दुनिया में भारत जैसा कोई देश नहीं
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : अफगानिस्तान में में
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : अफगानिस्तान में में 80 के दशक में आतंकवाद चरम पर था। मुजाहीद्दिन और तालिबान के आपसी संघर्ष के चलते देश तबाही की कगार पर पहुंच गया था। किसी भी बाहरी देश से संपर्क नहीं रहा था। पढ़ाई बीच में रूक गई थी। देश पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कट गया था। माहौल ठीक हुआ तो भारत में पीएचडी करने का मौका मिला और अब इसे पूरा भी कर लिया। यह कहना है अर्थशास्त्र में पीयू से पीएचडी करने वाले मोहम्मद हाकिम हैदर का। उन्होंने विभाग के टीचर प्रोफेसर गुरमैल सिंह के सुपरविजन में पीएचडी की है। साल 2011 में उनका यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग में रजिस्ट्रेशन हुआ था। साल 2017 में उन्होने पीएचडी पूरी कर ली। हैदर अफगानिस्तान की एकेडमी ऑफ साइंस के साइंटिफिक मेंबर भी हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में यहां से पोस्ट डायरेक्टरेट डिग्री करना चाहेंगे। भारत अफगानिस्तानी स्टूडेंट्स के लिए एजुकेशन हब बन रहा है। 4 मार्च को देश के उपराष्ट्रपति के हाथों डिग्री मिलेगी। मैं भारत का इतने प्यार और पीएचडी की डिग्री के लिए तहेदिल से शुक्र गुजार हूं।
इतने प्यार के लिए शुक्रगुजार हूं
उन्होंने कहा कि देश ने पढ़ाई करने का मौका तो दिया ही, साथ में यहां के लोगों से बड़ा प्यार और स्नेह मिला। किसी भी तरह की कोई दिक्कत पेश नहीं आई। दुनियाभर में भारत जैसा कोई देश नहीं है।
इंडिया में पीजी भी की
हैदर साल 2007 में इंडिया आए थे। साल 2009 में उन्होंने अर्थशास्त्र में पीजी की डिग्री पूरी की। इसके बाद वो दो साल घर चले गए। लेकिन पीएचडी की हसरत अधूरी थी, जो उनको दोबारा इंडिया खींच लाई।
अफगानिस्तान में एसोसिएट प्रोफेसर को महज 35 हजार मिलते हैं
अफगानिस्तान में टीचर्स की सैलरी बड़ी कम है। हैदर पेशे से टीचर हैं। काबुल यूनिवर्सिटी में वो बतौर एसोसिएट प्रोफेसर पढ़ा रहे हैं। अगर भारतीय मुद्रा में कहें, तो उनको महज 35 हजार रुपये की सैलरी माहवार मिलती है, जबकि पीयू में यह सैलरी करीब पांच गुना, यानी डेढ़ से दो लाख तक है।
अफगानिस्तान में गरीबी क्यों, विषय पर शोध किया
हैदर ने अफगानिस्तान में गरीबी विषय पर रिसर्च की है। उन्होंने वहां फैली गरीबी के कारणों और इसके चलते लोगों की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों का गहन अध्ययन किया है। उन्होंने बताया कि गरीबी और आतंकवाद आपस में जुड़े हैं। अफगानिस्तान में 36 फीसद लोग गरीब रेखा से नीचे हैं।
स्कॉलरशिप बेहद कम है
उन्होंने बताया कि स्कॉलरशिप बेहद कम है। पीएचडी के दौरान उनको स्कॉलरशिप मिलती थी, लेकिन यह कम थी। उनको हर माह साढ़े 11 हजार रुपये स्कॉलरशिफ के रूप में मिलते थे। उन्होंने इसको बढ़ाकर कम से कम 20 करने की मांग की।
पढ़ाई की कोई उम्र नही होती
हैदर के अनुसार पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। 47 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई तो कभी भी कर सकते हैं। कई बार जिम्मेदारियों के चलते लेटलतीफी हो जाती है, तो कभी परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि चाहकर भी नहीं पढ़ पाते हैं।
इंडिया में इतनी विविधता के बीच एकता देखी
हैदर ने कहा कि इंडिया में धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं होता है। यहां ¨हदू, मुस्लिम, इसाई और सिख सभी धर्मो के लोग रहते हैं। हर किसी को भाईचारे के साथ रहते देखा है। इतनी विविधता के बीच भी एकता है।