Bank Employees Strike : बैंक कर्मियों की हड़ताल शुरू, केंद्र सरकार के खिलाफ की नारेबाजी Chandigarh News
शहर के सरकारी बैंक कर्मचारी शुक्रवार से दो दिवसीय हड़ताल के लिए सेक्टर-17 बैंक स्कवेयर में उतरे। इस दौरान कर्मचारियों ने लंबित मांगों को लेकर माेदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
चंडीगढ़, जेएनएन। Bank Strike : शहर के सरकारी बैंक कर्मचारी शुक्रवार से दो दिवसीय हड़ताल के लिए सेक्टर-17 बैंक स्कवेयर में उतरे। इस दौरान कर्मचारियों ने लंबित मांगों को लेकर माेदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्हाेंने मांगाें काे जल्द पूरा की मांग की।
यूनाइटिड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के चंडीगढ़ स्थित संयोजक संजय कुमार शर्मा ने बताया कि बैंक कर्मियों और अधिकारियों की वेज और सर्विस कंडीशन द्विपक्षीय समझौते द्वारा शासित होते हैं। यह कंडीशंस इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के साथ वार्ता से उत्पन्न निष्कर्ष और यूनियन द्वारा सबमिट मांगों के आधार हर पांच सालाें में रिवाइज्ड की जाती है। अंतिम सेटेलमेंट नंवबर 2012 से अक्तूबर 2017 तक का हुआ था जबकि मौजूद वेज रिविजन नवंबर 2017 से लंबित है।
ये संगठन रहे शामिल
इसमें यूनाइटिड फोरम ऑफ बैंक यूनियन, इंडियन बैंक इंप्लाइज ऑफ इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन, इंडियन कन्फेडरेशन ऑफ बैंक इंप्लाइज, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक इंप्लाइज फेडरेशन आफ इंडिया, इंडियन नेशनल बैंक इंप्लाइज फेडरेशन, इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस, नेशनल आग्रेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर और इंडियन ऑग्रेनाइजेशन ऑ बैंक ऑफिसर्स के सदस्य भी शामिल हुए।
वादाखिलाफी का लगाया अाराेप
सैटेलमेंट संबंधी बीते अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट आफ फाइनेंश्यिल सर्विसिस ने जनवरी 2016 में किये अपने पत्राचार के माध्यम से सभी बैंक मैनेजमेंट्स और आइबीए को सलाह दी थी कि प्रक्रिया में तेजी लाए और नवंबर 2017 से पहले 11वें वेज सेटेलमेंट का निपटारा करें। इस दिशा में यूनियनों ने भी काफी पहले अपना मांग पत्र रखा और इस दिशा में मई 2017 से अपने रुख में तेजी दिखाई।
दुर्भाग्यवश आइबीए ने मई 2018 तक कोई कार्रवाई नहीं की जिसके बाद मात्र दो फीसदी के इजाफे की पेशकश की। गत तीस महीनों से वार्ताओं का दौर चलने के बाद आइबीए ने 12.25 फीसदी की बढ़ोतरी की जो कि सरकार द्वारा 15 फीसदी के पारित बढ़ोतरी से कम है। उन्हाेंने अाराेप लगाया कि इसी वजह से उन्हें मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ रहा है।