कानूनी सलाह के बाद लिया जाएगा सिख महिलाओं को हेलमेट नहीं पहनने पर फैसला
सिख महिलाओं को हेलमेट पहनने पर मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स (एमएचए) की एडवाइजरी के बाद यूटी प्रशासन असमंजस में फंस गया है। प्रशासन इस मामले में कोई भी फैसला जल्दबाजी में लेने के मूड में नहीं है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सिख महिलाओं को हेलमेट पहनने पर मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स (एमएचए) की एडवाइजरी के बाद यूटी प्रशासन असमंजस में फंस गया है। प्रशासन इस मामले में कोई भी फैसला जल्दबाजी में लेने के मूड में नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि वह पहले इस मामले में लीगल ओपिनियन लेंगे। उसके बाद ही किसी निर्णय लेने की स्थिति में होंगे। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। हाई कोर्ट ने सभी जाति धर्म या समुदाय की महिला के लिए इसे पहनना अनिवार्य करने के आदेश दिए थे। ऐसे में यूटी प्रशासन हाई कोर्ट के आदेशों पर लीगल ओपिनियन के बाद ही कोई फैसला लेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वह हाई कोर्ट से भी इस मामले में ओपिनियन लेंगे। बताया जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में दो महीने लग जाएंगे। तब तक पुरानी नोटिफिकेशन ही लागू रहेगी। हालांकि सिख महिलाओं के चालान होंगे या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। एमएचए ने भेजी दिल्ली की नोटिफिकेशन
एमएचए ने वीरवार को सिख महिलाओं को हेलमेट पहनने में छूट देने के लिए एडवाइजरी जारी की थी। यह एडवाइजरी पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल की अगुवाई में डेलीगेशन की अपील के बाद जारी की गई थी। एमएचए ने दिल्ली की वह नोटिफिकेशन चंडीगढ़ प्रशासन को भेजी है, जिसमें सिख महिलाओं को हेलमेट पहनने पर छूट दी गई है। इसी नोटिफिकेशन को ध्यान में रखते हुए यूटी प्रशासन भी मोटर व्हीकल एक्ट संबंधी नोटिफिकेशन में संशोधन करेगा। दिल्ली की नोटिफिकेशन के बाद प्रशासन इस असमंजस में है कि नए नियमों के बाद सिख महिलाओं की पहचान कैसे की जाएगी। यह कैसे पता चलेगा कि मोटराइज्ड व्हीकल चला रही महिला सिख है या किसी अन्य धर्म से है। यह पहचान करना ट्रैफिक पुलिस के लिए बड़ा चैलेंज होगा।