चंद्रग्रहण आज, सालों बाद बना है सावन मेें ऐसा संयोग, ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें ख्याल
सावन माह की शुरुआत 17 जुलाई से होने जा रही है। सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि चंद्रग्रहण के तुरंत बाद सावन का आरंभ होगा। 1
जेएनएन, चंडीगढ़। सावन माह की शुरुआत 17 जुलाई से होने जा रही है। सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि चंद्रग्रहण के तुरंत बाद सावन का आरंभ होगा। 16 जुलाई को गुरु पूर्णिका और संक्रात है। इसी दिन शाम साढ़े चार बजे से चंद्रग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा। हालांकि चंद्रग्रहण रात के डेढ़ बजे पूर्ण रूप से दिखाई देगा। ग्रहण का सूतक 17 जुलाई सुबह साढ़े चार बजे तक चलेगा। उसके तुरंत बाद भगवान शिव के प्रिय माह सावन की शुरुआत होगी। सावन से पहले चंद्रग्रहण में लोगों को सफेद वस्तु का दान काले कपड़े में बांधकर करना चाहिए। सफेद चीज में चावल और चीनी का बहुत ज्यादा महत्व है। यह जानकारी सेक्टर-24 स्थित शिव मंदिर के पूजारी पंडित राम गोपाल ने दैनिक जागरण को दी। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा, संक्रात, चंद्रग्रहण और उसके तुरंत बाद सावन का आरंभ करीब एक सदी के बाद लग रहा है। यह समाज के लिए बहुत ज्यादा शुभकारी रहेगा।
सावन का महत्व
सावन शिवजी का प्रिय माह माना जाता है। इस माह में आने वाले सोमवार का विशेष महत्व रहता है। 17 जुलाई से आरंभ होने वाले सावन में पहला सोमवार 22 दूसरा 29 जुलाई को आएगा। वहीं तीसरा सोमवार 4 और चौथा 11 अगस्त को सोमवार आएगा। 15 अगस्त को रक्षा बंधन के मौके पर सावन का समापन होगा। वैसे तो पूरे सावन में ही शिवजी की अराधना की जाती है, लेकिन इस माह के सोमवार का महत्व अधिक रहता है। जिन लोगों के पास पूरे माह शिवजी की पूजा का समय नहीं है, वे केवल सोमवार को की गई पूजा से शिव कृपा पा सकते हैं।
महिलाएं पति के सुखद भविष्य के लिए करती हैं व्रत
सावन माह के सोमवार का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए करती हैं। कुंवारी कन्याएं श्रेष्ठ पति की प्राप्ति के लिए ये व्रत करती हैं। इस माह में शिवजी की प्रसन्नता के लिए लघुरुद्र, महारुद्र, अतिरुद्र पाठ कराना चाहिए, हर सोमवार को व्रत करना चाहिए। इस व्रत में पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर मिट्टी से शिवलिंग का निर्माण बनाएं और उसका पूजन करें। इसके बाद उसे वापस नदी या सरोवर में ही प्रवाहित कर देना चाहिए।
जल को बचाने का लेना चाहिए संकल्प
पंडित राम गोपाल ने बताया कि भगवान शिव पानी के भी देवता हैं। चंद्रग्रहण के साथ सावन का संयोग से बारिश बहुत ज्यादा होती है। यदि भगवान शिव को प्रसन्न करना है तो उसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए। बारिश के पानी को इकट्ठा करने की शुरुआत करनी चाहिए। ऐसा करने से पानी का स्तर ऊपर आएगा और पीने के पानी की कभी कोई कमी नहीं आएगी। इस प्रकार के कर्म करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए करें गाय के दूध का इस्तेमाल
शिवलिंग पर गाय का दूध ही चढ़ाना चाहिए। यह दूध पानी या फिर दही, घी, शकर और शहद में मिलाकर चढ़ाना होता है। शिवलिंग पर कभी भी थैली में बंद दूध को नहीं चढ़ाना चाहिए। यह न तो भगवान शिव के लिए शुभ होता है और न ही शिवलिंग के लिए। शिवलिंग पर थैली का दूध चढ़ाने से शिवलिंग खंडित होने लगता है इसके साथ ही दूध की भी जमकर बर्बादी होती है। पंडित राम गोपाल ने कहा कि गाय का दूध नहीं मिलने पर ताजा पानी से ही भगवान शिव का स्नान कराया जा सकता है।