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फिल्म के बाद अब किताब में भी हिट हो गई नीरजा भनोट की बहादुरी

किताब की पांच हजार कॉपी बिक चुकी हैं। किताब की डिमांड देखते हुए इसे दोबारा प्रकाशित किया गया।

By Edited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 08:32 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 10:22 AM (IST)
फिल्म के बाद अब किताब में भी हिट हो गई नीरजा भनोट की बहादुरी
फिल्म के बाद अब किताब में भी हिट हो गई नीरजा भनोट की बहादुरी

चंडीगढ़, जेएनएन। स्वर्गीय नीरजा भनोट। जिनकी बहादुरी को अशोक चक्र से नवाजा गया। वर्ष 2016 में इनकी बहादुरी पर आधारित फिल्म सुपरहिट हुई, जिसे नेशनल अवॉर्ड भी मिला। नीरजा के जीवन को अब लोग किताबों में भी पसंद कर रहे हैं। जिसे लिखा उन्हीं के भाई अनीष भनोट ने। किताब की पांच हजार कॉपी बिक चुकी हैं। किताब की डिमांड देखते हुए इसे दोबारा प्रकाशित किया गया। अनीष ने कहा कि जुलाई खत्म होते ही किताब की पांच हजार कॉपी बिक चुकी हैं। इन दिनों ये लगातार बिक रही हैं। हालांकि किताब बुक स्टाल में नहीं, केवल ऑनलाइन ही बिक्री के लिए उपलब्ध है।

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नीरजा के चंडीगढ़ में बिताए दिन हैं किताब में खास

अनीष ने कहा कि नीरजा पर उनके दोस्तों और सहकर्मियों ने एक किताब लिखी थी। ये द नीरजा आइ नो के नाम से थी। जिसमें उनकी प्रोफेशनल लाइफ पर ज्यादा बताया गया। इसके बाद फिल्म आई, तो लोगों ने नीरजा के बारे में जाना। मगर किताब में मैंने नीरजा के चंडीगढ़ में बिताए दिनों को प्रमुखता से लिखा। ये आपको फिल्म में नहीं मिलेंगे। किताब मेरे लिए खास रही। एक तरह से दोबारा उन दिनों को जीया जब नीरजा के साथ हम बचपन में खेला करते थे। इसमें उसकी शैतानियां, स्कूल से जुड़ी बातें, चंडीगढ़ से बाहर घूमने जाने से जुड़ी कहानियां हैं। इसके अलावा उनकी शादी के बाद की स्थिति, ससुराल वालों की तरफ से यातना और दहेज उत्पीड़न को भी उजागर किया है। अनीष ने कहा कि उन्होंने इस किताब को हिंदी में बहादुरी भरी मुस्कान नाम से भी लॉन्च किया है।

नीरजा फिल्म के प्रोड्यूसर से अभी भी चल रहा है विवाद

अनीष ने कहा कि फिल्म नीरजा के प्रोड्यूसर संग प्रोफिट शेयरिंग को लेकर चल रहा केस फिलहाल डेट्स तक ही सीमित हैं। शुरू से ही प्रोड्यूसर ने इस ओर कोई रूचि नहीं दिखाई। हमें अभी तक केवल हाई कोर्ट से डेट्स ही मिली हैं। करीब तीन वर्ष हो चुके हैं, अभी कोरोना वायरस के चलते सुनवाई कम हो रही है। ऐसे में जब दोबारा जब कोर्ट में डेट्स आएंगी, तो हम इस पर कुछ कह सकेंगे।

पैनएम फ्लाइट के पैसेंजर की बचाई थी जान

नीरजा मॉडलिंग के बाद फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में एयरलाइंस से जुड़ी थी। वर्ष 1986 में आतंकवादियों द्वारा पैनएम फ्लाइट 73 को हाईजैक कर लिया गया था, जहां नीरजा ने आतंकवादियों का बहादुरी से सामना करते हुए यात्रियों की जान बचाई थी। वो देश की सबसे युवा अशोक चक्र विजेता हैं।


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