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नवजोत सिंह सिद्धू के यू टर्न से दुविधा में अमरिंदर सरकार

पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पत्‍नी आैर बेटे के मामले में यू टर्न लेेने से कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार भी दुविधा में फंस गई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 10:29 AM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 08:50 PM (IST)
नवजोत सिंह सिद्धू के यू टर्न से दुविधा में अमरिंदर सरकार
नवजोत सिंह सिद्धू के यू टर्न से दुविधा में अमरिंदर सरकार

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से प्रेस कांफ्रेंस कर पत्नी और बेटे के सरकारी ओहदे छोड़ने की घोषणा के बाद पंजाब सरकार फिर दुविधा में फंस गई है। सवाल यह है कि आखिर सिद्धू ने अचानक यह यू टर्न लेकर क्या संदेश देने की कोशिश की है। दो हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट से रोडरेज मामले में आरोपों से मुक्त होने के बाद कहा था कि उनका एक-एक कतरा पंजाब व देश का कर्जदार है।

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उन्होंने राहुल गांधी व प्रियंका गांधी का भी धन्यवाद किया था। भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी का दरवाजा खटखटाते हुए सिद्धू ने कैप्टन के न चाहने के बाद भी राहुल गांधी के रास्ते पंजाब कांग्रेस ज्वाइन की थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वह कैबिनेट मंत्री बने। उसके बाद से विभिन्न मुद्दों पर मुख्यमंत्री व सिद्धू में शीत युद्ध सा चलता रहा है।

सरकार ने अपना वादा पूरा करते हुए सिद्धू की पत्नी को पंजाब वेयरहाउस कॉर्पोरेशन का चेयरपर्सन बनाया था। हालांकि, सिद्धू की पत्नी किसी बड़े विभाग की चेयरपर्सन बनना चाहती हैं। वह विधायक व सीपीएस रह चुकी हैं। कैप्टन से नियुक्ति पत्र लेने के एक माह की चुप्पी के सवाल सिद्धू के मुंह से निकल गया कि शायद वह इस पद से संतुष्ट नहीं हैं।

हालांकि, उस समय कयास लगाए जा रहे थे कि सिद्धू को शायद रोडरेज मामले में सजा न हो जाए, तो उनकी पत्नी के उनकी सीट से लड़ने के दावे को खत्म करने के लिए सरकार ने कूटनीति के तहत पहले ही उन्हें चेयरपर्सन बनाकर रास्ते से हटाने की कोशिश की थी। वेयरहाउस कॉपरेरेशन का चेयरपर्सन बनने के बाद यह अंदाजा हो गया था कि विभागीय काम में दखलंदाजी का ज्यादा अधिकार नहीं है। इसके बाद से ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि सिद्धू की पत्नी पद को ठुकरा सकती हैं।

बेटे ने खुद लिया फैसला

सिद्धू के इस फैसले को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उनकी क्या मजबूरी है कि उनके बेटे ने उक्त पद के लिए आवेदन किया और अब खुद ही नियुक्ति होने के बाद ज्वाइन करने से इन्‍कार कर दिया। इसके बारे में सिद्धू ने कहा कि उनके परिवार के पास कोई जमीन जायजाद नहीं हैं। पटियाला में कुछ दुकानें जरूर हैं। वह भी उनके राजनीति में आने से पहले की हैं। उन्होंने जो भी पैसे कमाए हैं, वह प्रोफेशनल स्किल से कमाए हैं।

सिद्धू ने कहा, उनका बेटा भी वकालत के बाद अपने करियर के लिए स्वतंत्र फैसले ले सकता है, लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि पिता पर राजनीतिक हमले तो उसने खुद ही यह फैसला लिया कि इस पद पर ज्वाइन नहीं करेगा, ताकि पिता की छवि खराब न हो। एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कहा कि करन सिद्धू ने खुद ही आवेदन किया था।

एक बार फिर यू टर्न

सरकार के फैसलों को लेकर बार-बार सिद्धू का यू टर्न अब चर्चा का विषय बनता जा रहा है। कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले डिप्टी सीएम के लिए हां की थी। बाद में मंत्री बनना स्वीकार किया। फिर निकाय विभाग के साथ हाउसिंग एंव डवलपमेंट विभाग को मर्ज करने की मांग उठाई। कैप्टन ने स्वीकार नहीं की तो निकाय मंत्री के रूप में काम शुरू कर दिया। इसके बाद कैप्टन और सिद्धू में शीत युद्ध तेज हो गया और अकालियों के खिलाफ केबल माफिया, रेत माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया मुद्दे पर सिद्धू ने जमकर बयानबाजी कर मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। कार्रवाई न हुई तो फिर सिद्धू ने आगे की राजनीति में अपनी जमीन तलाशने लगे। पत्नी को चेयरपर्सन बनाया गया, तो सिद्धू पत्नी के साथ नियुक्ति पत्र लेने गए थे।

अब करेंगे अाक्रामक राजनीति

बेटे व पत्नी की सियासी कुर्बानी के बाद सिद्धू ने इस बात के संकेत दिए कि अब वह व उनका परिवार खुलकर राजनीति करके पंजाब के हित के लिए काम करेंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से बरी होने के बाद सिद्धू ने कहा था कि अब वह पहले से और ज्यादा आक्रामक हो गए हैं, उनके सियासी दुश्मनों की खैर नहीं। पत्नी व बेटे को सरकार से सियासी कूटनीति व सिद्धू के सियासी दुश्मनों भले ही दूर होना पड़ा है, लेकिन सिद्धू की भविष्य की सियासत के लिए यह फैसले सही साबित हो सकते हैं।

खुले सिद्धू के रास्ते

अब सिद्धू की सियासत के सारे रास्ते खुल गए हैं। अब वह सरकार के गले की हड्डी बन सकते हैं। जैसे सिद्धू ने बीते एक साल में तमाम मामलों में सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं, उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि अब सिद्धू की लड़ाई अपने सियासी दुश्मनों को खत्म करने के साथ-साथ सरकार में बैठे उनके विरोधियों से बढ़ गई है। इसके अलावा पत्नी व बेटे के प्रति नैतिक जिम्मेवारी भी बढ़ गई है। सिद्धू अपने सियासी वादों के साथ-साथ पिता व पति के रूप में किए खुद से किए गए वादों पर कितने खरे उतर पाते हैं समय बताएगा।

परमात्मा ऐहना नूं अकल देवे : प्रकाश सिंह बादल

लंबी (श्री मुक्तसर साहिब) : पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपने ही घर के लोगों को नौकरी दे रही है। लोगों की कोई चिंता नहीं है। उन्‍होंने नवजोत सिद्धू के बेटे को एएजी की नौकरी देने संबंधी सवाल पर कहा कि परमात्मा एहना नूं अकल देवे ताकि जिन्हां ने एहना दी सरकार बनाई आ ओहनां दी सेवा कर सकण। लेकिन, ये तो अपने ही घर की सेवा करने पर लगे हुए हैं।


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