Move to Jagran APP

बाजवा अब पत्नी को चेयरपर्सन बनवाने के लिए बना रहे दबाव, कैप्‍टन नहीं तैयार

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष और राज्‍यसभा सदस्‍य प्रताप सिंह बाजवा अब पत्‍नी को राज्‍य में किसी बोर्ड का चेयरपर्सन बनाने चाहते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 23 Sep 2017 11:08 AM (IST)Updated: Sat, 23 Sep 2017 11:08 AM (IST)
बाजवा अब पत्नी को चेयरपर्सन बनवाने के लिए बना रहे दबाव, कैप्‍टन नहीं तैयार
बाजवा अब पत्नी को चेयरपर्सन बनवाने के लिए बना रहे दबाव, कैप्‍टन नहीं तैयार

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। गुरदासपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में पत्नी चरणजीत कौर बाजवा के लिए टिकट पाने में नाकाम रहे राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा अब उनको चेयरपर्सन बनवाने के लिए जाेर लगा रहे हैं। इसके लिए वह दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं। मौके की नजाकत को देखते हुए बाजवा ने कांग्रेस प्रत्‍याशी सुनील जाखड़ के प्रचार अभियान से दूरी बनाने की रणनी‍ति बनाई है। दूसरी ओर बताया जाता है कि मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह इसके लिए तैयार नहीं हैं।

prime article banner

जाखड़ के नामांकन के दौरान भी बाजवा नहीं गए। वह इसके द्वारा साफ संकेत देना चाहते हैं ताकि उनकी मांग को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह गंभीरता से लें। कांग्रेस के लिए गुरदासपुर उपचुनाव जहां प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। वहीं, राज्यसभा सदस्य व पंजाब कांग्र्रेस के पूर्व प्रधान प्रताप सिंह बाजवा ने कांग्रेस के लिए नई पेचीदगियां खड़ी कर दी हैं। बाजवा अपनी पत्नी को लोकसभा का टिकट दिलवाने में नाकामयाब रहे, जिसके बाद अब वेह पत्नी को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चेयरपर्सन बनवाना चाहते हैं।

कैप्टन मोलभाव के खिलाफ

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बारे में अभी तक बाजवा से कोई वादा नहीं किया है। मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार, कैप्टन इस तरह के मोलभाव को सही नहीं मान रहे हैं। बाजवा राज्यसभा सदस्य हैं और उनका भाई विधायक। ऐसे में अगर चरणजीत कौर बाजवा को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का चेयरपर्सन बनाया जाता है, तो पार्टी में गलत संदेश जाएगा। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री अगर कोई आश्वासन नहीं देते हैं, तो बाजवा पूरे गुरदासपुर उपचुनाव के दौरान दूरी बनाए रख सकते हैं।

फिर आमने-सामने जैसी स्थिति

तकरीबन पौने दो साल बाद कैप्टन और बाजवा के बीच दोबारा एक-दूसरे के धैर्य की परीक्षा लेने की स्थिति बन गई है। ऐसी ही स्थिति तब बनी थी, जब बाजवा प्रधान थे और कैप्टन उन्हें प्रधानगी से हटाने के लिए लगातार सक्रिय थे। सूत्रों के अनुसार बाजवा भी यह जानते हैं कि अपनी बात मनवाने के लिए वर्तमान समय सबसे माकूल है। अगर इस समय कैप्टन उनकी बात नहीं मानते हैं, तो निकट भविष्य में उनके सामने ऐसा कोई विकल्प नहीं आने वाला है।
 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.