एक भी टूर का नहीं मिला फायदा फिर 50 लाख खर्चने की तैयारी
स्टडी टूर का शहरवासियों को फायदा नहीं मिला है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पार्षदों और अधिकारियों के एक भी स्टडी टूर का शहरवासियों को फायदा नहीं मिला है। इसके बावजूद नए वित्तीय सत्र के लिए जो 1260 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया है, उसमें 50 लाख रुपये की राशि का प्रावधान स्टडी टूरों के लिए रखा गया है। इसलिए ही शहरवासी भी पार्षदों के स्टडी टूर के खिलाफ रहे हैं। अब तक जितने भी स्टडी टूर गए हैं, उसका शहर को कोई फायदा नहीं मिला है। जबकि स्टडी टूरों पर लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं। साल 2004 से लेकर 2018 तक पार्षदों के स्टडी टूरों पर एक करोड़ 64 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। टूरों की रिपोर्ट तो बनी पर चर्चा तक नहीं हुई
पिछले साल अलग-अलग पार्षदों का स्टडी टूर इंदौर, विजयवाड़ा और मैसूर गया था। ये टूर इन जगहों पर सफाई व्यवस्था और कचरे का सेग्रीगेशन सिस्टम को देखने के लिए गए थे। इन स्टडी टूरों की रिपोर्ट्स भी तैयार हुई, लेकिन सदन में यह व्यवस्थाएं लागू होना तो दूर, एक बार भी चर्चा नहीं हुई। जबकि इन टूरों पर नगर निगम का 20 लाख रुपये का खर्चा हुआ था। सूखे और गीले कचरे का सेग्रीगेशन सिस्टम भी लागू नहीं हुआ है। अभी ये टूर गए हैं, जिनका नहीं मिला फायदा
साल टूर का स्थल व्यय (लाखों में)
2004 चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु 125400
2004 गोवा 347100
2004 बेंगलुरु और मैसूर 301210
2007 मुंबई 19530
2007 सिगांपुर और बैंकाक 1510560
2009 गुजरात 586075
2010 केरल 1381600
2010 गंगटोक 1607791
2010 कोलकाता और गंगटोक 1389032
2010 केरल 1381600
2010 दिल्ली संसद 47000
2011 बेंगलुरु से कोयंबटूर 1639700
2011 चेन्नई और पुडुचेरी 1104744
2011 चेन्नई, पुडुचेरी, मुदरै, कोयंबटूर 1104744
2013 गुजरात 389492
2013 जामनगर, जूनागढ़ और दीव 361616
2014 वाटर सप्लाई केा देखने के लिए कई शहरी एरिया 1011240
2014 नासिक 365129
2015 तमिलनाडू 350000
2015 स्पेन 285000
2018 इंदौर, विजयवाड़ा, और मैसूर 2000000 टूर में तबीयत खराब होने से पार्षद की हो चुकी है मौत
2014 में पार्षद चेन्नई, कोलकाता और पोर्ट ब्लेयर के स्टडी टूर पर गए थे। इस टूर में उस समय अकाली पार्षद मलकीयत ¨सह की तबीयत खराब होने से मौत भी हो गई थी। इस विवादित स्टडी टूर के लिए 13 पार्षदों से 9-9 हजार रुपये की रिकवरी भी ली गई थी, क्योंकि इस टूर में पार्षद अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों को भी साथ ले गए थे। जिससे टूर का खर्चा बढ़ गया था। पिछले साल भी पार्षद चंद्रवती शुक्ला के साथ उनके पति सरकारी टूर पर साथ चले गए थे। -चंडीगढ़ रेजिडेंट्स एसोसिएशन वेलफेयर फेडरेशन के वाइस चेयरमैन सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि जब शहरवासी चाहते ही नहीं कि पार्षद स्टडी टूर पर जाएं, तो फिर बजट में इसे क्यों बार-बार शामिल किया जाता है। आजकल सभी जानकारी ऑनलाइन हैं, कुछ अध्ययन करना है तो इंटरनेट के माध्यम से किया जा सकता है।
-मेयर राजेश कालिया का कहना है कि वह स्टडी टूर के खिलाफ नहीं हैं। टूर में जाकर पार्षदों को काफी कुछ नया सीखने को मिलता है। इस साल जो भी स्टडी टूर जाएगा। सुनिश्चित किया जाएगा कि जो भी जिस लक्ष्य के लिए जाए, वह पूरा हो।