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पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष के लिए अंबिका सोनी व जाखड़ के नाम की चर्चा

पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद को लेकर रेस तेज हो गई है। प्रदेया के कांग्रेस नेताओं की खींचतान से पार्टी हाईकमान भी दुविधा है। चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी की प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष के तौर पर ताजपाेशी हो सकती है। सुनील जाखड़ भी रेस में हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 01:44 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 09:32 AM (IST)
पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष के लिए अंबिका सोनी व जाखड़ के नाम की चर्चा

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद को लेकर रेस तेज हो गई है। प्रदेया के कांग्रेस नेताओं की खींचतान से पार्टी हाईकमान भी दुविधा है। कांग्रेस नेतृत्व कैप्टन अमरिंदर सिंह व वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा में से किसी को नाराज नहीं करना चाहता। ऐसे में चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपाेशी हो सकती है। सुनील जाखड़ भी इस रेस में बताए जाते हैं।

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इसी क्रम में बुधवार को प्रताप सिंह बाजवा राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मिले। मंगलवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोनिया गांधी से भेंट की थी। कैप्टन लगातार बाजवा को प्रधान पद से हटाए जाने के लिए पार्टी हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं। मंगलवार की सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान भी कैप्टन ने यही मुद्दा उठाया।

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पार्टी के सूत्र बताते हैं कि सोनिया और राहुल ने बाजवा से इसी मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया जानी और उनसे अगले विकल्प के बारे में पूछा। बताते हैं कि बाजवा ने यह भी शंका जताई कि क्या गारंटी है कि कैप्टन किसी दूसरे प्रधान को चलने देंगे।

सुनील जाखड़

बताया जाता है कि दोनों नेताओं से मुलाकात के बाद पार्टी नेतृत्व कई विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसमें प्रमुख रूप से अंबिका सोनी और पंजाब विधानसभा मेें नेता प्रतिपक्ष सुनील जाखड़ का नाम सबसे आगे हैं। सुनील जाखड़ को अगर प्रधान बनाया जाता है तो कांग्रेस विधायक दल का नेतृत्व किसी दलित नेता को दिया जा सकता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर अंबिका सोनी प्रधान बनती हैं तो पंजाब कांग्रेस की धड़ेबंदी कम हो सकती है। सुनील जाखड़ को कैप्टन अमरिंदर सिंह के खेमे का समझा जाता है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी शकील अहमद का कहना हैं कि पार्टी अब प्लीज ऑल का फार्मूला अपनाएगी, ताकि पार्टी संगठित होकर चुनाव मैदान में जा सके। उन्होंने कहा इसे लेकर लगातार प्रयास चल रहे हैं।

यह पूछ जाने पर कि पार्टी हाईकमान कोई ठोस नतीजे पर क्यों नहीं पहुंच पा रहा है तो शकील अहमद ने कहा, 'दिल्ली में चल रही लगातार बैठकें इसी बात को दर्शाता है कि हम जल्द से जल्द ठोस हल निकालना चाहते हैं। इसी लिए 4 सितंबर को कैप्टन और बाजवा के साथ मेरी दिल्ली में बैठक होनी है। जल्द ही यह समस्या खत्म होगी।'


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