हाकी लीजेंड पिता की दूसरी पुण्यतिथि पर भावुक हुई बेटी सुशबीर, पढ़ें बलबीर सिंह सीनियर को क्यों कहा जाता था गोल मशीन
Balbir Singh Senior Death Anniversary हाकी लीजेंड बलबीर सिंह सीनियर की आज दूसरे पुण्यतिथि है। इस मौके पर उनकी बेटी खुशबीर भौमिया ने पिता को याद करते हुए सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट किया है। खुशबीर ने पिता के फोटो भी शेयर किए हैं।
विकास शर्मा, चंडीगढ़। Balbir Singh Senior Death Anniversary: हाकी लीजेंड बलबीर सिंह सीनियर की आज दूसरे पुण्यतिथि है। इस मौके पर उनकी बेटी नें पिता को खास अंदाज में याद किया है...
सदियों का नाता पल भर में
हाथों से यूं बस फिसल गया
कुछ कहा न मुझसे, न सुना मैंने
बस आंखे बंद करी और चल दिए
किस दुनिया में कहां गए तुम
पापा, किसी को कुछ पता नहीं है
बस रह गए पीछे मेरे हिस्से
जान से प्यारी ढ़ेर सारी यादें तुम्हारी
जो सारी संजो रहे हैं
बैठी हूं अब तक, सांसें तो चलती हैं वैसी ही
पर जिंदगी वैसे वो कहां
यातीम होना क्या होता कुछ ऐसा ही मसूसस हुआ
सुशबीर भौमिया ।।
यह कविता पद्मश्री बलबीर सिंह सीनियर की बेटी सुशबीर भौमिया ने उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर लिखी है। पिता की दूसरी पुण्यतिथि पर बेटी सुशबीर भौमिया अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बलबीर सिंह सीनियर की तीन फोटो कर एक कविता शेयर की है। फेसबुक पेज पर बलबीर सिंह सीनियर की फोटो को देखकर व एक बेटी की भावपूर्ण कविता को पढ़कर प्रशंसक भावुक हो गए। इन फोटो में सुशबीर ने उस पौधे की फोटो को भी शेयर किया, जिसे उन्होंने अपने पिता की याद में घर के साथ पार्क में लगाया है।
बता दें बलबीर सिंह सीनियर दुनियाभर में गोल मशीन के नाम से मशहूर थे। भारत ने हाकी में लंदन ओलिंपिक (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबोर्न (1956) में गोल्ड मेडल जीता है, खास बात यह है कि इन तीनों टीमों में बलबीर सिंह सीनियर गोल्ड मेडल विजेता टीम के हिस्सा थे। साल 1954 में सिंगापुर टूर पर गई टीम इंडिया ने कुल 121 गोल किए थे, जिसमें 84 गोल अकेले बलबीर सिंह सीनियर के थे। साल 1955 में न्यूजीलैंड -आस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया ने 203 गोल किए, जिसमें 121 गोल बलबीर सिंह सीनियर के थे। यह वह दौर था, जब वर्ल्ड मीडिया उनके नाम के साथ गोल मशीन लगाता था।
पूरी दुनिया में हैं बलबीर सिंह सीनियर के प्रशंसक
फिनलैंड के हेलसिंकी हाकी स्टेडियम में खेलते हुए बलबीर सिंह से वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था। उनके इस शानदार प्रदर्शन पर वर्ष 1952 में वहां की सरकार ने बलबीर सिंह सीनियर के नाम की एक खास दीवार बना दी गई थी, जिसमें उनकी फोटो को सजाया गया था। कुछ साल पहले इस हाकी स्टेडियम का पुर्ननिर्माण करने के लिए सरकार ने योजना बनाई, तो वहीं के एक खेल प्रेमी ने इस दीवार का हवाला देकर सरकार से अपील की कि इस ऐतिहासिक स्टेडियम का पुर्ननिर्माण नहीं किया जाए। क्योंकि इसमें हाकी के दिग्गज बलबीर सिंह सीनियर की फोटो लगी दीवार है, जो इस स्टेडियम के प्रेक्टिस करने वाले खिलाड़ियों को प्ररेणा देती है। सरकार ने बलबीर सिंह को सम्मान देते हुए इस स्टेडियम को उसी हालत में रहने दिया।
बनाया था यह खास रिकार्ड
बता दें यह दीवार इसलिए बनाई गई थी क्योंकि इस स्टेडियम में बलबीर सिंह ने वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था। जो आज तक नहीं टूटा है। बलबीर सिंह सीनियर ने ओलिंपिक के फाइनल मैच नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल दागे थे। यह मैच टीम इंडिया ने 6-1 के अंतराल से जीता था। वहीं इस ओलिंपिक में टीम इंडिया ने कुल 13 गोल किए थे, जिसमें अकेले नौ गोल बलबीर सिंह सीनियर के नाम के थे। इसीलिए यह दीवार बनाई गई थी। आज जो भी खिलाड़ी इस स्टेडियम में मैच खेलने या प्रेक्टिस करने आता है वह उन्हें श्रद्धांजलि देकर ही आगे बढ़ता है।
बलबीर सिंह सीनियर के बारे में जाने सबकुछ
नाम - बलबीर सिंह सीनियर
जन्म - 10 अक्टूबर 1924, हरिपुर खालसा, देहांत - 25 मई, 2020 चंडीगढ़
पिता का नाम - दलीप सिंह दोसांज (स्वतंत्रता सैनानी)
माता का नाम - कर्म कौर
पत्नी का नाम - स्वर्गीय सुशील कौर
पढ़ाई - देव समाज हाई स्कूल मोगा, डीएम कालेज मोगा, नेशनल कालेज लाहौर, खालसा कालेज अमृतसर।
ओलिंपिक - लंदन 1948 ( बतौर खिलाड़ी), हेल्सिंकी 1952 (बतौर वाइस कैप्टन) और मेलबर्न 1956 (बतौर कैप्टन) गोल्ड मेडल विजेता टीम के सदस्य।
एशियन गेम्स - साल 1958 में सिल्वर मेडल विजेता टीम के सदस्य।
अन्य सेवाएं - साल 1971 मेंस वर्ल्ड कप की ब्रांज मेडल विजेता टीम के कोच, साल 1975 में भारत वर्ल्ड कप हाकी विजेता टीम के चीफ कोच व मैनेजर।
अवार्ड - साल 1957 में पद्मश्री पाने वाले पहले भारतीय। डोमिनिकन रिपब्लिक द्वारा उनकी डाक टिकट जारी की है। साल 2006 में बेस्ट सिख खिलाड़ी का अवार्ड। लंदन ओलिंपिक 2012 में उन्हें सदी के बेहतरीन खिलाड़ियों में चयनित किया गया, वह एशिया में एकलौते खिलाड़ी थे। साल 2015 में उन्हें मेजर ध्यानचंदर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। साल 2019 महाराजा रणजीत सिंह खेल अवार्ड।
उनकी लिखी दो किताबें - गोल्डन हैट्रिक (1977) और द गोल्डन यार्ड स्टिक।
परिवार - सुशबीर कौर(बेटी), कंवलबीर सिंह(बेटा), करनबीर सिंह (बेटा),गुरबीर सिंह (बेटा)।