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क्षेत्रीय दलों को इकट्ठा करने की रणनीति में नाकाम रहा अकाली दल, मोगा रैली में नहीं पहुंचा कोई दिग्गज

शिरोमणि अकाली दल ने मोगा में रैली कर पार्टी के गठन का शताब्दी दिवस मनाया। पहले कहा जा रहा था कि रैली में कई क्षेत्रीय दलों के मुखिया शामिल होंगे लेकिन शिअद क्षेत्रीय दलों को इकट्ठा करने में सफल नहीं हो पाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 15 Dec 2021 12:44 PM (IST)Updated: Wed, 15 Dec 2021 12:44 PM (IST)
क्षेत्रीय दलों को इकट्ठा करने की रणनीति में नाकाम रहा अकाली दल, मोगा रैली में नहीं पहुंचा कोई दिग्गज
शिअद की मोगा रैली के दौरान प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पिछले एक साल से देश की सभी क्षेत्रीय पार्टियों को इकट्ठा करने के शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रयासों से एक समय लग रहा था पार्टी स्थापना शताब्दी समारोह पर देश की राजनीति कोई नया मोड़ लेगी, लेकिन गत दिवस मोगा रैली में किसी भी क्षेत्रीय दल के नेता के दिखाई न देने से इन प्रयासों को झटका लगा है। मोगा के किली चहलां गांव में हुई बड़ी रैली में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के महसचिव सतीश मिश्रा के अलावा कोई बड़ा नेता शामिल नहीं हुआ। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता व पूर्व मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा ने दावा किया कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता डा. फारूक अब्दुल्ला और बसपा सुप्रीमो मायावती के संदेश हमें मिल चुके हैं, जिन्हें टीवी पर प्रसारित किया जाएगा।

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गौरतलब है कि इससे पहले शिरोमणि अकाली दल जब भी इस प्रकार की बड़ी रैलियां करता था, तो क्षेत्रीय दलों के नेताओं को जरूर आमंत्रित करता था। चंद्र बाबू नायडू, डा. फारूक अब्दुल्ला जैसी हस्तियां अकसर ही अकाली दल के मंच पर दिखाई पड़ती थीं, लेकिन मंगलवार को ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, इस साल के शुरू में ही पार्टी ने कमेटी का गठन करके क्षेत्रीय दलों को इकट्ठा करने की कोशिश की थी। इस कमेटी में पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, राज्यसभा सदस्य नरेश गुजराल व राज्यसभा सदस्य बलविंदर सिंह भूंदड़ शामिल थे।

कमेटी शिवसेना, डीएमके, तेलगू देशम, टीएमएसी, समाजवादी पार्टी, बसपा और बीजू जनता दल के नेताओं से मिली। इस कमेटी के माध्यम से प्रयास किया जा रहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए साझा मोर्चा तैयार किया जाए। उम्मीद की जा रही थी कि इस मुलाकात का कोई फल जल्द नजर आएगा और मंगलवार को यह मौका था, लेकिन कोई भी नेता नहीं आया। दो दिन पहले तक कहा जा रहा था कि ममता बनर्जी और मायावती आ सकती हैं।

शिअद ने खेला था अल्पसंख्यकों को एकजुट करने का दांव

किसी भी क्षेत्रीय दल के नेता के न आने के कारण किसी भी पार्टी ने स्पष्ट रूप से आज क्षेत्रीय दलों, अल्पसंख्यकों के इकट्ठा होने का मामला भी नहीं उठाया। पिछले हफ्ते शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष के सलाहकार हरचरण बैंस ने जिस प्रकार से ट्वीट करके अल्पसंख्यकों को एकजुट होने की सलाह दी थी, उससे ऐसा लग रहा था कि मोगा रैली से पहले अकाली दल एक नई लाइन खींच रहा है, लेकिन आज मोगा रैली में ऐसा भी कुछ दिखाई नहीं दिया। पार्टी के नेता फरवरी 2022 में होने वाले चुनाव तक ही सीमित रहे और इन चुनाव में वे लोगों को क्या-क्या देंगे, इसी पर उन्होंने अपना फोकस रखा। इस रैली से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि अन्य क्षेत्रीय पार्टियों को इस मंच पर एक साथ दिखने में कोई बड़ा लाभ नहीं दिखा। इसका कारण यह भी है कि शिअद पंथक राजनीति करता है, जबकि अन्य पार्टियों का ऐसा कोई एजेंडा नहीं है।


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