चंडीगढ़ में मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति, 5 भाजपा नेताओं के नाम, 9 महीने की देरी से हो रही नियुक्ति
मनोनीत पार्षदों के दावेदारों की पुलिस वेरिफिकेशन की जा रही है। मनोनीत पार्षदों में पांच भाजपा के नेता और पदाधिकारी हैं। इस माह होने वाली सदन की बैठक में यह मनोनीत पार्षद भी शामिल होंगे। मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति 9 माह देरी से हो रही है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से नगर निगम के मनोनीत पार्षदों के नाम फाइनल कर दिए गए हैं। संभावना जताई जा रही है कि 2 से 3 दिन में मनोनीत पार्षदों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी। यह भी चर्चा है कि 9 मनोनीत पार्षदों के नाम पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंजूरी दे दी है। अब प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित के हस्ताक्षर के बाद उनके नामों की घोषणा कर दी जाएगी।
मनोनीत पार्षदों के दावेदारों की पुलिस वेरिफिकेशन की जा रही है। मनोनीत पार्षदों में पांच भाजपा के नेता और पदाधिकारी हैं। इस माह होने वाली सदन की बैठक में यह मनोनीत पार्षद भी शामिल होंगे। मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति 9 माह देरी से हो रही है।
चंडीगढ़ कांग्रेस की मांग है कि जो भी मनोनीत पार्षद नियुक्त किए जाएं वह गैर राजनीतिक हो। भाजपा नेताओं के मनाेनीत पार्षद बनने से पार्टी को फायदा मिलेगा। हालांकि मनोनीत पार्षदों के पास वोटिंग का अधिकार नहीं है।इस बार कई ऐसे मजबूत दावेदारों को झटका लग सकता है जिन्हें मनोनीत बनने की पूरी संभावना थी। पूर्व चीफ इंजीनियर का नाम भी लिस्ट से हटा दिया गया है, जिसकी सिफारिश एक सीनियर नेता ने की थी।
कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की और प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य सतीश कैंथ का कहना है कि मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति क्यों देरी से हो रही है यह भी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। अगर भाजपा नेताओं को भी मनोनीत पार्षद नियुक्ति किया जा रहा है तो कांग्रेस और आप के नेताओं को भी मनोनीत पार्षदों में तवज्जो मिलनी चाहिए। कांग्रेस के कार्यकाल में गैर राजनीतिक और अलग अलग फिल्ड में एक्सपर्ट लोगों को मनोनीत पार्षदों बनाया गया था। इनमें रिटायर्ड आर्मी पर्सन, वास्तुकार, डाक्टर और बुद्धिजीवी लोगों को नियुक्त किया जाता था, ताकि नगर निगम और शहर को इनकी नियुक्ति का फायदा मिल सके।
कैंथ का कहना है कि बीते साल दिसंबर में हुए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का वोटिंग शेयर आप और भाजपा के मुकाबले में सबसे ज्यादा था, बेशक पार्टी सीटें कम जीत पाई थी, लेकिन वोट परसेंट के हिसाब से भी मनोनीत पार्षदों और प्रशासन की ओर से गठित की जाने वाली अलग अलग कमेटी में कांग्रेस नेताओं को तवज्जो दी जानी चाहिए। भाजपा ने माहौल राजनीतिकरण कर दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार जो मनोनीत पार्षदों में ऐसे किसी नेता का नाम नहीं है कि जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। जबकि उस समय यह चर्चा थी कि ऐसे नेताओं को मनोनीत पार्षद बनाया जाएगा। पूर्व पार्षद देवेंद्र सिंह बबला और पूर्व डिप्टी मेयर शीला फूल सिंह कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं। मनोनीत पार्षदों में भाजपा के एक जिला अध्यक्ष का भी नाम है। यह संभावना जताई जा रही है कि मनोनीत पार्षदों के नाम सामने आने के बाद पार्टी में राजनीति और गुटबाजी बढ़ेगी। राजनीति गलियारों में यह चर्चा है कि बनने वाले मनोनीत पार्षदों को तय करवाने में प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद की चली है। अधिकतर नाम वह है जिनकी सिफारिश सूद ने की थी। एक अल्पसंख्यक वर्ग के भी प्रतिनिधि का नाम शामिल है। शहर के अलग अलग सगठनों की ओर से अपने एक एक प्रतिनिधि का नाम मनोनीत पार्षद के लिए भेजा गया है।