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लोगों के लिए खरीदी साइकिलें हो गई कबाड़, रेंट पर लेना हर किसी के बस में नहीं Chandigarh News

कुछ साइकिलों के टायर ही चलने लायक नहीं हैं। कुछ को जंग ने जकड़ लिया है। कोई लेना भी चाहता है तो इनकी हालत देखकर पीछे हट जाता है।

By Edited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 10:15 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 05:55 PM (IST)
लोगों के लिए खरीदी साइकिलें हो गई कबाड़, रेंट पर लेना हर किसी के बस में नहीं Chandigarh News
लोगों के लिए खरीदी साइकिलें हो गई कबाड़, रेंट पर लेना हर किसी के बस में नहीं Chandigarh News

चंडीगढ़ [बलवान करिवाल]। चंडीगढ़ की खूबसूरती को करीब से देखना है तो साइकिल राइड पर निकलिए। मर्जी से जहां जितनी देर चाहे रुकिए, फोटो क्लिक कीजिए फिर आगे बढि़ए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (सिटको) ने पर्यटकों के लिए अपने होटलों में साइकिलें रेंट के लिए रखी थी। फिर होटलों से इन्हें सुखना लेक पर स्टैंड बनाकर रख दिया गया। लेकिन ये साइकिलें पड़ी हुई कबाड़ हो चुकी हैं। कुछ साइकिलों के टायर ही चलने लायक नहीं हैं। कुछ को जंग ने जकड़ लिया है। कोई लेना भी चाहता है तो इनकी हालत देखकर पीछे हट जाता है।

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दो हजार रुपये सिक्योरिटी, रेंट भी ज्यादा

यह साइकिल रेंट पर लेना भी हर किसी के बस की बात नहीं है। विदेशी पर्यटक तक को लेने में परेशानी होती है। सिटको ने इन साइकिलों के लिए पूरे दिन का 200 रुपये और आधे दिन का 100 रुपये रेंट तय कर रखा है। रेंट तो ठीक सिक्योरिटी उससे बड़ी दिक्कत है। एक साइकिल के लिए 2000 रुपये की सिक्योरिटी जमा करानी होती है। इस सिक्योरिटी के बाद ही साइकिल मिलती है। हालांकि यह साइकिल वापस जमा कराने के बाद रिफंड हो जाती है। लेकिन इतने पैसे कई बार आम लोगों के पास नहीं होते। विदेशी पर्यटक भी कैश नहीं होने की वजह से साइकिल नहीं ले पाते।

कई शहरों में सिर्फ आइडी ही सिक्योरिटी

नैनिताल जैसे शहरों में साइकिल तो छोड़िए बाइक तक के लिए भी सिक्योरिटी मनी नहीं ली जाती। कोई भी पहचान पत्र लेने के बाद साइकिल रेंट पर दे दी जाती है। रेंट भी 50 से 100 रुपये तक ही रहता है। ऐसे में जिसके पास कैश की दिक्कत हो तो वह आसानी से साइकिल ले सकता है। पंचकूला में बिना किसी सिक्योरिटी के महज पांच रुपये में आधा घंटा साइकिल मिल रही है।

साइकिल स्टैंड की हालत भी दयनीय

ली कार्बूजिए ने साइकिल चोरी न हो, इसके लिए जगह-जगह साइकिल स्टैंड बनाए थे। इन स्टैंड पर जमीन में लगी लोहे की रॉड में पहिया फंसाकर लॉक लगाया जाता था। जिससे साइकिल चोरी नहीं होती थी। लेकिन अब ऐसे स्टैंड कुछ ही जगह बचे हैं। इन्हें तोड़-मरोड़ दिया गया है। कहीं हैं तो कार-बाइक पार्क हो रही हैं। चोरी होने के डर से लोग साइकिल को बिजली के खंभे और पार्किंग ग्रिल से बांधकर जा रहे हैं। इसके बाद भी आए दिन साइकिलें चोरी हो रही हैं।


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