अग्निपथ योजना को वापस लेने को पीएम मोदी और अमित शाह से मिलेंगे भगवंत मान, पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान अग्निपथ योजना के बारे में पीएम नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री से मिलेंगे। वह उनसे अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग करेंगे। इससे पहले पंजाब विधानसभा में अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया।
चंडीगढ़, जेएनएन/एएनआइ। पंजाब के मुख्यमंंत्री भगवंत मान ने कहा कि वह अग्निपथ योजना के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। वह पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री से अग्निपथ योजना वापस लेने का अनुरोध करुंंगा। युवाओं के साथ ऐसा नहींहोना चाहिए कि वे चार साल सेना में काम करें और फिर रिटायर हो जाएंं। इससे पहले भगवंत मान ने पंजाब विधानसभा में अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव का भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने समर्थन किया और यह पारित हो गया।
भाजपा ने किया विरोध तो कांग्रेस, बसपा और शिअद ने आप सरकार के प्रस्ताव का किया समर्थन
केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को वापस लिए जाने की मांग वाला यह प्रस्ताव पंजाब विधानसभा में बहुमत से पारित हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने प्रस्ताव का पुरजोर ढंग से विरोध किया लेकिन कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुद सदन में पेश किया और कहा कि वह इस योजना को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री से व्यक्तिगत रूप से मिलकर इस योजना को वापस लेने की बात करेंगे।
पंजाब विधानसभा में अग्निपथ योजना के खिलाफ पेश प्रस्ताव पर बोलते हुए सीएम भगवंत मान। (जागरण)
प्रस्ताव को लेकर कैबिनेट मंत्री हरजोत बैंस ने कहा कि यह योजना अमेरिका में चल रही है। अमेरिका का डाटा यह है कि वहां 13 प्रतिशत पूर्व सैनिकों के पास घर नहीं है। वहां पिछले ढाई वर्ष से भर्ती रुकी हुई है। असल बात यह है कि केंद्र सरकार सैनिकों को पेंशन नहीं देना चाहती है। बैंस ने आशंका जाहिर की कि अग्निपथ योजना सेना की रेजीमेंट व्यवस्था को खत्म कर देगी।
नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि यह योजना इजराइल और अमेरिका में चल रही है लेकिन इन दोनों ही देशों को दो न्यूक्लीयर देश की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ता। भारत को चीन और पाकिस्तान के से हमेशा ही चुनौती मिलती रहती है। उन्होंने कहा कि एक समय सेना में पंजाब की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत होती थी। बाद में यह 7.8 प्रतिशत रह गई और अग्निपथ योजना के लागू होने से यह 2.3 प्रतिशत रह जाएगी।
बाजवा ने कहा कि चार वर्ष तक ठेके पर अग्निवीरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। बाद में अग्निवीर को न तो पेंशन मिलेगी और न कैंटीन की सुविधा। उन्होंने आशंका जताई कि अगर किसी अगर अग्निवीर की साढ़े तीन साल की सेवा हो चुकी है और कोई आतंकवादी हमला हो जाए तो अग्निवीर क्या सोचेगा। क्या छह माह के लिए वह अपनी जान को जोखिम में डालेगा? केंद्र सरकार पेंशन से भाग रही है। इसी कारण चार साल के लिए ठेके पर भर्ती कर रही है।
सेना और सुरक्षा पर राजनीति नहीं होनी चाहिए: भाजपा
भाजपा विधायक अश्वनी शर्मा ने प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि इसे नौकरी के रूप में क्यों देखा जा रहा है, यह तो सेवा है। तीनों सेनाओं के प्रमुख स्पष्ट जानकारी दे चुके हैं। इस पर बाजवा ने कहा कि वर्किंग में रहने वालों से तो सरकार बुलवा ही लेती है। क्योंकि उन्हें सरकार से लाभ लेना होता है। रिटायर सैन्य अधिकारी इसके खिलाफ है। इस पर अश्वनी शर्मा ने विरोध जताया और पूछा कि क्या सेना प्रमुखों के नाम पर राजनीति होनी चाहिए?
उन्होंने कहा कि सेना और सुरक्षा को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सभी पार्टियों से सवाल किया कि आखिर योजना में खामी क्या है। केंद्र सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत सेना में जाएंगे और 10 प्रतिशत अर्धसैनिक बलों में। राज्य सरकारों ने भी अग्निवीरों को पुलिस व प्रशासन के काम में प्राथमिकता देने की घोषणा की है। शर्मा ने कहा कि उम्मीद थी कि राज्य सरकार अग्निवीरों को पुलिस में भर्ती का प्रस्ताव रखेगी। उन्होंने सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया।
भाजपा वाले अपने बेटों को अग्निवीर बनाएं: मान
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि सेना में जाना आसान नहीं होता। 17 वर्ष का युवक जब अग्निवीर बनेगा तो वह ड्यूटी देगा या पढ़ाई करेगा। भाजपा भ्रम पैदा न करे। सीधा क्यों नहीं कहते कि सैनिकों को पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है। केंद्र सरकार फौज को किराये पर रखना चाहती है।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को अगर योजना अच्छी लग रही है तो वह अपने बेटों को अग्निवीर बनाएं। मान ने कहा कि वह इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। कांग्रेस, शिअद और बसपा द्वारा मुख्यमंत्री के प्रस्ताव का समर्थन किया गया और प्रस्ताव बहुमत से पास हो गया।
-----