लेबर डिपार्टमेंट से जुड़े रिश्वत केस में बठिंडा के बिजनेसमैन को मिली अग्रिम जमानत
बठिंडा के बिजनेसमैन लखविंदर ने चंडीगढ़ सीबीआइ कोर्ट में दायर याचिका में खुद को बेकसूर बताया है। उसने कहा कि उसे फंसाया जा रहा है। केस में सीबीआई की ओर से चार्जशीट फाइल की जा चुकी है। वहीं सीबीआई ने उसकी अग्रिम जमानत का विरोध किया।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ सीबीआइ कोर्ट ने लेबर डिपार्टमेंट से जुड़े एक रिश्वत मामले में नाम आने पर बठिंडा के एक बिजनेसमैन लखविंदर सिंह को अग्रिम जमानत दे दी है। हालांकि पहले उसका नाम एफआईआर में नहीं था, लेकिन सीबीआई ने चार्जशीट में लखविंदर को भी आरोपित बना लिया। लखविंदर ने अपनी जमानत याचिका में कहा कि उसे इस केस में फंसाया गया है। उसका इस केस से कोई संबंध नहीं है और उसने कभी भी लेबर डिपार्टमेंट के अफसरों को पैसे नहीं दिए हैं।
लखविंदर ने कहा कि इस केस में सीबीआई की ओर से चार्जशीट फाइल की जा चुकी है और उसने जांच भी जॉइन कर ली है। इसलिए उसे अब अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए। हालांकि सीबीआई ने उसकी अग्रिम जमानत का विरोध किया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सीबीआई कोर्ट ने लखविंदर की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर दी।
वर्ष 2019 में दर्ज इस मामले में सीबीआइ ने आठ आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट फाइल की थी। इनमें चंडीगढ़ के डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर महेश चंद शर्मा, लेबर इन्फोर्समेंट ऑफिसर विवेक नायक, बठिंडा की एक एचआर कंपनी के पार्टनर गुरमीत सिंह, मुनीष कुमार और बठिंडा की ही कंस्ट्रक्शन कंपनी के कर्मचारी अखंड राज सिंह व प्राइवेट कंपनी के जीएम वेकंट रमैया शामिल थे। इनके अलावा पंजाब के दो बिजनेसमैन लखविंदर सिंह और इंद्रजीत सिंह बाठ भी मामले में सीबीआई ने बाद में आरोपित के तौर पर नाम शामिल किया।
ये था मामला
सीबीआइ को सूचना मिली थी कि कुछ लोग प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों के ईपीएफ से संबंधित गड़बड़ियां करते थे। उन पर कोई कार्रवाई न हो, इसलिए वे लेबर कमीशन ऑफिस को रिश्वत देते थे। ऐसे में सीबीआई ने सभी आरोपियों के फोन सर्विलांस पर लगाए और जब वे पंचकूला में रिश्वत की डील करने आए तो सीबीआई ने उन्हें दबोच लिया था।
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