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बहिबलकलां कांड के तीन साल बाद पूर्व एसएसपी समेत चार पुलिसकर्मी नामजद

बहुचर्चित बहिबलकलां गोलीकांड में करीब तीन साल बाद पूर्व एसएसपी समेत चार पुलिसकर्मियों के नाम एफआइआर में शामिल किए गए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 12:05 PM (IST)Updated: Sun, 12 Aug 2018 09:06 PM (IST)
बहिबलकलां कांड के तीन साल बाद पूर्व एसएसपी समेत चार पुलिसकर्मी नामजद
बहिबलकलां कांड के तीन साल बाद पूर्व एसएसपी समेत चार पुलिसकर्मी नामजद

जेएनएन, चंडीगढ़। बहुचर्चित बहिबलकलां गोलीकांड में करीब तीन साल बाद पूर्व एसएसपी समेत चार पुलिसकर्मियों के नाम एफआइआर में शामिल किए गए हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की जांच रिपोर्ट के आधार पर चारों पुलिसकर्मियों को एफआइआर में मुख्य आरोपितों के रूप में नामजद करने के आदेश दिए, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। पहले इनके नाम आरोपितों में शामिल नहीं थे। जस्टिस रणजीत सिंह आयोग ने 26 जुलाई को सरकार को अपनी पहली रिपोर्ट सौंप दी थी।

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घटना को लेकर 21 अक्टूबर, 2015 को फरीदकोट के थाने बाजाखाना में धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या के प्रयास) सहित कई धाराओं में एफआइआर दर्ज की गई थी। घटना में घायल अजीत सिंह के बयानों के आधार पर आयोग की सिफारिश पर सात अगस्त को भी एक मामला दर्ज किया गया है। चरणजीत सिंह शर्मा को सरकार ने घटना के कुछ दिनों बाद विरोध के चलते रिटायर कर दिया था। बीते दिनों कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस घटना की जांच सीबीआइ से करवाने का फैसला लिया है।

ये हैं आरोपित

  • चरणजीत सिंह शर्मा: मोगा के पूर्व एसएसपी
  • बिक्रमजीत सिंह: फाजिल्का के तत्कालीन एसपी
  • प्रदीप सिंह: एसआइ
  • अमरजीत सिंह: एसआइ

इन पर भी गिरेगी गाज

  • शमशेर सिंह: कांस्टेबल एवं चरणजीत सिंह का गनमैन
  • -हरप्रीत सिंह: कांस्टेबल
  • गुरप्रीत सिंह: कांस्टेबल
  • परमिंदर सिंह: एसएचओ
  • हरपाल सिंह: इंस्पेक्टर

इन बिंदुओं पर फंसी पुलिस

  • प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने मजिस्ट्रेट की इजाजत के बिना फायरिंग कैसे कर दी।
  • मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात तत्कालीन एसडीएम की भूमिका पर सवालिया निशान।
  • मृतकों व घायलों को लगी गोली एसॉल्ट राइफल से चली थी।
  • इलाज व पोस्टमार्टम के बाद मिली एसॉल्ट राइफल की गोलियों की गई थी छेड़छाड़।
  • एसॉल्ट राइफल पुलिस के पास ही उपलब्ध थीं।

क्या है बहिबलकलां कांड

  • दिन: 14 अक्टूबर 2015
  • जगह: बहिबलकलां (फरीदकोट)
  • जांच: एक एसआइटी और तीन आयोग 
  • वक्त: 2 साल 10 महीने

टाइमलाइन

  • 2 जून, 2015: फरीदकोट जिले के गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में श्री गुरुद्वारा साहिब की चोरी। इस घटना के बाद लोगों में रोष फैल गया।
  • 24 सितंबर 2015: फरीदकोट जिले के गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में बाबा धोधा समाध पर पोस्टर चिपकाए गए। पावन ग्रंथ की बेअदबी करने की धमकी के पर्चे लगाए गए।
  • 12 अक्टूबर, 2015: फरीदकोट जिले के कोटकपूरा के बरगाड़ी गांव में गुरुग्रंथ साहिब के अंग फाड़ कर गलियों में फेंक दिए गए। इससे सिखों में रोष फैल गया।
  • 14 अक्टूबर, 2015: बरगाड़ी की घटना के बाद कोटकपूरा के बहिबलकलां में सिख प्रदर्शनकारियों ने धरना दिया। यहां पुलिस और सिख प्रदर्शनकारियों में झड़प हो गई। पुलिस ने फायङ्क्षरग कर दी और सरवां गांव के गुरजीत सिंह व नियामीवाला गांव के किशन भगवान सिंह की मौके पर ही मौत हो गई थी। बेअंत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

एक एसआइटी व तीन आयोग, 2 साल 10 महीने बाद सामने चार नाम

बहिबलकलां गोलीकांड के 2 साल 10 महीने बाद आरोपित पुलिसकर्मियों के नाम सामने आ सके। इस घटना की जांच के लिए एक एसआइटी व तीन आयोग बनाए गए। सबसे पहले वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल न जस्टिस जोरा सिंह की अगुवाई में जांच आयोग गठित किया। बेअदबी की सूचना देने के लिए एक करोड़ की राशि देने की घोषणा की गई। भाई पंथ प्रीतसिंह, बाबा रंजीत सिंह पर केस दर्ज किया गया।

16 अक्टूबर, 2015 को कोटकपूरा की घटना के बाद सिख संगठनों ने पंजाब बंद का आह्वान किया। अमेरिका में सक्रिय संगठनों ने भी इस घटना की निंदा की। सरकार ने सिख प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केस वापस लिया। एसएसपी चरणजीत सिंह को सस्पेंड किया गया। सिख प्रदर्शनकारियों को रिहा कर दिया गया। वर्ष 2016 में मानवाधिकार संस्थाओं ने मिलकर बहिबलकलां गोलीकांड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू की अध्यक्षता में गैर सरकारी न्यायिक आयोग का गठन भी किया था।

कैप्टन ने जोरा सिंह आयोग को रद कर बनाया नया आयोग

अप्रैल 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बहिबल कलां गोलीकांड की जांच के लिए जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन किया। रणजीत सिंह आयोग की सिफारिश पर ही अब चार पुलिस अधिकारियों पर केस दर्ज किया गया है।

ये थीं रणजीत सिंह आयोग की सिफारिशें

  • आयोग ने मृतक गुरजीत सिंह व किशन भगवान सिंह के परिजनों को 75-75 लाख रुपये देने की सिफारिश की थी। सरकार ने उसे बढ़ाकर एक-एक करोड़ कर दिया है।
  • अपाहिज हुए अजीत सिंह को 40 लाख रुपये देने की सिफारिश की गई थी, सरकार ने उसे बढ़ाकर 60 लाख कर दिया है।
  • मृतकों के परिवारों में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी।
  • घायलों को 10-10 लाख रुपये।

अहम साबित हुए अजीत सिंह के बयान

बहिबलकलां गोलीकांड में पुलिस फायरिंग के कारण अजीत सिंह अपाहिज हो गए थे। इस घटना में एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे। तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने एक सदस्यीय आयोग का गठन करके इसकी जांच करवाई थी। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन करके दोबारा जांच करवाई। अजीत सिंह के बयान काफी अहम साबित हुए।

बरगाड़ी मामले पर चल रहा धरना

साल 2015 के बहुचर्चित बरगाड़ी बेअदबी मामले में न्याय न मिलने के कारण समूचे सिख समाज में अभी भी उसका दर्द बरकरार है और पिछली 1 जून से सिख जत्थेबंदियों की तरफ से बरगाड़ी में बेमियादी रोष धरना भी दिया जा रहा है।

कोटकपूरा फायरिंग मामले में भी नामजद होंगे पुलिसकर्मी

कोटकपूरा फायरिंग मामले में 7 अगस्त को अज्ञात के खिलाफ दर्ज एफआइआर में भी पुलिसकर्मियों के नाम शामिल किए जा सकते हैं। बहिबलकलां गोलीकांड के आरोपित पुलिसकर्मियों की नामजदगी के बाद सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है।

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