पर्सनल हियरिग का मौका नहीं देने के मामले में बीसीसीआइ ने मांगा और समय
चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा की एक याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा की एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने बीसीसीआइ को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया हुआ था। मंगलवार को उनकी तरफ से वकील पेश हुए और जवाब दायर करने लिए समय मांगा। इस पर जिला अदालत ने उनकी अपील को स्वीकार करते हुए 24 अप्रैल तक अपना जवाब दायर करने का समय दिया है। अदालत ने बीसीसीआइ के सीईओ और बोर्ड के एफिलिएटेड सदस्य सबा करीम और अंशुमन गायकवाड़ को नोटिस जारी किया था। छाबड़ा यूटी क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके है। उनकी तरफ से वकील दीपा असधीर ने अदालत में अपील की है कि बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआइ) और उनके एफिलिएटेड मेंबर्स को ये आदेश जारी किए जाएं कि वे उन्हें अपनी बात रखने के लिए पर्सनल हियरिग का मौका दें। छाबड़ा ने अपनी याचिका में बताया है कि गलत तरीके से बीसीसीआइ ने यूटी क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता दी है। उन्हें तो अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया गया। वकील ने बताया कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन और एसोसिएशन के मेंबर सुभाष महाजन ने मिलकर गलत तरीके से छाबड़ा को अध्यक्ष पद से हटा दिया और टंडन खुद एसोसिएशन पर अपना कब्जा जमा कर बैठ गए। छाबड़ा ने शिकायत में कहा बिना बताए पद से हटा दिया गया
दीपा ने बताया कि वर्ष 2013 में प्रदीप छाबड़ा को यूटी क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाया था। इसके बाद संजय टंडन को अध्यक्ष बना दिया गया। छाबड़ा की शिकायत है कि उन्हें बिना बताए ही इस पद से हटा दिया गया। जब उन्होंने इसके बारे में जानकारी मांगी तो बीसीसीआइ ने कहा कि उन्हें छाबड़ा की तरफ से रेजिग्नेशन की मेल आइ थी। वहीं छाबड़ा का कहना है उन्होंने कोई इस्तीफा नहीं दिया था। बताया कि जब रेजिग्नेशन लेटर मांगा गया तो कोई लेटर नहीं दिखा सके। इसके अलावा दो बार आरटीआइ भी डाल चुके है लेकिन कोई रेजिग्नेशन लेटर दिए जाने की जानकरी नहीं मिली। बताया कि अगर उन्हें हटाकर कोई नया अध्यक्ष भी बनाया जाता है तो जनरल हाउस की मीटिग बुलाकर सब कुछ तय किया जाता है, लेकिन उसमें भी छाबड़ा को नहीं बुलाया गया।