82 वर्ष की उम्र में मिलेगी शांति देवी को पक्की नौकरी, जानें क्या है पूरा मामला
हाई कोर्ट के आदेश पर पंजाब शिक्षा विभाग अब 82 वर्षीय एक वृद्धा की सेवाओं को नियमित करेगा। जस्टिस जितेन्द्र चौहान ने पंजाब सरकार को तीन माह के अंदर ऐसा करने का आदेश दिया है।
चंडीगढ़ [कमल जोशी]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर पंजाब शिक्षा विभाग अब 82 वर्षीय एक वृद्धा की सेवाओं को नियमित करेगा। जस्टिस जितेन्द्र चौहान ने पंजाब सरकार को तीन माह के अंदर ऐसा करने का आदेश दिया है। सामान्य परिस्थितियों में 58 वर्ष की उम्र में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति हो जाती है।
हाईकोर्ट ने संगरूर के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में लगभग 40 वर्ष से पार्ट टाइम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर कार्यरत शांति देवी की सेवाओं को नियमित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस पद पर नियमित कर्मचारी की आवश्यकता होने के बावजूद शिक्षा विभाग लंबे समय से पार्ट टाइम कर्मचारी से काम चला रहा है। वेतन भी नियमित कर्मचारियों के मुकाबले काफी कम दिया जा रहा है।
शांति देवी और एक अन्य ने याचिका में कहा था कि वे 35 और 21 वर्ष से चौथे दर्जे के पदों पर कार्यरत हैं। याचिका के अनुसार 1934 में जन्म लेने वाली शांति देवी को 1 अक्टूबर-1977 को संगरूर के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पार्ट टाइम नियुक्त किया गया था। तब से वे निरंतर इस पद पर कार्यरत हैं।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि 1997 में हाई कोर्ट ने सरकार को लंबे समय से पार्टटाइम कर्मियों की सेवाएं नियमित करने की नीति बनाने के आदेश दिए थे। इसके बाद 10 वर्ष से अधिक समय तक सेवाएं दे चुके कर्मचारियों को नियमित करने का नियम बनाया गया था। इसके तहत विभिन्न विभागों में वरिष्ठता सूची भी तैयार की गई थी, लेकिन शांति देवी को नियमित नहीं किया गया और अब भी वे 2250 रुपये के मासिक वेतन पर कार्यरत हैैं।
स्कूल में उपस्थिति 80 प्रतिशत
इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने अपने जवाब में दोनों याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को संतोषप्रद और उनकी उपस्थिति को 80 प्रतिशत से अधिक बताया था।
1989 में हो जाना था सेवानिवृत्त
जस्टिस जितेन्द्र चौहान ने अपने आदेश में कहा कि जन्म-तिथि के अनुसार शांति देवी को 31 दिसंबर, 1989 को सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए था। पंजाब सरकार द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार वे अपनी सेवानिवृत्ति की उम्र से पहले 12 वर्ष तक स्कूल में अपनी सेवाएं दे चुकी थीं। शांति देवी की सेवा नियमित करना उनका कानूनी अधिकार है। याचिकाकर्ता का अब भी कार्यरत होना इस बात का प्रमाण है कि स्कूल में उनके पद पर कर्मचारी की जरूरत है।