बड़े किसानों से डरी कांग्रेस, लोकसभा चुनाव से पहले नहीं आएगी एग्रीकल्चर पॉलिसी
पंजाब किसान व खेत मजदूर आयोग ने जो एग्रीकल्चर पॉलिसी तैयार की है उसकी लोकसभा चुनाव से पहले लागू होने की संभावना नहीं है।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब किसान व खेत मजदूर आयोग ने जो एग्रीकल्चर पॉलिसी तैयार की है उसकी लोकसभा चुनाव से पहले लागू होने की संभावना नहीं है। दरअसल, जिस तरह से किसानों की आर्थिक स्थिति देश भर में केंद्रीय एजेंडे के रूप में आ गई है, उससे उनको दी जाने वाली किसी भी किस्म की राहत को वापस लेना अब किसी भी सियासी पार्टी के बस की बात नहीं है।
पंजाब किसान आयोग ने पॉलिसी का जो ड्राफ्ट तैयार किया है उसमें आयोग ने इनकम टैक्स देने वाले किसानों को बिजली की सब्सिडी न देने की सिफारिश की है। साथ ही कहा है कि चार हेक्टेयर व उससे ज्यादा खेत वाले किसानों को सरकार मुफ्त में बिजली देने के बजाय उनसे फ्लैट रेट 100 रुपये प्रतिमाह लिए जाएं।
आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने पॉलिसी का ड्राफ्ट जून में ही जारी कर दिया था जिस पर एक महीने के अंदर ऐतराज मांगे गए थे। आयोग को मिले ऐतराज पर एक बार फिर से खेती विशेषज्ञों को बुलाकर उनसे चर्चा करके पॉलिसी तैयार कर ली गई। जाखड़ यह भी चाहते थे कि इसे विधानसभा सेशन में रखकर पूरा दिन इस पर चर्चा करवाई जाए, ताकि खेती और किसानों के संकट का हल खोजा जा सके। लेकिन जून के बाद दो सेशन हो चुके हैं पर न तो इस पर चर्चा हो रही है और न ही ऐसी कोई संभावना दिख रही है कि आने वाले बजट सेशन, जो कि फरवरी महीने में होना है में भी इससे चर्चा के लिए रखा जाएगा। पहली पॉलिसी काफी विस्तार से बनाई गई है। निश्चित तौर पर इस सिफारिश से किसानों को तो फायदा होगा लेकिन शहरी वर्ग, जिनके कब्जे में रासायनिक दवाओं और खादों का कारोबार है, वे नाराज हो जाएंगे।
इन सिफारिशों से कांग्रेस सरकार को लग रहा डर
- पॉलिसी में गेहूं व धान की खरीद करने वाले आढ़तियों को फसल के समर्थन मूल्य से मिलने वाले 2.5 फीसद के कमीशन में से 20 फीसद काटकर एक फंड स्थापित करने की सिफारिश है। इस फंड को दूध व अन्य फसलों में होने वाले घाटे को पूरा करने के लिए किसानों को दिया जाना है। इस तरह के फंड के लिए विधानसभा में बिल तो पास हो गया है लेकिन अभी इसे लागू नहीं किया गया है। आढ़तियों ने इसका जोरदार विरोध किया है।
- आयोग ने बड़े किसानों से बिजली सब्सिडी वापस लेने और चार एकड़ से ज्यादा वाले किसानों से सौ रुपये प्रति माह लेने की भी सिफारिश है। इस सिफारिश को मानना सरकार के बस की बात नहीं है। कांग्रेस को पता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में अकाली दल समेत अन्य पार्टियां इसे चुनावी मुद्दा बनाकर उनके खिलाफ ही प्रयोग कर सकती हैं।
- आयोग ने हर साल कीटनाशकों के इस्तेमाल में 10 फीसद की कटौती करने की भी सिफारिश की है। साथ ही कहा है कि दुकानदार हर किसान का रिकार्ड रखे कि उसने कौन-कौन सी खाद व कीटनाशक खरीदे हैं। उसकी जानकारी सरकार को दी जाए। अगर किसान को विक्रेता गलत दवा देता है तो उसे भी सजा दी जा सके।