं हो सका है। इसके अगले साल से शुरू होने की संभावना है।
प्राइवेट कॉलेजों व यूनिवर्सिटियों की फीस कंट्रोल करने के मामले पर कैबिनेट में हुई थी बहस
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते हुई कैबिनेट की मीटिंग में भी कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों की फीसें सरकार की ओर से निर्धारण करने या न करने को लेकर मंत्रियों व अफसरों में बहस हुई। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि अगर फीसें कम रखकर प्राइवेट कॉलेज चलाने हैं, तो सरकार हर कॉलेज के लिए 100 करोड़ से ज्यादा फंड मुहैया नहीं करवा सकती।
कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में राज्य में पांच नए मेडिकल कॉलेज खोलने का किया था वादा
दरअसल, यह मामला आदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी और देश भगत मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से अपने तौर पर फीसें निर्धारित करने को लेकर कैबिनेट में आया था। मेडिकल एजुकेशन विभाग फीस एक्ट में संशोधन करके कॉलेजों की तरह यूनिवर्सिटी की फीस भी खुद निर्धारित करना चाहती थी। श्री गुरु रामदास मेडिकल यूनिवर्सिटी की फीस पहले से ही सरकार निर्धारित कर रही है।
एमबीबीएस की फीस पंजाब में पड़ोसी राज्यों के मुकाबले कम
कैबिनेट की मीटिंग में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीसों को लेकर चर्चा हुई, तो बताया गया कि पंजाब में फीस अन्य राज्यों के मुकाबले कम है, जिसे संशोधित करने की जरूरत है। पंजाब में सरकारी कोटे की फीस 2 लाख 20 हजार रुपये प्रतिवर्ष है। मैनेजमेंट कोटे की फीस 6.60 लाख रुपये प्रति वर्ष है। प्राइवेट सेक्टर की आदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की फीस 11.90 लाख रुपये है।
इसी तरह हिमाचल प्रदेश में कोई प्राइवेट कॉलेज नहीं है, लेकिन यूनिवर्सिटी की स्टेट कोटे की फीस 5.50 लाख रुपये और मैनेजमेंट कोटे की फीस 10.39 लाख रुपये है। राजस्थान में अनंता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसिस एंड रिसर्च और अमेरिकन इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल कॉलेज उदयपुर की फीस 12 लाख रुपये है, जबकि एनआइएमएस की 18.50 लाख रुपये, गीतांजलि यूनिवर्सिटी की 17 लाख और महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी की फीस 19.25 लाख रुपये है।
कर्नाटक में पिछले साल यह फीस 6.83 लाख रुपये थी, जबकि बालाजी विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी की फीस बीस लाख रुपये है। महाराष्ट्र में यह प्राइवेट कॉलेजों में 9 से 12 लाख रुपये प्रति वर्ष और प्राइवेट यूनिवर्सिटी में 10.90 लाख रुपये है।
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