चंडीेगढ़ PU में कमाल का शोध: अब लकड़ी का भी होगा डीएनए टेस्ट, आसानी से सुलझेगे क्राइम केस
पंजाब विश्वविद्यालय में कमाल का शोध हुआ है। इस शोध के मुताबिक अब लकड़ी का डीएनए हो सकेगा। इससे क्राइम में लकड़ी का इस्तेमाल करने पर केस का आसानी से हल निकाला जा सकेगा।
चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। सिटी ब्यूटीफुल चंड़ीगढ़ में कमाल का शोध है। अब लकड़ी (Wood) का डीएनए टेस्ट (DNA test) हो सकेगा। किसी भी वारदात में प्रयोग होने वाली लकड़ी से अब आरोपितों तक पहुंचना आसान होगा। पंजाब यूनिवर्सिटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंस और क्रिमिनोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विशाल शर्मा ने चेक गणराज्य स्थित मेंडल विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ वुड साइंस के प्रोफेसर के साथ मिलकर यह खास शोध किया है।
क्राइम में किस लकड़ी का प्रयोग हुआ, पीयू की रिसर्च से चलेगा पता
डॉ. विशाल के अनुसार, अगर किसी भी प्रकार की लकड़ी से हमला किया गया है और उसका कुछ हिस्सा वहां पर गिरा मिल जाए, तो फिर उस मामले को इस खास शोध के जरिये सुलझाया जा सकता है। डॉ. शर्मा द्वारा विश्लेषण के लिए आशाजनक विधि तैयार की गई है।
लकड़ी से अपराध आसान तरीका : डॉ. विशाल शर्मा
डॉ. विशाल ने कहा कि अभी तक अगर कोई व्यक्ति अपराध में लकड़ी का प्रयोग करता है, तो वह सुबूतों के अभाव में अदालत से बच जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि कोर्ट में इस बात का प्रमाण नहीं हो पाता कि किस लकड़ी से अपराध हुआ है। इस मैथड से साबित कर सकते हैं कि अपराध में कौन सी लकड़ी का प्रयोग हुआ। इसके साथ ही लकडिय़ों की तस्करी को रोकने में भी यह विधि मददगार साबित होगी।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से करेंगे संपर्क
पीयू संकाय इस क्षेत्र में आगे के अनुसंधान की खोज के बारे में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से संपर्क करने की योजना बना रहा है। डॉ. शर्मा ने बताया कि यह विधि अन्य सभी तकनीकों की तुलना में लकड़ी के विश्लेषण पर बेहतर और सटीक परिणाम देती है। यह एक पायलट प्रोजेक्ट था, वे हर राज्य की जानकारी के लिए एक डाटाबेस बना सकते हैं।
ऐसे शोध में मिली सफलता
डॉ. विशाल के अनुसार शोध के दौरान लैब में इंफ्रा रेड स्टेटोस्कोपी विधि से लकड़ी के विभिन्न कंपोनेंट की एक खास डिटेक्टर उपकरण से जांच की गई। जिसमें लकड़ी की विभिन्न प्रजातियों के बारे में बारीकी से जानकारी हासिल करनी पड़ती है। वारदात के समय प्रयोग लकड़ी की जांच से उसके बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की जा सकती है।
डॉ.विशाल ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरुआत में 24 लकड़ी की प्रजातियों को शोध में शामिल गया है। जिसमें 87.5 फीसद रिजल्ट बिल्कुल सही आए। डॉ. विशाल ने कहा कि फिलहाल सैंपल छोटा है, लेकिन इस प्रोजेक्ट को बड़े लेवल पर किया जाएगा, तो इसका काफी फायदा मिलेगा। इस शोध को व्यवहारिक रूप से लाने और सफल बनाने के लिए बड़े स्तर पर डाटा बेस तैयार करना होगा। इस शोध पर करीब एक साल से काम चल रहा था। जिसके काफी अच्छे रिजल्ट मिले हैं।
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