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चंडीगढ़ प्रशासन की चेतावनी के बावजूद बिजली कर्मचारियों ने की हड़ताल, बोले- आगे भी जारी रहेगा संघर्ष

चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण के फैसले के खिलाफ मंगलवार को विभाग के कर्मचारियों ने एक दिन की काम छोड़ हड़ताल की थी। हालांकि प्रशासन ने यह चेतावनी जारी की थी कि जो कर्मचारी हड़ताल करेंगे उनका एक दिन का वेतन काटा जाएगा।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 11:05 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 11:05 AM (IST)
चंडीगढ़ प्रशासन की चेतावनी के बावजूद बिजली कर्मचारियों ने की हड़ताल, बोले- आगे भी जारी रहेगा संघर्ष
चंडीगढ़ प्रशासन की चेतावनी के बावजूद बिजली कर्मचारियों ने की हड़ताल, बोले- आगे भी जारी रहेगा संघर्ष।

चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली विभाग के निजीकरण का फैसला किया है। लेकिन विभाग के कर्मचारी इसके पक्ष में नहीं है। शहर के रेजिडेंट्स की सबसे बड़ी एसोसिएशन फासवेक भी इसके समर्थन में नहीं है। ऐसे में बिजली कर्मचारियों ने घोषणा की है कि उनका प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।

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मंगलार को बिजली कर्मचारियों ने प्रशासन की चेतावनी मिलने के बावजूद एक दिन की हड़ताल की थी। हड़ताल पर जाने वाले सैकड़ों कर्मचारियाें के एक दिन का वेतन काटने के प्रशासन के आदेश जारी कर दिए हैं। निजीकरण के खिलाफ यूटी पावरमैन यूनियन के आह्वान पर कर्मचारियों ने एक दिन काम छोड़ हड़ताल की। यूनियन का कहना है कि इस तरह की हड़ताल आगे भी जारी रहेगी। 

यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी का कहना है कि कि बिजली विभाग में सामान का प्रबंध न करने और 1780 संशोधित पोस्टों में से सिर्फ 1000 से कम कर्मचारियों के बावजूद उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली सप्लाई दी जा रही है। शहरवासियों को बिजली की दरों में पिछले पांच साल से कोई बढ़ोतरी न करने और इस साल बिजली की दरें घटाने की बात को गंभीरता से सोचना चाहिए जो बिजली कर्मचारियों की कर्मठता और कड़ी मेहनत का नतीजा है।

ट्रांसफर पॉलिसी बनाने की मांग

उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा नियमों के विरुद्ध निजीकरण के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी की अनुपस्थिति में बिड खोलने से कई शंकाएं पैदा होती हैं। जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है। देश के प्रमुख संगठनों और औद्योगिक क्षेत्र के संगठनों के ऐतराज के बावजूद प्रशासन ने गैर कानूनी तौर पर बिड को खोल दी, जिसे तुरंत रद  किया जाए। यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रशासनन पर आरोप लगाया कि अभी कंपनी बनी भी नहीं है लेकिन उसको 100 फीसद बेचने के लिए बिड खोली गई है। जबकि इस सारी प्रक्रिया से पहले कर्मचारियों और उपभोक्ताओं से सुझाव व ऐतराज लेने चाहिए थे और ट्रांसफर पॉलिसी की अधिसूचना जारी करनी चाहिए थी।

एसोसिएशन के नेता आगू मनमोहन सिंह, उजागर सिंह मोही, वाटर सप्लाई के चैन सिंह, हॉर्टीकल्चर के सोहन सिंह, यूनियन के सचिव सुखविंद्र सिंह व रणजीत सिंह आदि का कहना है कि विभाग को बेस्ट यूटिलिटी का अवार्ड लगातार मिल रहा है। शहर में बिजली की दर पड़ोसी राज्यों व अन्य केंद्र शासित प्रदेशों  से कम है। ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) लास भी बिजली मंत्रालय के तय मानक 15 प्रतिशत से काफी कम है। पिछले पांच साल से विभाग लगातार 150 करोड़ से 250 करोड़ तक मुनाफा कमा रहा है। विभाग का वार्षिक टर्न ओवर 1000 करोड़ के करीब है जिस हिसाब से कम से कम कीमत 15000 करोड़ से अधिक बनती है लेकिन हैरानी की बात है कि बोली सिर्फ 174 करोड़ की लगाई जा रही है।


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