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केजरीवाल बागियों काे साधने में रहे विफल, मजबूत हुए खैहरा, बढ़ सकती है तकरार

अर‍विंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई में विवाद खत्‍म कराने में विफल रही। पंजाब दौरे के दौरान केजरीवाल और बागी नेता सुखपाल खैहरा एक-दूसरे से कटे-कटे रहे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 11:19 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 08:58 PM (IST)
केजरीवाल बागियों काे साधने में रहे विफल, मजबूत हुए खैहरा, बढ़ सकती है तकरार
केजरीवाल बागियों काे साधने में रहे विफल, मजबूत हुए खैहरा, बढ़ सकती है तकरार

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कन्वीनर अरविंद केजरीवाल पंजाब में आप के घमासान को खत्म करवा पाने में विफल रहे और उनके निराश होकर दिल्ली लौटना पड़ा। दूसरी आेर, उनके इस दौरे ने पार्टी में खैहरा गुट की स्थिति को और मजबूत ही कर दिया। आने वाले समय में खैहरा गुट को इसका लाभ मिलना तय माना जा रहा है। खैहरा गुट का कहना है कि पांच और विधायक उनके संपर्क में हैं।

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उम्मीद की जा रही थी कि केजरीवाल बागी हो चुके सुखपाल सिंह खैहरा गुट को मना पाने में सफल हो जाएंगे। इसीलिए भोग में शिरकत करने का कार्यक्रम तय किया था। केजरीवाल के दौरे को काफी गंभीरता से लिया जा रहा था। शिअद महासचिव बिक्रम सिंह मजीठिया से नशे के मुद्दे पर माफी मांगने के बाद चौतरफा घिरे केजरीवाल के पास यह पहला मौका था, जब वे दोबारा पंजाब में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा सकते थे। उनकी कोशिश थी कि खैहरा को पहले ही मना लिया लिया जाए। सुनाम के विधायक अमन अरोड़ा को बार-बार खैहरा से मिलने के लिए भेजा जा रहा था। खैहरा के स्पष्ट स्टैंड के चलते अरोड़ा भी उन्हें मना नहीं पाए।

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जाते-जाते सुलह का रास्ता खोल गए केजरी

दिल्ली लौटते समय केजरीवाल सुलह का रास्ता खोल गए हैं। उन्होंने संकेत दिए हैं कि खैहरा गुट की जायज मांगों पर विचार किया जा सकता है, लेकिन सबसे बड़ी मांग खुद मुख्तियारी की है। इसे लेकर ही दिल्ली और पंजाब आप में विधानसभा चुनाव से पहले से ही अंदरखाते लड़ाई चल रही है। अगर खैहरा गुट ने इस मांग को छोड़ केजरीवाल से हाथ मिला लिया, तो कार्यकर्ताओं की भीड़ का खैहरा गुट से दूर होना तय है।

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इसलिए बढ़ी तल्खी

पार्टी के पंजाब प्रभारी मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके खैहरा को 26 जुलाई को नेता प्रतिपक्ष पद से हटा दिया गया था। इसके बाद पंजाब में 20 विधायकों वाली आम आदमी पार्टी दोफाड़ हो गई थी। खुद मुख्तियारी (फैसले लेने का अधिकार) की मांग को लेकर खैहरा ने 8 विधायकों के समर्थन के साथ बगावत की थी। ये सभी एकजुट हैं और पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले खुद ले रहे हैं। केजरीवाल समर्थित भगवंत मान गुट की तरफ से लिए जा रहे फैसलों का खैहरा गुट खुलकर विरोध कर रहा है।

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