पंजाब में कदम बढ़ाती भाजपा से अकाली परेशान, पढ़ें... और भी पर्दे के पीछे की रोचक खबरें
कई खबरें ऐसी होती हैं जो अक्सर मीडिया में सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए पंजाब के साप्ताहिक कालम खबर पर्दे के पीछे की के जरिये कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं।
चंडीगढ़ [इंद्रप्रीत सिंह]। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पिछले कुछ समय से अपनी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ा दी हैं। इससे कांग्रेस सरकार तो परेशान नहीं है लेकिन अकाली दल के नेताओं की परेशानी जरूर बढ़ गई है। भाजपा ने कई ऐसी गतिविधियां शुरू की हैं जहां अकाली दल को दिक्कत होती है। पिछले दिनों जहरीली शराब को लेकर पार्टी ने अपने स्तर पर प्रदर्शन कर और धरने देकर बता दिया कि उसका अपना स्वतंत्र आस्तित्व भी है। वह शिअद की पिछलग्गू नहीं है। एनआरआइ के साथ पंजाब के विकास के लिए भी पार्टी ने अपने स्तर पर वेबिनार किए। भाजपा काडर लंबे समय से मांग कर रहा है कि भाजपा को अकाली दल से अलग होकर स्वतंत्र चुनाव लडऩा चाहिए लेकिन पार्टी हाईकमान अभी तक फैसला नहीं कर पाई है कि ऐसा करना उनके लिए संभव है कि नहीं। हां, भाजपा की बढ़ी गतिविधियों ने अकाली दल को जरूर परेशान कर दिया है।
बैक सीट से लडऩी होगी लड़ाई
शिअद (ब) से अलग हुए परमिंदर सिंह ढींडसा लंबे समय से विधानसभा सत्र में हिस्सा नहीं ले रहे, परंतु इस बार वह सत्र में आने का मन बना चुके हैैं। अब सवाल यह है कि उन्हें सीट कहां दी जाएगी। प्रकाश सिंह बादल के बाद ढींडसा पार्टी में सबसे सीनियर हैं। वह पांच बार चुनाव जीत चुके हैैं और अब अलग पार्टी में है। विधानसभा में वह अब भी शिरोमणि अकाली दल (ब) के विधायक हैं। ग्रुप लीडर के बाद पहली कुर्सी उन्हें ही मिलनी है। अकाली दल में इसे लेकर बेचैनी है, क्योंकि इस बार एक कुर्सी पर केवल एक ही विधायक बैठ सकेगा। ऐसे में बिक्रम मजीठिया को पीछे की कुर्सी पर बैठना होगा, क्योंकि वह ढींडसा से जूनियर हैं। वैसे तो शरणजीत ढिल्लों पार्टी के ग्रुप लीडर हैं, लेकिन विधानसभा में पार्टी की कमान मजीठिया ही संभालते हैं। इस बार उन्हें बैक सीट से लड़ाई लड़नी होगी।
विजिलेंस ब्यूरो को बनाया बिजनेस ब्यूरो
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने तीन दिन पहले एक बड़ी कार्रवाई करके चार ईटीओ को पकड़ा तो देर रात लोक संपर्क विभाग ने जल्दबाजी में विजिलेंस ब्यूरो को बिजनेस ब्यूरो लिख दिया। हालांकि गलती पकड़ में आते ही उन्होंने इसे सुधार दिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। यह प्रेस नोट कई जगह पर वायरल हो गया और कई लोगों ने इस पर चटखारे लेते हुए कई कमेंट भी कर दिए। दरअसल, विजिलेंस ब्यूरो को हर सत्ताधारी पार्टी ने एक टूल के रूप में ही प्रयोग किया है। विजिलेंस के अधिकारियों पर आरोप भी लगते रहे हैं कि वह छोटे कर्मचारियों को पकड़कर ही अपनी नौकरी को जस्टिफाई कर रहे हैं और लोगों से पैसा लेकर काम करने वाले बड़े अफसरों को न तो पकड़ते है व न ही कार्रवाई करते हैैं। तो क्या यह संयोग था या गलती थी कि विजिलेंस ब्यूरो को बिजनेस ब्यूरो लिख दिया गया।
तो यह कर्फ्यू किस बात का
भगवान के लिए नियमों का पालन करो, मुझे सख्ती करने पर मजबूर मत करो। यह अपील मुख्यमंत्री कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह ने लोगों से की और उसी दिन सभी शहरों में वीकएंड कर्फ्यू लगा दिया। साथ ही चेतावनी दी कि बस बहुत हो गया, अब सख्त कदम उठाने ही पड़ेंगे। मैं पंजाबियों को मरने नहीं दे सकता। जिस दिन कर्फ्यू लगा तो कहीं भी ऐसा लगा ही नहीं कि कर्फ्यू का पालन हो रहा है। यही लगा कि कैप्टन केवल मौखिक तौर पर ही चेतावनी दे रहे हैं। असल में राज्य की आर्थिक स्थिति से वह भी अवगत हैं। चाहते हैं कि लोगों के कारोबार भी चले और लोग एक दूसरे से दूरी भी बनाकर रखें, परंतु लोग हैं कि मानते ही नहीं। इतना ही नहीं कई लोग तो सार्वजनिक स्थलों पर बिना मास्क के घूम रहे हैैं। जब नियम ही टूट रहे हैैं तो यह कफ्र्यू किस बात का है।