Amritpal Singh Sarbat Khalsa: ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद भी बुलाया गया था, क्या है ये? कब हुई इसकी शुरुआत!
Amritpal Singh Demanded Sarbat Khalsa Know What it is अमृतपाल 18 मार्च से फरार है। वह पुलिस का घेरा तोड़कर पहले हरियाणा भागा अन्य राज्यों के रास्ते देश से बाहर भागने की फिराक में नेपाल बॉर्डर तक पहुंच गया। इनसब के बीच उसने सरबत खालसा बुलाने की मांग की थी।
चंडीगढ़, जागरण डिजिटल डेस्क । Sarbat Khalsa वारिस पंजाब दे का प्रमुख और खालिस्तान समर्थक भगोड़ा Amritpal Singh 18 मार्च से फरार है। वह पुलिस का घेरा तोड़कर पहले हरियाणा भागा उसके बाद यूपी, उत्तराखंड यहां तक की सीमा पार कर देश से बाहर भागने की फिराक में वह भारत-नेपाल बॉर्डर तक पहुंच गया, लेकिन भारी पुलिस बल और स्पेशल फोर्स की तैनाती के कारण उसे वहां से भी वापस लौटना पड़ा।
इन सब में एक बात खास थी, उसकी सभी गतिविधियों में उसका मीडिया सलाहकार पपलप्रीत सिंह उसके साथ था। इससे भी बड़ी बात यह है कि पपलप्रीत न सिर्फ उसका मीडिया सलाहकार था बल्कि अमृतपाल के पीछे का मास्टरमाइंड भी वही था।
अमृतपाल ने की थी सरबत खालसा की मांग
इन सब के बीच यह खबर थी कि जब अमृतपाल यूपी में था तब उसने लाइव आकर एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने बैसाखी के समय सरबत खालसा बुलाने की मांग की थी। अमृतपाल ने न सिर्फ एक बल्कि तीन-तीन वीडियो जारी कर अपनी मांगे रखी थी। इन तीनों वीडियो में समान बात थी और वह थी बैसाखी पर सरबत खालसा बुलाने की बात, जिसके बाद से कई सिख संगठनों में खलबली सी मच गई है। कईयों ने इसका विरोध किया तो कईयों ने इसपर विचार करने की भी बात कही, लेकिन आखिर क्या है सरबत खालसा? क्यों इसके बुलाने पर सिख संगठनों में उठापटक हो रही है।
क्या है सरबत खालसा...
सरबत का अर्थ होता है सभी और खालसा का मतलब होता है सिख, इसका अर्थ है कि ऐसी जगह जहां सारे सिख एक इकट्ठा होते हैं। सरबत खालसा पंथक संकट को हल करने के लिए बुलाया जाता है। यह विभिन्न सिख संगठनों की बुलाई हुई सभा को कहा जाता है। सरबत खालसा बुलाने पर विभिन्न सिख संगठन उनपर चल रहे संकट को हल करने के लिए विचार विमर्श व चर्चा करते हैं। इसके बाद अंत में जो भी फैसला होता है तख्त साहिब के जत्थेदार सिख कौम को उसका पालन करने के आदेश देती है।
सरबत खालसा केवल श्री अकाल तख्त साहिब या किसी अन्य साहिब पर ही बुलाया जा सकता है, लेकिन इस बार सरबत खालसा अमृतसर के गांव चब्बा में बुलाया गया है क्योंकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने संयुक्त अकाली दल और शिरोमणि अकाली दल अमृतसर को इसकी इजाजत नहीं दी थी।
9 साल पहले राम रहीम ने रचा था स्वांग
बता दें कि इसके पहले 2007 में सरबत खालसा तख्त श्री दमदमा साहिब में बुलाया गया था। बता दें कि उस सरबत खालसा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद जी के जैसा बाणा पहनकर नाटक रचा था, जिसके बाद से सिख कौम ने कड़ा रोष जताया था और इसके बाद से पूरी सिख पंथ को राम रहीम से कोई भी नाता न रखने का गुरमता पास किया गया था। अब लगभग 9 साल बाद इसे बुलाने की मांग अलगाववादी अमृतपाल द्वारा की गई है।
कब शुरू हुआ सरबत खालसा...
बता दें कि 1708 में सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद जी की मृत्यु के बाद से सिखों की प्रतिनिधित्व खत्म हो गया था, जिसके बाद से उनकी कमी को पूरा करने के लिए सरबत खालसा का गठन किया गया, लेकिन 1805 में राजा रंजीत सिंह ने इसपर रोक लगा दी थी।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद भी बुलाया गया था
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इसे 200 साल बाद 1986 में स्वर्ण मंदिर यानी की हरमंदिर साहिब के पुनर्निर्माण के समय बुलाया गया था और अब इसे सिर्फ अकाल तख्त ही बुला सकती है।