पंजाबी सभ्याचार कमिशन के गठन के बाद म्यूजिक इंडस्ट्री में बवाल
पंजाबी गीतों में दिनों- दिन शराब, हथियार और लड़कियों पर कसे जाने वाले व्यंग्य पर पंजाबी सभ्याचार कमिशन के गठन करने की घोषणा हो चुकी हैं
चंडीगढ़ : पंजाबी गीतों में दिनों- दिन शराब, हथियार और लड़कियों पर कसे जाने वाले व्यंग्य पर पंजाब सास्कृतिक मंत्रालय के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल ही में पंजाबी सभ्याचार कमिशन के गठन करने की घोषणा की, जिसके बाद से पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में गीतों को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। साहित्यकार,अदाकार और गायकों से इसी विषय को लेकर हुई चर्चा।
शराब, हथियार और लड़की पर आधारित हैं ज्यादातर पंजाबी गीत
पंजाबी गीत शराब, हथियार और लड़की इन तीनों के बगैर नहीं सुने जा रहे थे, ऐसे में पंजाब सास्कृतिक मंत्रालय के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल ही में सभ्याचार कमिशन का गठन करने की घोषणा की, जो पंजाबी गायकों के गीतों पर नजर रखेगा। साथ ही जो गीत ज्यादा ही हिंसक या आपत्तिजनक होंगे तो गायकों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज होगी। हालाकि इस कमिशन में अभी तक किसी को सदस्य नहीं बनाया गया है, मगर इसकी शुरुआत से ही म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े लोग और गायकों में इसको लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया मिली हैं।
पंजाब सभ्याचार को आगे लाने के लिए साथ हूं : दिलजीत दोसाझ
ये एक अच्छा कदम है। मैं पंजाब के सभ्याचार को आगे लाने से जुड़े विचार को लेकर सकारात्मक हूं। मगर एक चीज फिर भी साफ करनी चाहिए कि, कलाकार जो स्क्रीन पर पेश करता है वो कला है न की असल जिंदगी। हम असल में वो नहीं जो स्क्रीन पर दिखा रहे हैं। मैंने शहीद भगत सिंह पर भी गीत गाए कई लोक गीत भी गाए ऐसे में हर तरह के गीत गाने की मेरी कोशिश रही है। मेरा मानना है कि कला को कला की नजर से ही देखा जाए, उसमें गंभीरता ढूंढना और असल जिंदगी से जोड़ना सही नहीं है। भाषा की मिठास बरकरार समझाना जरूरी : सुरजीत पात्तर
नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा कमिशन के गठन के दौरान पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष सुरजीत पात्तर भी उनके साथ रहे। सुरजीत ने कहा कि कमिशन का बनना बेहद जरूरी था। मेरे अनुसार हमें युवाओं को अभी से भाषा की मिठास से अवगत करवाना होगा। ऐसा नहीं है कि पंजाबी गीतों में हर चीज बुरी ही हो रही है, कई गायक बहुत अच्छा लिखा हुआ गा रहे हैं, हमारी कोशिश युवाओं को इसी सही दिशा की और ले जाना है। इसके लिए हम कमेटी के तहत यूथ फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं। हालाकि कमेटी में अभी क्या गठित होगा या कौन इसका सदस्य होगा इसके लिए दोबारा सिद्धू से मिटिंग नहीं हुई, मगर पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष होने के नाते वह हमेशा इस कमेटी की सहायता के लिए आगे रहेंगे।
कमेटी अच्छा कदम, बच्चों के लिए सेंसरशिप होना जरूरी : सतिंदर सत्ती
पंजाब कला परिषद की पूर्व अध्यक्ष सतिंदर सत्ती ने कहा कि कमेटी बनना एक अच्छा प्रयास है। इन दिनों जो गीत बनकर सामने आ रहे हैं वो सुनने से बाहर हैं। सबसे बुरा ये लगता है कि बच्चों को ये ऐसे परोसा जा रहा है जैसे कोई स्कूल की किताब। इस पर लगाम लगाना बेहद जरूरी हो चुका है। पंजाब में केवल बंदूक या शराब नहीं मिलती, यहा की असल सच्चाई को गायक क्यों नहीं बयान करते। अपने बच्चों से दूर ही रखा है गीतों को : बीनू ढिल्लो
इन दिनों जो सबसे मुश्किल चीज है वो ये कि बच्चों को कैसे आज के संगीत से थोड़ा दूर रखा जाए। पंजाबी गीतों में इस्तेमाल होने वाले शब्द सच में कहीं न कहीं बच्चों से ही उनकी मासूमियत छीन रहे हैं। उन्होंने खुद अपने बच्चों को ऐसे गीतों से दूर रखा है। उनका मानना है कि सख्त सेंसरशिप की जरूरत है, साथ ही बच्चों को 10वीं क्लास तक तो मोबाइल भी नहीं देना चाहिए, क्योंकि टीवी पर तो फिर भी सेंसरशिप हो सकती है, मगर इंटरनेट पर कहा ये सब मुमकिन हो पाएगा।
लोग पसंद ही ऐसे गीत करते हैं : सुनंदा शर्मा
पंजाबी गीतों में असला, अश्लीलता ये तय समाज से ही करता है। यहीं से निकल कर जो शब्द आते हैं उसी को गीतकार लिखता है। मगर लोग भी ऐसे ही गीत पसंद करते हैं जिसमें उन्हें ऐसे शब्द मिले। मसलन, मेरा पटाखे गीत आया, इसे लोगों ने खूब पसंद किया, मगर मेरा शमला और कोका ये दोनों गीत किसी को इतने याद नहीं रहे। ये पूरी तरह से लोक गीत पर आधारित था। ऐसे में लोग जिसे पसंद करते हैं, रिकॉर्डिंग लेबल को वहीं बनाना पड़ता है और हमें वही गाना पड़ता है।
रिपोर्ट : शकर सिंह।