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प्रशासन की लापरवाही : कभी छह अरब का था कारोबार, अब पंचकूला शिफ्ट हुई सेब मंडी

यूटी प्रशासन की लापरवाही के कारण चंडीगढ़ से सेब मंडी पंचकूला में पूरी तरह से शिफ्ट हो गई है। इसलिए हरियाणा में पंचकूला और हिमाचल के परवाणु में सेब मंडी अब चल रही है। जबकि पांच साल पहले तक सेक्टर-26 मंडी में हर साल चार अरब रुपये का सेब का कारोबार होता था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 07:56 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 07:56 PM (IST)
प्रशासन की लापरवाही : कभी छह अरब का था कारोबार, अब पंचकूला शिफ्ट हुई सेब मंडी
प्रशासन की लापरवाही : कभी छह अरब का था कारोबार, अब पंचकूला शिफ्ट हुई सेब मंडी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ :

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यूटी प्रशासन की लापरवाही के कारण चंडीगढ़ से सेब मंडी पंचकूला में पूरी तरह से शिफ्ट हो गई है। इसलिए हरियाणा में पंचकूला और हिमाचल के परवाणु में सेब मंडी अब चल रही है। जबकि पांच साल पहले तक सेक्टर-26 मंडी में हर साल चार अरब रुपये का सेब का कारोबार होता था। इससे यूटी प्रशासन को हर साल अकेले सेब से छह से आठ करोड़ रुपये की कमाई मार्केट फीस के तौर पर होती थी, लेकिन अब यह फीस प्रशासन को नहीं आ रही है। इसके अलावा जमींदारों के आने से वह चंडीगढ़ में खरीदारी करते थे। होटल में रहते थे। ऐसे में इससे अन्य कारोबार भी प्रभावित हुए हैं।

सेब के आढ़ती यहां से ही पंचकूला मंडी में शिफ्ट हुए हैं। आढ़ती वापस चंडीगढ़ में आकर सेब का कारोबार करने के लिए तैयार है, लेकिन उनका कहना है कि प्रशासन सबसे पहले सेक्टर-26 से मंडी सेक्टर-39 में शिफ्ट करे और यहां से जो सेब पर मार्केट फीस चार्ज की जा रही है उसे खत्म किया जाए। सेक्टर-26 मंडी में सुविधाओं के अभाव के साथ साथ यहां पर पार्किंग के अलावा दूसरी कई तरह की समस्याएं हैं। यह मंडी काफी तंग है। सेब का सीजन शुरू हो चुका है। इस समय समय शिमला,कुल्लू, मंडी और मनाली से आ रहा है। किन्नौर से सेब की फसल जल्द शुरू होने वाली है।

सेक्टर-39 मंडी का ले आउट प्लान तैयार

सेक्टर-39 में मंडी शिफ्ट करने का प्रशासन की ओर से ले आउट प्लान तैयार किया हुआ है, लेकिन इसे शिफ्ट करने का निर्णय प्रशासन पिछले दस साल से नहीं ले पा रहा है। जबकि पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट भी मंडी शिफ्ट करने के लिए कह चुका है। समय पर मंडी शिफ्ट न होने के कारण यहां पर सुविधाओं का विकास करने की निर्माण लागत भी 155.79 करोड़ से बढ़कर अब 192 करोड़ रुपये हो चुकी है। सेक्टर-39 की मंडी में आढ़ती फ्री होल्ड बेस पर काम करने के लिए दुकान बनाने के लिए प्लाट की मांग कर रहे हैं। सितंबर-2015 में सेक्टर-39 में नई मंडी का शिलान्यास किया गया था। हालांकि इस मंडी को शुरू करने के लिए प्रशासन ने फरवरी 2016 को टारगेट रखा था, लेकिन सेक्टर-26 की मंडी अब तक शिफ्ट नहीं हो पाई है। सेक्टर-39 स्थित नई मंडी 75 एकड़ एरिया में बनाई गई है। यह सेक्टर-26 मंडी से तीन गुना बड़ी है। सेक्टर-26 की मंडी 25 एकड़ में बनी हुई है। अब पंचकूला में चार्ज हो रही है फीस

पांच साल पहले जब चंडीगढ़ से आढ़ती पंचकूला में शिफ्ट हुए थे तब सेब पर कोई फीस चार्ज नहीं की जाती थी, लेकिन पिछले साल एक फीसद फीस और एक फीसद रूलर डेवलपमेंट फंड लगा दिया गया है। आढ़तियों का दावा है कि विधानसभा ने फिर से यह फीस खारिज कर दी है, लेकिन अभी इसकी अधिसूचना जारी होनी है। आढ़ती चाहते हैं कि सेक्टर-39 में मंडी शिफ्ट हो। प्रशासन के अधिकारी कई बार बैठक कर चुके हैं, लेकिन इसका कोई स्थायी निर्णय नहीं निकल रहा है। सेब के आढ़तियों को वापस लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

- देवेंद्र सिंह बबला, पूर्व चेयरमैन, मार्केट कमेटी सेब की मंडी पंचकूला शिफ्ट होने से सिर्फ प्रशासन को मार्केट फीस का ही नुकसान नहीं है, बल्कि व्यापारियों को भी नुकसान है। जमींदार जो चंडीगढ़ में सेब बेचने के लिए आते थे वह यहां से कई तरह की खरीदारी भी करने आते थे। पांच हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिला हुआ था। प्रशासन अगर सेक्टर-39 में मंडी शिफ्ट करने का निर्णय ले लेता है तो सेब के आढ़ती वापस आकर कारोबार करने के लिए तैयार हो जाएंगे।

- बृज मोहन राजू, अध्यक्ष, सब्जी एंड फल आढ़ती एसोसिएशन


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