बैंक प्राइवेटाइजेशन के विरोध में चंडीगढ़ के बैंक कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन, दी हड़ताल पर जाने की चेतावनी
बैंकों के निजीकरण के विरोध में शनिवार को चंडीगढ़ के बैंक कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। सेक्टर 17 स्थित बैंक स्क्वेयर में शहर के करीब 500 कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ अपना रोष जताया। कर्मचारियों ने आगामी दिनों में हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दी।
चंडीगढ़, जेएनएन। यूनाइटेड फाॅर्म ऑफ बैंक यूनियन यूएसबीयू के बेनर तले शहर के नौ बैंकों के कर्मचारियों ने सेक्टर-17 स्थित बैंक स्कवायर में धरना दिया। यह धरना प्राइवेटाइजेशन के विरोध में दिया गया। यूएफबीयू के संजीव बिंदलिश ने बताया कि एक फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से आम बजट पेश किया गया, जिसमें दो से चार बैंकों को प्राइवेट हाथों में देने की बात की गई है।
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। सरकार की प्लानिंग के अनुसार बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक आफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक को प्राइवेट हाथों में देने की तैयारी है, लेकिन इन सभी बैंकों का वार्षिक टर्नओवर देखा जाए तो वह मुनाफे में चल रहे है। यदि बैंक मुनाफे में चल रहे हैं तो प्राइवेट हाथों में देने की जरूरत क्या है। इससे पहले भी सरकार ने कई चीज़ों को मुनाफे के नाम पर प्राइवेट हाथों में दिया और आज उस संस्थान से जुड़े लोगों से लेकर सड़क पर बैठा हुआ व्यक्ति भी रो रहा है, जो कि सरकार की नाकामी थी।
15 और 16 मार्च को होगी पूर्ण हड़ताल
शुक्रवार को हड़ताल पर पहुंचे अधिकारियों में जगदीश राय ने बताया कि आज पहले दिन प्रतीकात्मक तौर पर धरना दिया गया है। इसमें डेढ़ घंटे के लिए करीब पांच लोग सौ कर्मचारी विभिन्न बैंकों से जुटे हैं। 15 और 16 मार्च को बैंक देशव्यापी पूर्ण हड़ताल पर रहेंगे, जिसका खामियाजा सरकार को उठाना होगा। उन्हाेंने कहा कि 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। जिसका उद्देश्य आम व्यक्ति का विकास था। यदि हम प्राइवेट हाथों में गए तो सीधे तौर पर विभिन्न बैंकों से जुड़े हुए 80 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों को प्रभावित होंगे और वह सभी कंगाली के रास्ते पर आ जाएंगे। वहीं ट्राईसिटी संयोजक संजय शर्मा ने कहा कि हम सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई के लिए भी तैयार हैं क्योंकि एक गलत निर्णय देश के लोगों को कंगाल कर सकता है और यह हम नहीं होने देंगे।