जिस व्यक्ति को कोर्ट में जाने से रोका, बार एसोसिएशन को उसे देना होगा 50 हजार मुआवजा Chandigarh News
हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय का अधिकार हर नागरिक का संविधान एक अधिकार है और इस अधिकार को छीनते हुए हाईकोर्ट नहीं देख सकता।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के विरोध में याचिकाकर्ताओं को कोर्ट में न जाने देना बार एसोसिएशन को भारी पड़ गया। मामला एक महिला की कस्टडी से जुड़ा हुआ है। महिला की कस्टडी लेने के लिए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में फरियाद लगाई थी और उसके पिता से उसे मुक्त कराने की अपील की थी। मामले की सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता वह महिला तथा महिला का पिता हाईकोर्ट पहुंचे थे। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता और महिला को तो कोर्ट में जाने दिया लेकिन महिला के पिता को कोर्ट में नहीं जाने दिया।
जब कोर्ट को इस बारे में बताया गया तो हाईकोर्ट ने इस पर बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वकालत का लाइसेंस अपने मुवक्किल के हक की लड़ाई लडऩे के लिए तथा समाज को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है। वकील को कानून की बेहद अच्छी जानकारी होती है और उससे उम्मीद की जाती है कि वह समाज को बेहतर बनाने के लिए कार्य करें। इस प्रकार नागरिकों को न्याय मिलने की राह में रोड़ा डालना किसी भी तरीके से सही करार नहीं दिया जा सकता।
हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय का अधिकार हर नागरिक का संविधान एक अधिकार है और इस अधिकार को छीनते हुए हाईकोर्ट नहीं देख सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला के पिता की गैरमौजूदगी के कारण इस केस में फैसला नहीं सुनाया जा सकता, इसलिए अगली सुनवाई पर इस पर निर्णय लिया जाएगा। इस दौरान महिला ने कहा कि वह अपने पिता के साथ नहीं रहना चाहती है, इसलिए उसे नारी निकेतन भेज दिया जाए जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर करते हुए उसे नारी निकेतन भेज दिया।
बैकफुट पर वकील, कहा : नहीं रोकेंगे याचिकाकर्ताओं को
वकीलों द्वारा याचिकाकर्ताओं को रोके जाने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद वकील बैकफुट पर आ गए। मंगलवार को वकीलों ने घोषणा की कि उनकी हड़ताल तो जारी रहेगी लेकिन अब याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में प्रवेश से कोई वकील नहीं रोकेगा। हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद जाकर बार एसोसिएशन ने यह निर्णय लिया है। हालांकि कई वकील इसकी पहले से मांग कर रहे थे।
सीएम पर आरोप : एजी को लपेटा
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की बैठक के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और एडवोकेट जनरल बीआर महाजन पर गंभीर आरोप लगाए गए। वकीलों ने कहा कि एजी व मुख्यमंत्री करनाल में अलग हाईकोर्ट स्थापित करना चाहते हैं। हालांकि इसका सीधे तौर पर एजी बीआर महाजन ने विरोध किया और कहा कि कभी ऐसी बात उन्होंने नहीं कही। हालांकि अलग हाईकोर्ट और सचिवालय स्थापित करने की दिशा में 2015 से प्रयास हो रहे हैंं।
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